जीएम फसलों के बाद अब बारी है जीएम फ़ूड की | 11 Jan 2017
पृष्ठभूमि
संभव है कि आने वाले कुछ वर्षों में आप आनुवंशिक रूप से परिवर्तित खाद्य पदार्थों (genetically altered foods) की नई पीढ़ी का सेवन कर रहे हों, जिसके अंर्तगत प्राप्त होने वाले आलू भूरे रंग न होकर किसी ओर रंग के हों, सोयाबीन फैटी एसिड जैसे कुछ नये तत्त्वों के सम्मिश्रण से निर्मित हुआ हो| हालाँकि, इसके अंतर्गत सबसे अधिक विचारणीय तथ्य यह है कि पिछले वर्ष अमेरिकी कांग्रेस में आनुवंशिक रूप से परिवर्तित फसलों में प्रयोग किये जाने वाली सामग्री का उल्लेख किये जाने हेतु एक विधेयक पास किया गया था, तथापि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, ऐसे में आपको इस बात का कभी पता ही नहीं चल सकेगा कि आप आनुवांशिक रूप से परिवर्तित जिस खाद्य पदार्थ का सेवन कर रहे हैं, उसमें किन तत्त्वों का प्रयोग किया गया है|
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि जल्द ही आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित (genetically modified) फसलों की जगह नई पीढ़ी की जीन-संपादित (gene-edited) फसल बाज़ार में प्रवेश करने के लिये तैयार है| इस नई तकनीक के अंतर्गत डीएनए को कटाव एवं सटीक घुमाव द्वारा उसकी वास्तविक स्थिति से एक नए रूप में निर्मित किया जा रहा है|
- ध्यातव्य है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग की पुरानी तकनीक की भाँति इस नई तकनीक के अंतर्गत पौधों में अन्य जीवों से जीन हस्तांतरित नहीं किये जाते हैं|
- दरअसल, अमेरीकी कृषि विभाग द्वारा जेनेटिक इंजीनियरिंग करने वाली कंपनियों से उनकी अपनी-अपनी योजनाओं के प्रारूप का एक ढाँचा प्रस्तुत करने के लिये कहा गया| परन्तु, जब एक बार कंपनियों द्वारा फसलों के सम्पादित प्रारूप में किसी विदेशी जीन को हस्तांतरित न करने संबंधी आँकड़ा प्रस्तुत किया जाता है तो विभाग द्वारा उक्त व्यवसाय को हरी झंडी दे दी जाती है|
- ध्यातव्य है कि नियमों एवं निरीक्षण की कमी के कारण अमेरिका के कईं राज्यों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर जीन-सम्पादित फसलों को विकसित किया जा रहा|
- केलेक्सट केलेक्सट (Calyxt Calyxt) नामक एक जीन-सम्पादित खाद्य प्रदार्थ का निर्माण करने वाली कंपनी द्वारा गेहूँ की एक नई प्रसंस्कृत प्रजाति (जिसके अंतर्गत फफूँदी) से होने वाले रोगों के प्रति प्रतिरोधकता, कार्बोहाइड्रेट एवं आहार तत्त्वों की उच्च गुणवत्ता निहित हो) तैयार की जा रही है|
- ड्यूपोंट पायनियर (Du Pont Pioneer) सहित कुछ अन्य कंपनियों द्वारा भी जीन-सम्पादित फसलें विकसित की जा रही हैं| इन कंपनियों द्वारा मोमी मकई (waxy corn) की एक नई प्रजाति विकसित की जा रही है| ध्यातव्य है कि वैक्सी कॉर्न का प्रयोग केवल भोजन के रूप में ही नहीं किया जाता है, बल्कि इसका प्रयोग चिपकाने वाले पदार्थों के निमार्ण हेतु स्टार्च के रूप में भी किया जाता है|
- उल्लेखनीय है कि पेन्सिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा क्रिस्पर (crisper) तकनीक का प्रयोग करके मशरूम के रूप में एक ऐसी प्रजाति विकसित की गई है जो बहुत जल्द खराब नहीं होती है|
- ध्यातव्य है कि वर्तमान में मौजूद नियमों को पूर्व की पीढ़ी के आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के संदर्भ में बनया गया था| जिसके अंतर्गत वैज्ञानिक, पौधों के कीटों से बैक्टीरिया एवं वायरस को उठाकर उन्हें पौधों की कोशिकाओं में निहित नए जीनों के साथ संयोजित कर देते थे, जिससे ये बैक्टीरिया एवं वायरस पौधों के डीएनए में लीन हो जाते थे|
- हालाँकि, इसमें कोई संदेह नहीं कि पौधों में निहित कुछ विशेष कमियों एवं रोगों से बचाव में यह तकनीक बहुत कारगर सिद्ध हुई है, तथापि इसके अंतर्गत वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या थी कि आखिर पौधे के किस जीन में इन बैक्टीरिया अथवा वायरस को प्रवेश कराया जाए अथवा किस प्रकार इन जीनों को नियंत्रित किया जाए?
- स्पष्ट है कि इस समस्या के कारण जीएम फसलें विवाद एवं खतरनाक आनुवंशिक अवरोधों के दायरे में आ खड़ी हुई हैं|
- ध्यातव्य है कि विश्व के अन्य भागों में जीन-सम्पादित खाद्य पदार्थों के नियमन एवं प्रबंधन के विषय में चिंताएँ प्रकट की जा रही हैं, मसलन, यूरोप में तो जीएम फसलों की खेती पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है| इतना ही नहीं, यूरोपीय संघ ने इस विषय में अध्ययन हेतु एक वैज्ञानिक समूह की नियुक्ति भी कर दी है|
- हालाँकि, जीएम खाद्य पदार्थों का निर्माण करने वाली कंपनियों द्वारा जीएम फसलों को पूर्णतया सुरक्षित करार दिया गया है|
- जैसा कि ज्ञात है, जीएम फसलों में किसी दूसरे पौधे के जीन को किसी अन्य पौधें में स्थानांतरित किया जाता है, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ट्रांस्जेनेसिस (transgenesis) कहा जाता है, जबकि इसके विपरीत जीन-सम्पादित प्रक्रिया के अंतर्गत बैक्टीरिया अथवा वायरस को स्थानांतरित करने के स्थान पर बीमार जीन को काटकर (इस तकनीक को talen कहा जाता है) अलग कर दिया जाता है तथा उस कटे हुए स्थान पर पौधे के डीएनए के अनुरूप अणुओं का एक नया साँचा उस जीन से संबद्ध कर दिया जाता है|
- ध्यातव्य है कि जीन-संपादन (Gene editing) का प्रयोग केवल पौधों के सन्दर्भ में ही किया जाता है|
- रेकोम्बिनेटिक्स (Recombinetics) नामक कंपनी के अंतर्गत कृषि क्षेत्र के जानवरों के जीन में परिवर्तन (यथा बिना सींग के जानवरों का निर्माण करना) करने संबंधी कार्य किये जाते हैं|
- हालाँकि आलोचकों के अनुसार, जीन सम्पादित फसलें भी जीन संशोधित फसलों का ही अगला चरण साबित होंगी|
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि जीएम फसलों के उपरांत अब जीन-सम्पादित फसलों को स्वीकारोक्ति देने के विषय में देश की सरकारों एवं नियामक तंत्रों को और अधिक विचार करने की आवश्यकता है ताकि समस्त मानव प्रजाति के साथ-साथ पौधों एवं अन्य जीवों को भी दूषित होने से बचाया जा सके|