नगालैंड में छह महीने बढ़ा AFSPA | 01 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गृह मंत्रालय ने सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958 (Armed Forces Special Powers Act-AFSPA) की धारा 3 के तहत प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए समूचे नगालैंड को पुनः ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया है। केंद्र सरकार के आदेशानुसार, 30 दिसंबर, 2018 से छह महीने की अवधि के लिये नगालैंड को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- म्यामाँर की सीमा से सटा हुआ भारतीय राज्य नगालैंड को आंतरिक विद्रोह और आतंकी गतिविधियों के चलते पहले भी कई बार अशांत क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।
- गौरतलब है कि AFSPA सुरक्षा बलों को किसी भी जगह अभियान संचालित करने और बिना पूर्व सूचना के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
- गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, केंद्र सरकार का विचार है कि पूरा नगालैंड राज्य क्षेत्र अशांत और खतरनाक स्थिति में है और इसकी सहायता के लिये सशस्त्र बलों का इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है।
- केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 की धारा तीन के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार घोषणा करती है कि पूरा नगालैंड राज्य को इस कानून के तहत 30 दिसंबर, 2018 से छह महीने की अवधि के लिये अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है।
AFSPA का इतिहास
- सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA) 1958 में एक अध्यादेश के माध्यम से लाया गया था तथा तीन माह के भीतर ही इसे कानूनी जामा पहना दिया गया था।
- 1958 और इसके बाद पूर्वोत्तर भारत: भारत में संविधान लागू होने के बाद से ही पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ रहे अलगाववाद, हिंसा और विदेशी आक्रमणों से प्रतिरक्षा के लिये मणिपुर और असम में 1958 में AFSPA लागू किया गया था।
- इसे 1972 में कुछ संशोधनों के बाद असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नगालैंड सहित समस्त पूर्वोत्तर भारत में लागू किया गया था।
- त्रिपुरा में उग्रवादी हिंसा के चलते 16 फरवरी, 1997 को AFSPA लागू किया गया था, जिसे स्थिति सुधरने पर 18 साल बाद मई 2015 में हटा लिया गया था।
कब माना जाता है कोई क्षेत्र अशांत
- AFSPA के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर वहाँ केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करती है।
- विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषायी, क्षेत्रीय समूहों, जातियों, समुदायों के बीच मतभेद या विवादों के चलते राज्य या केंद्र सरकार किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करती है।
- AFSPA अधिनियम की धारा 3 राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों को भारत के राजपत्र (गज़ट) पर एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्रदान करती है, जिसके पश्चात् केंद्र को असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार मिल जाता है।
- अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम, 1976 के अनुसार, एक बार अशांत घोषित होने पर क्षेत्र में न्यूनतम तीन माह के लिये यथास्थिति बनाए रखनी होगी।
- राज्य सरकारें यह सुझाव दे सकती हैं कि इस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं, परंतु इस अधिनियम की धारा-3 के तहत उनके सुझाव को संज्ञान में लेने अथवा न लेने की शक्ति राज्यपाल अथवा केंद्र के पास है।
- गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित रखने का निर्णय इसलिये लिया गया है क्योंकि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हत्या, लूट और उगाही जारी है।
नगालैंड में AFSPA
- नगालैंड में AFSPA कई दशकों से लागू है। इस कानून को नगा उग्रवादी समूह NSCN-IM के महासचिव टी मुइवा और सरकार के वार्ताकार आरएन रवि के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 3 अगस्त, 2015 को एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भी नहीं हटाया गया।
- रूपरेखा समझौता 18 वर्षों तक 80 दौर की वार्ताओं के बाद हुआ था, इसमें पहली सफलता 1997 में तब मिली थी जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्ष विराम समझौता हुआ था।