अफ्रीकी हाथी | 30 Mar 2021
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) द्वारा अफ्रीकी वन हाथी और अफ्रीकी सवाना (या बुश) हाथियों को क्रमशः गंभीर संकटग्रस्त’(Critically Endangered) और 'संकटग्रस्त’ (Endangered) घोषित किया गया है।
- इससे पहले अफ्रीकी हाथियों को एक ही प्रजाति के रूप में माना जाता था, जिसे सुभेद्य (Vulnerable) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। यह पहली बार है जब IUCN की रेड लिस्ट में इनका दो अलग-अलग प्रजातियों के रूप में मूल्यांकन किया गया है।
अफ्रीकी हाथी के बारे में:
- अफ्रीकी हाथी पृथ्वी पर सबसे बड़े भू-जानवर (Land Animals ) हैं। ये एशियाई हाथियों से थोड़े बड़े आकार के होते हैं।
- अफ्रीकी हाथियों की सूंँड़ के अंत में दो अंगुलीनुमा संरचनाएँ पाई जाती हैं, जबकि एशियाई हाथियों की सूंँड़ में यह सिर्फ एक ही उभार के रूप में होता है।
- हाथी मातृसत्तात्मक होते हैं, अर्थात् समूह का नेतृत्व मादा द्वारा किया जाता है।
- अफ्रीकी हाथी एक कीस्टोन प्रजाति (keystone Species) है, जिसका अर्थ है कि वे अपने पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसे "पारिस्थितिक तंत्र इंजीनियर" (Ecosystem Engineers) के रूप में भी जाना जाता है। हाथियों द्वारा कई तरीकों से अपने निवास स्थान को आकार दिया जाता है।
- हाथियों की गर्भावस्था (लगभग 22 महीने) किसी भी अन्य स्तनपायी की तुलना में अधिक लंबी होती है। यह हाथियों के संरक्षण को और चुनौतीपूर्ण बना देता है, क्योंकि अवैध शिकार के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिये जन्म लेने वाले हाथियों की संख्या काफी कम होती है।
- अफ्रीकी हाथियों की दो उप-प्रजातियांँ हैं, सवाना (या झाड़ी) हाथी और वन हाथी। इन दोनों में सवाना हाथी बड़े हैं।
अफ्रीकी सवाना हाथी:
- वैज्ञानिक नाम: लोक्सोडोंटा अफ्रीकाना (Loxodonta Africana)
- आबादी में कमी: पिछले 50 वर्षों में 60% की गिरावट ।
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त।
- निवास स्थान: उप-सहारा अफ्रीका के मैदान।
अफ्रीकी वन हाथी:
- वैज्ञानिक नाम: लोक्सोडोंटा साइक्लोटिस (Loxodonta Cyclotis)
- आबादी में कमी: पिछले 31 वर्षों में 86% की गिरावट।
- IUCN स्थिति: अति संकटग्रस्त।
- निवास स्थान: मध्य और पश्चिम अफ्रीका के वन। इनके द्वारा शायद ही कभी सवाना हाथी की सीमा का उल्लंघन किया जाता है।
- वन हाथी का प्राकृतिक वितरण अत्यधिक सीमित है। इसलिये इसकी आबादी में गिरावट विशेष रूप से चिंता का विषय है।
- यदि सवाना हाथी की आबादी को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए तो उनकी आबादी में फिर से बढ़ोतरी होने की संभावना है, जबकि वन हाथी के मामले में यह बढ़ोतरी काफी धीमी है।
- मध्य अफ्रीका के कई देश जिन्हें वन हाथियों का घर माना जाता है, वहाँ कानून लागू करने में कई प्रकार की समस्याएँ विद्यमान हैं।
खतरा:
- हाथी दांँत के व्यापार हेतु अवैध शिकार।
- ऐसा क्षेत्र जहाँ गरीबी और भ्रष्टाचार का उच्च स्तर पाया जाता है, ऐसे क्षेत्रों में अवैध शिकार की दर अधिक होने की संभावना है। इससे पता चलता है कि समुदायों के लिये स्थायी आजीविका के साधन विकसित करने से अवैध शिकार पर अंकुश लगाया जा सकता है।
- आवास की क्षति: मानव आबादी में वृद्धि और कृषि एवं विकास हेतु भूमि का रूपांतरण होने से आवास की समस्या उत्पन्न हुई है।
एशियाई हाथी:
- एशियाई हाथी की तीन उप-प्रजातियाँ हैं: भारतीय, सुमात्रन तथा श्रीलंकन।
- वैश्विक आबादी:
- कुल आबादी लगभग 20,000 से 40,000
- भारतीय उप-प्रजाति की संख्या सर्वाधिक है, जो कि महाद्वीप पर शेष हाथियों की संख्या अधिक होने का भी एक मुख्य कारण है।
- भारत में हाथियों की कुल संख्या लगभग 28,000 है, इनमें से लगभग 25% हाथी कर्नाटक में पाए जाते हैं।
- IUCN की लाल सूची में स्थिति:
- लुप्तप्राय।
- CITES:
- परिशिष्ट I
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972:
- अनुसूची-1