अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान: पारिस्थितिकी संरक्षण समझौता | 08 Oct 2020
प्रिलिम्स के लियेआमू दरिया नदी, पंज नदी मेन्स के लियेहालिया समझौते का महत्त्व तथा भारत द्वारा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तित की दिशा में किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान ने पंज तथा आमू दरिया नदी बेसिन के अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु किये जाने वाले प्रयासों को मज़बूती प्रदान करने के लिये एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हस्ताक्षरित इस समझौते की अवधि पाँच वर्ष है और यह मुख्यतः पाँच क्षेत्रों पर केंद्रित है-
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन
- जैव विविधता संरक्षण
- जल गुणवत्ता की निगरानी
- पर्यावरणीय आकलन
- पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन संबंधी ज्ञान और विशेषज्ञता का साझाकरण
- साथ ही इस समझौते के तहत दोनों देशों ने विकास संबंधी संयुक्त परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और सीमाओं पर पर्यावरणीय प्रभावों से संबंधित मामलों में एक-दूसरे को सूचित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
समझौते का कार्यान्वयन
- समझौते के तहत निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये दोनों पक्ष निम्नलिखित कार्य करेंगे:
- संयुक्त तौर पर पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सहकारी कार्यक्रमों और गतिविधियों के विकास एवं कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी एक तकनीकी कार्यसमूह (TWG) का गठन करेंगे, जो कि इस समझौते के कार्यान्वयन की रूपरेखा निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित शैक्षणिक एवं तकनीकी कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मामलों पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी क्षेत्रों के साथ मिलकर कार्य करेंगे।
महत्त्व
- अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच हुआ हालिया समझौता दोनों देशों के मध्य भविष्य में अवसंरचना, खनन एवं व्यापार आदि से संबंधित निवेश परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और स्थानीय समुदायों को स्थायी प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने में मदद करेगा जिससे क्षेत्र विशेष के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु प्रयासों को और मज़बूत करने में मदद मिलेगी।
- यह समझौता अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान को जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता के नुकसान को रोकने हेतु समाधान खोजने के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान करेगा।
पृष्ठभूमि
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को लेकर अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच वार्ता की शुरुआत असल में वर्ष 2012 में हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2014 में पंज-अमु दरिया के लिये हाइड्रोलॉजिकल डेटा के आदान-प्रदान पर एक समझौता ज्ञापन की पुष्टि की गई और वर्ष 2015 से इस समझौते का कार्यान्वयन शुरू हुआ।
- इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से दोनों देशों के बीच 1,000 किलोमीटर लंबी साझा नदी सीमा पर हाइड्रोलॉजिकल स्टेशनों की स्थापना की गई और नदी प्रवाह से संबंधित आँकड़ों के आदान-प्रदान की भी शुरुआत हुई।
- इस प्रकार अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच हुआ हालिया समझौता दोनों देशों के मध्य चल रही पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी वार्ता का दूसरा चरण है।
आमू दरिया नदी
- तकरीबन 2540 किलोमीटर की लंबाई के साथ आमू दरिया नदी मध्य एशिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक है।
- इस नदी का जल मुख्य तौर पर अफगानिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा साझा किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि आमू दरिया नदी का अधिकांश जल प्रवाह ताजिकिस्तान (72.8 प्रतिशत) से होता है, जबकि अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान में इसका जल प्रवाह क्रमशः 14.6 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत है।
- अनुमान के मुताबिक, आमू दरिया नदी आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले तकरीबन 43 मिलियन लोगों की आजीविका के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है और इस नदी के जल का उपयोग मुख्य रूप से कृषि, जलविद्युत उत्पादन, औद्योगिक और घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये किया जाता है।
- पंज नदी
- 1125 किलोमीटर लंबी पंज नदी (Panj River) आमू दरिया नदी की सहायक नदी है और यह अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान की सीमा से होकर बहती है।
- इस नदी का उद्गम किला-ए-पंजा गाँव के पास पामीर एवं वखान नदी के संगम से होता है और यहाँ से यह पश्चिम की ओर बहती हुई अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान की सीमा बनाती है। इसके बाद आगे चलकर यह नदी आमू दरिया नदी में मिल जाती है।