अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023 | 18 Dec 2023

प्रिलिम्स के लिये:

अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023, दलाल, अधिवक्ता अधिनियम, 1961, बार काउंसिल, अखिल भारतीय बार

मेन्स के लिये:

न्यायालय में कानूनी प्रथाओं में सुधार के लिये अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023 का महत्त्व।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023 लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया। इसका उद्देश्य कानूनी प्रणाली से 'दलाल' को बाहर करना था।

  • विधेयक कानूनी व्यवसायी अधिनियम, 1879 को निरस्त करता है और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करता है, ताकि "कानून की किताब में अनावश्यक अधिनियमों की संख्या" को कम किया जा सके और सभी "अप्रचलित कानूनों" को निरस्त किया जा सके।

अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • दलाल (Tout):
    • इस विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय, ज़िला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, ज़िला मजिस्ट्रेट व राजस्व अधिकारी (ज़िला कलेक्टर के पद से नीचे नहीं) दलालों की सूची बनाकर इसे प्रकाशित कर सकते हैं।
    • दलाल (Tout) उस व्यक्ति को संदर्भित करता है, जो: 
      • या तो किसी भुगतान के बदले में किसी कानूनी व्यवसाय में किसी कानूनी व्यवसायी का रोज़गार प्राप्त करने का प्रस्ताव करता है या प्राप्त करता है।
      • ऐसे रोज़गार प्राप्त करने के लिये दीवानी या फौज़दारी अदालतों के परिसर, राजस्व-कार्यालयों, या रेलवे स्टेशनों जैसे स्थानों का बार-बार उपयोग किया जाता है।
      • न्यायालय या न्यायाधीश किसी भी ऐसे व्यक्ति को न्यायालय परिसर से बाहर कर सकता है जिसका नाम दलालों  सूची में शामिल है।
  • सूचियाँ तैयार करना:  
    • दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने का अधिकार रखने वाले प्राधिकारी अधीनस्थ अदालतों को दलाल होने के कथित या संदिग्ध व्यक्तियों के आचरण की जाँच करने का आदेश दे सकते हैं।
    • एक बार जब ऐसा व्यक्ति दलाल साबित हो जाता है, तो उसका नाम प्राधिकारी द्वारा दलालों की सूची में शामिल किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति को उसके शामिल किये जाने के विरुद्ध कारण बताने का अवसर प्राप्त किये बिना ऐसी सूचियों में शामिल नहीं किया जाएगा।
  • दंड (Penalty): कोई भी व्यक्ति जो दलाल के रूप में कार्य करता है, जबकि उसका नाम दलालों की सूची में शामिल है, उसे तीन महीने तक की कैद, 500 रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 क्या है?

  • अधिवक्ता अधिनियम, 1961, भारतीय विधि व्यवसायियों (Legal Practitioners) से संबंधित विधि को संशोधित एवं समेकित करने तथा बार काउंसिल व एक अखिल भारतीय बार के गठन का प्रावधान करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
  • इस अधिनियम ने अधिकांश विधि व्यवसायी अधिनियम, 1879 को निरस्त कर दिया हालाँकि इसकी सीमा, परिभाषाएँ, दलालों की सूची बनाने और प्रकाशित करने की शक्तियाँ व अन्य उपबंध यथावत बने रहे। 

विधिक दृष्टिकोण: अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023

https://www.drishtijudiciary.com/en

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. सरकारी विधि अधिकारी और विधिक फर्म अधिवक्ताओं के रूप में मान्यता प्राप्त हैं, किंतु कॉर्पोरेट वकील और पेटेंट न्यायवादी अधिवक्ता की मान्यता से बाहर रखे गये हैं। 
  2. विधिज्ञ परिषदों (बार काउंसिल) को विधिक शिक्षा और विधि विश्वविद्यालयों की मान्यता के बारे में नियम अधिकथित करने की शक्ति है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)