नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

ई-मेडिकल रिकॉर्ड को अपनाने में बुनियादी बाधाएँ

  • 17 Jul 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

सरकार द्वारा देश में स्वास्थ्य देखभाल सेवा को बेहतर बनाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (EHR) प्रणाली को अपनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। किंतु सरकार को अपने प्रयासों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय के मेडिकल रिकॉर्ड का एक व्यापक डिजिटल डेटाबेस तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे डॉक्टरों और अस्पतालों द्वारा उपयोग किया जा सकेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • ये चुनौतियाँ बुनियादी ढाँचे के निर्माण, नीति और विनियमों, मानकों एवं अनुसंधान तथा विकास की अंतःक्रियाशीलता से संबंधित हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक नवीनतम समीक्षा रिपोर्ट “इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स को अपनाना: भारत के लिये एक रोडमैप (Adoption of Electronic Health Records: A Roadmap for India) में यह बताया गया है कि देश में इस प्राणाली को लागू करने के लिये बुनियादी आवश्यकताओं की कमी क्यों है।
  • रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारियों ने विभिन्न संबंधित सरकारी एजेंसियों जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग के साथ-साथ कनाडा, जर्मनी और अमेरिका आदि अन्य देशों की रिपोर्ट (जहाँ नागरिकों के ऐसे डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड मौजूद हैं) को देखते हुए दस्तावेजों और रिपोर्टों की समीक्षा की गई है।
  • भारत में स्वास्थ्य सेवा की मिश्रित प्रणाली है जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के साथ-साथ निजी क्षेत्र द्वारा संचालित बड़ी संख्या में अस्पताल शामिल हैं। रिपोर्ट में पाया गया  है कि सामान्य रूप से भारत में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के उपयोग का स्तर अन्य देशों की तुलना में कम है।
  • जब बुनियादी ढाँचे की बात आती है, तो रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों और औषधालयों के पास बहुत कम ICT बुनियादी ढाँचा है।
  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) तथा स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान (PGIMER) के कुछ प्रमुख सार्वजनिक अस्पतालों में ही कंप्यूटर और कनेक्टिविटी है।
  • देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की संख्या काफी अधिक है इसलिये, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में ज्यादा निवेश की आवश्यकता है।
  • खर्चों को कम करने के लिये ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर सिस्टम, मोबाइल डिवाइस और क्लाउड कंप्यूटिंग पर्यावरण का उपयोग करना आवश्यक है।
  • हालाँकि सरकार सार्वजनिक अस्पतालों में आईसीटी को अपनाने की दिशा में काम कर रही है; परंतु निजी अस्पतालों के बीच शायद ही कभी EHR का आदान-प्रदान किया गया है। सामान्यतः EHR एक ही अस्पताल में रखे जाते हैं और जब रोगी फिर से अस्पताल आता है तो इलाज में  EHR का संदर्भ लिया जाता है। उन रोगियों की संख्या पर कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं है जिनके EHR अब तक संग्रहीत किये गए हैं।
  • भारत में 75% से अधिक बाह्य रोगियों (outpatients) और 60% से अधिक अंतः रोगियों (inpatients) का निजी स्वास्थ्य सुविधा संस्थान में इलाज किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि EHR का उपयोग करने के लिये सरकार को इन प्रतिष्ठानों को पटरी पर लाना ज़रूरी है।
  • देश के आकार को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों और निजी चिकित्सकों के लिये अच्छी गुणवत्ता वाले सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने हेतु एक मुफ्त और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (FOSS) दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • FOSS में सॉफ़्टवेयर कोड को आसानी से सुलभ बनाया जाता है और इसे किसी के भी द्वारा संशोधित किया जा सकता है। यदि यह FOSS डोमेन में है, तो स्थानीय उद्यमी भी तकनीकी सहायता प्रदान कर सकते हैं। वर्तमान में अस्पताल सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर का उपयोग भारत में किया जाता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow