दत्तक ग्रहण (प्रथम संशोधन) विनियमन, 2021 | 24 Aug 2021
प्रिलिम्स के लियेदत्तक ग्रहण विनियम, 2017, भारतीय राजनयिक मिशन मेन्स के लियेदत्तक ग्रहण विनियम में संशोधन की आवश्यकता और महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लेने संबंधी नियमों के एक नए प्रावधान के अनुसार, विदेशों में भारतीय राजनयिक मिशन अब उन गोद लिये गए बच्चों की सुरक्षा के प्रभारी होंगे, जिनके माता-पिता गोद लेने के दो साल के भीतर बच्चे के साथ विदेश चले गए हैं।
- अब तक भारतीय मिशनों की भूमिका अंतर-देशीय गोद लेने की प्रकिया में केवल अनिवासी भारतीयों (NRIs), भारत के प्रवासी नागरिकों या विदेशी माता-पिता तक ही सीमित थी।
प्रमुख बिंदु
दत्तक ग्रहण (प्रथम संशोधन) विनियमन, 2021
- यह दत्तक ग्रहण विनियम, 2017 में संशोधन करता है।
- इस संशोधन को ‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015’ की संबंधित धाराओं के अनुसार अधिसूचित किया गया है।
- हाल ही में ‘पारित किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021’ बच्चों के संरक्षण और गोद लेने के प्रावधानों को मज़बूत एवं सुव्यवस्थित करने का प्रयास करता है।
- यह प्रावधान करता है कि अदालत के बजाय ज़िला मजिस्ट्रेट (अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट सहित) ऐसे गोद लेने के आदेश जारी करेगा।
- इसे ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ (CARA) द्वारा बनाया गया है और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है।
- ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ (CARA), महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है। यह भारतीय बच्चों को गोद लेने के लिये नोडल निकाय के रूप में कार्य करता है और देश में गोद लेने की प्रकिया की निगरानी और विनियमन के लिये उत्तरदायी है।
आवश्यकता
- हाल ही में कुछ मामले ऐसे देखने को मिले हैं जिसमें भारत में माता-पिता द्वारा भारतीय बच्चों को गोद लिया गया और जो बाद में विदेश चले गए, इसलिये वे भारतीय अधिकारियों के दायरे से बाहर हो गए और वे विदेशों में भारतीय मिशनों के दायरे में नहीं आते थे।
- ऐसे बच्चे काफी संवेदनशील हो जाते हैं क्योंकि इन बच्चों का शोषण और दुर्व्यवहार आसानी से हो सकता है।
भारतीय मिशनों का वर्तमान उत्तरदायित्व:
- भारतीय राजनयिक मिशन (Indian Diplomatic Mission) वर्तमान में गोद लिये गए बच्चे की प्रगति रिपोर्ट पहले वर्ष में त्रैमासिक आधार पर और दूसरे वर्ष में छह-मासिक आधार पर दूसरे देश में बच्चे के आगमन की तारीख से भेजते हैं।
- अनिवासी भारतीय या भारत के प्रवासी नागरिकों या विदेशी माता-पिता द्वारा गोद लिये गए भारतीय मूल के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मिशनों को दूसरे देशों में केंद्रीय प्राधिकरण या अन्य अधिकारियों से संपर्क करने की भी उम्मीद है।
- गोद लेने में व्यवधान के मामले में विदेशी मिशन जल्द-से-जल्द एक रिपोर्ट भेजेंगे और आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे तथा यदि आवश्यक हो तो बच्चे के प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करेंगे।
दत्तक ग्रहण विनियम, 2017 के अंतर्गत बच्चे को गोद लेने के लिये पात्र व्यक्ति:
- भावी दत्तक माता-पिता (Prospective Adoptive Parent) को "शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर तथा आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिये एवं जीवन को खतरे में डालने वाली चिकित्सा स्थिति नहीं होनी चाहिये।"
- एक व्यक्ति अपनी वैवाहिक स्थिति की परवाह किये बिना बच्चे को गोद ले सकता है और चाहे उसका जैविक बेटा या बेटी हो या नहीं।
- एक अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है लेकिन एकल पुरुष लड़की को गोद लेने के लिये पात्र नहीं होगा। विवाहित जोड़े के मामले में दोनों पति-पत्नी को गोद लेने के लिये अपनी सहमति देनी चाहिये।
- गोद लेने के मामले में दंपत्ति को कोई बच्चा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि उनका कम-से-कम दो वर्ष का स्थिर वैवाहिक संबंध न हो।
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को रखने और सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने के मामले के सिवाय गोद लेने के लिये तीन या अधिक बच्चों वाले दंपत्तियों पर विचार नहीं किया जाएगा।