रत्नागिरी रिफाइनरी परियोजना में साझेदारी हेतु सऊदी अरामको और एडनॉक में समझौता | 29 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सऊदी अरामको और एडनॉक ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एकीकृत रिफाइनरी एवं पेट्रोरसायन परिसर को संयुक्त रूप से विकसित एवं निर्मित करने के लिये एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किये। यह परियोजना रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (Ratnagiri Refinery & Petrochemicals Ltd.-RRPCL) द्वारा क्रियान्वित की जाएगी।
- इस महत्त्वपूर्ण समझौते पर सहमति उस समय बनी जब संयुक्त अरब अमीरात के विदेश एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्री माननीय शेख अब्दुल्ला बिन जायेद बिन सुल्तान अल नहयान भारत के आधिकारिक दौरे पर आए।
16वें अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम में बनी थी सहमति
- इससे पहले सऊदी अरामको ने 16वें अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम के मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन के अवसर पर 11 अप्रैल, 2018 को भारतीय कंसोर्टियम के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर करके इस परियोजना से अपना जुड़ाव सुनिश्चित किया था।
- सऊदी अरामको ने एक विदेशी निवेशक के रूप में इस परियोजना में सह-निवेश के लिये रणनीतिक भागीदार के रूप में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
समझौते के प्रमुख बिंदु
- यह भारत के परिशोधन (रिफाइनिंग) क्षेत्र में सर्वाधिक एकल विदेशी निवेश है।
- यह परियोजना भारतीय कंसोर्टियम और सऊदी अरामको एवं एडनॉक के बीच 50:50 प्रतिशत की संयुक्त अंशभागिता वाले उद्यम के रूप में स्थापित की जाएगी।
रत्नागिरी रिफाइनरी परियोजना
- रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) एक संयुक्त उद्यम की कंपनी है, जिसका गठन आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल के बीच क्रमश: 50:25:25 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी के साथ 22 सितंबर, 2017 को हुआ था।
- इस कंपनी को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 60 एमएमटीपीए (1.2 एमएमबीडी) की क्षमता वाली एकीकृत रिफाइनरी एवं पेट्रोरसायन परियोजना क्रियान्वित करनी है।
- पेट्रोरसायन का अनुमानित उत्पादन लगभग 18 एमएमटीपीए होने की आशा है।
वर्तमान स्थिति
- रत्नागिरी रिफाइनरी परियोजना प्रतिदिन 1.2 मिलियन बैरल कच्चे तेल (60 मिलियन मीट्रिक टन सालाना) का प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) करने में सक्षम होगी।
- यह रिफाइनरी बीएस-VI ईंधन दक्षता मानकों पर खरे उतरने वाले पेट्रोल एवं डीज़ल सहित अनेक परिशोधित पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन करेगी।
- यह रिफाइनरी उस एकीकृत पेट्रोरसायन परिसर के लिये आवश्यक कच्चा माल भी सुलभ कराएगी, जो प्रतिवर्ष लगभग 18 मिलियन टन पेट्रोरसायन उत्पादों का उत्पादन करने में सक्षम होगा।
- इस रिफायनरी की गिनती विश्व की सबसे बड़ी परिशोधन एवं पेट्रोरसायन परियोजनाओं में होगी और इसकी डिज़ाइनिंग कुछ इस तरह से की जाएगी, जिससे कि यह भारत में तेज़ी से बढ़ती ईंधन एवं पेट्रोरसायन की मांग को पूरा करने में समर्थ होगी।
- इस परियोजना पर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए (44 अरब अमेरिकी डॉलर) की लागत आने की संभावना है।