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भारतीय अर्थव्यवस्था

समायोजित सकल राजस्व

  • 25 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

समायोजित सकल राजस्व, दूरसंचार विभाग, लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग, उच्चतम न्यायालय 

मेन्स के लिये:

भारत की प्रगति में दूरसंचार क्षेत्र का योगदान, दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ और मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue- AGR) भुगतान के संदर्भ में समयसीमा में छूट प्रदान की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunication- DoT) की लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग (The Licensing Finance Policy Wing) ने सभी विभागों को समायोजित सकल राजस्व (AGR) से संबंधित बकाया राशि के भुगतान में विफल रहे दूरसंचार ऑपरेटरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।
  • इस आदेश में दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है अपितु भुगतान की समयसीमा में वृद्धि की गई है।
  • ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को लगभग 92,000 करोड़ रुपए के बकाया समायोजित सकल राजस्व का भुगतान करने का आदेश दिया था जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने चुनौती संबंधी याचिका को खारिज करते हुए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को भुगतान करने के लिये एक समयसीमा निर्धारित की थी। इस समयसीमा में भुगतान न कर पाने वाले सेवा प्रदाताओं को सुरक्षा प्रदान करने हेतु सरकार ने यह निर्देश दिया है।

सरकार द्वारा भुगतान समयसीमा में वृद्धि से विभिन्न वर्गों पर प्रभाव

सेवा प्रदाताओं पर प्रभाव

यह आदेश दूरसंचार सेवा प्रदाताओं मुख्य रूप से भारती एयरटेल एवं वोडाफोन आईडिया के संचालकों के लिये एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है, अन्यथा इन सेवा प्रदाताओं को 23 जनवरी तक भुगतान न करने पर संभावित अवमानना कार्रवाई का सामना करना पड़ता।

ध्यातव्य है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर दूरसंचार विभाग का लगभग 88,624 करोड़ रुपए बकाया है। जबकि रिलायंस जियो ने 23 जनवरी को 195 करोड़ रुपए का बकाया चुका दिया है।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

  • हाल के कुछ वर्षों में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच में अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा के कारण दूरसंचार सेवाओं के मूल्य में काफी कमी आ गई थी किंतु सरकार के समायोजित सकल राजस्व के भुगतान संबंधी आदेश के बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसे सेवा प्रदाताओं पर अत्यधिक राजस्व भार पड़ने से सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि हो गई है।
  • सरकार के इस आदेश से इन सेवा प्रदाताओं को भुगतान के लिये और समय प्राप्त होने से दूरसंचार सेवा बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा में पुनः वृद्धि हो सकती है जिसका लाभ उपभोक्ताओं को प्राप्त होगा।
  • ध्यातव्य है कि हाल के कुछ समय में वोडाफोन जैसी सेवा प्रदाता कंपनी देश से अपने व्यापार को समेटने का संकेत दे रही थी किंतु सरकार के इस आदेश से इस क्षेत्र में स्थायित्व की उम्मीद की जा सकती है। साथ ही उपभोक्ताओं को कम दाम में निरंतर सेवा प्राप्त हो सकेगी।

म्यूचुअल फंड एवं बैंकों पर प्रभाव

  • समायोजित सकल राजस्व संबंधी मुद्दे ने म्यूचुअल फंड और बैंकिंग क्षेत्र को चिंता में डाल दिया था क्योंकि दूरसंचार क्षेत्र अत्यधिक लाभान्वित क्षेत्र है और इस क्षेत्र का संकट बैंकिंग क्षेत्र को भी प्रभावित करता है।
  • ध्यातव्य है कि अकेले वोडाफोन-आइडिया पर 2.2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसका उपयोग उसने पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढाँचे और फंड स्पेक्ट्रम भुगतान का विस्तार करने के लिये किया है। इससे इन सेवा प्रदाताओं को समायोजित सकल राजस्व भुगतान के लिये समय मिल जाएगा जिससे वे अपनी बाज़ार क्षमता का विस्तार और बैंक का भुगतान आसानी से कर सकेंगे।

इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के निर्णय

  • 24 अक्तूबर, 2019 को न्यायालय ने DoT की AGR की परिभाषा से सहमति व्यक्त की और कहा कि कंपनियों को ब्याज एवं जुर्माने के साथ सभी बकाया राशि का भुगतान करना होगा।
  • ध्यातव्य है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने DoT को समयसीमा में ढील देने के लिये मनाने की कोशिश की और असफल होने के बाद फैसले की समीक्षा के लिये न्यायालय का रुख किया था।
  • न्यायालय ने पिछले हफ्ते समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है और साथ ही AGR शेष के भुगतान की समयसीमा भी नहीं बढ़ाई है।
  • हालाँकि उच्चतम न्यायालय ने कंपनियों में संशोधन की याचिका (Companies Modification Plea) को सुनने के लिये सहमति व्यक्त की है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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