सौर ऊर्जा चालित नौका ‘आदित्य’ | 16 Feb 2017
सन्दर्भ :
केरल में भारत की पहली सौर ऊर्जा संचालित नौका सेवा को वाईकॉम और थवंक्काडावू के बीच शुरू किया गया है, जो कोट्टायम और अलाप्पुझा जिलों को आपस में जोड़ेगी। यह परियोजना भारत में इस तरह की पहली परियोजना है जिसे ‘आदित्य’ नाम दिया गया है।
प्रमुख बिंदु :
- इस सौर ऊर्जा चालित नौका को केरल राज्य परिवहन विभाग द्वारा निर्मित किया गया है, जिसे केद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में सब्सिडी प्रदान की गई है।
- नौका को केरल के नवगाथी मरीन डिजाइन और कंस्ट्रक्शन की इकाई थवंक्काडावू में निर्मित किया जा रहा है।
- 12 जनवरी, 2017 को प्रारंभ की गई यह परियोजना केरल जैसे राज्य के लिए वास्तव में एक वरदान है, जहां राज्य भर में बड़ी मात्रा में जल परिवहन का इस्तेमाल किया जाता है।
- आदित्य भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संचालित नौका है, जिसकी क्षमता 75 सीटों की है।
- सामान्य दिनों में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली यह नौका 5-6 घंटे की यात्रा कर सकती है।
- इस पोत को केरल के इंजीनियर सांदिथ थंडाशेरी द्वारा डिजाइन किया गया है, जो सौर ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक हैं।
- नौका के विकास और डिजाइन के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकी और सहायता फ्रांसीसी फर्म द्वारा प्रदान की गई है।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भी इस परियोजना को प्रायोजित करने पर सहमत हो गया है।
- प्रायोजन के लाभ का मतलब है कि केरल के राज्य जल परिवहन विभाग को भारत सरकार द्वारा नौका लगभग मुफ्त में मिल जाएगी।
- वर्तमान में केरल राज्य के जल परिवहन विभाग के पास 49 नौकाएं हैं जो लकड़ी और स्टील से बनी हैं।
- इन लकड़ी की नावों की परिचालन लागत को कम करने के लिए, विभाग ने हाल ही में इसका निर्माण फाइबर ग्लास से करने की संभावनाओं को तलाशा है।
‘आदित्य’ परक्म्परिक नौकाओं से किस प्रकार भिन्न है :
- सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली नौकाओं से किसी भी प्रकार का न तो शोरगुल होता है और न ही प्रदूषण,जैसा कि डीजल से संचालित होने वाली नौकाओं में होता है।
- पारंपरिक नौकाएं वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ती हैं, जो हमेशा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक होती हैं।
- इसके अलावा तेल का फैलना भी जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है। लेकिन सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली नौकाएं न तो वायुमंडल में प्रदूषण फैलाती हैं और न ही जलीय वातावरण को प्रदूषित करती हैं।
- इसी तरह की कार्यात्मक सुविधाओं और सुरक्षा मानकों से सुसज्जित डीजल से चलने वाली पारंपरिक नाव के मुकाबले इसकी तुलना की जाए तो इसकी लागत 1.58 करोड़ रुपये है, जबकि सौर ऊर्जा संचालित नौका की लागत 2.35 करोड़ रुपये आती है।
- इस्पात से निर्मित एक सामान्य नाव की यात्री क्षमता 75 यात्रियों की होती है। इसकी कीमत लगभग 1.9 करोड़ रुपये है।
- एक कुशल पारंपरिक नाव पर प्रतिदिन 120 लीटर तेल (12 लीटर प्रतिघंटा) या 3500 लीटर प्रति माह और 42000 लीटर प्रति वर्ष डीजल खर्च होता है।
- यह राशि डीजल के लिए 26.55 लाख रुपये (63.32 रुपये/लीटर प्रति लीटर) तथा ल्यूब ऑयल एवं अन्य रखरखाव लागत सहित कुल परिचालन लागत 30.37 लाख रुपये प्रति वर्ष आती है। जबकि, सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली नौका में 40 यूनिट बिजली या 422.13 रुपये प्रतिदिन खर्च होते हैं, जो लगभग 12,596 रुपये प्रति माह तथा 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष होते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ :
- यह नौका 20 मीटर लंबी और 7 मीटर बीम के साथ 3.7 मीटर ऊंची है।
- इसकी महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह लकड़ी और इस्पात की जगह फाइबर से निर्मित है।
- नाव की छत पर 78 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो सौर ऊर्जा और बिजली पैदा करते हैं।
- सोलर पैनल को 20 किलोवाट की 2 इलेक्ट्रिक मोटरों के साथ जोड़ा गया है।
- नाव में 700 किलोग्राम की लीथियम आईएन बैटरी लगाई गई है, जिसकी क्षमता 50 किलोवाट की है।
- नौका के ढांचे को इस तरह से विकसित किया गया है जिससे इसकी रफ्तार 7.5 नॉटिकल/घंटा तक पहुंच जाती है।
- इसे भारत सरकार की जहाजरानी सर्वेक्षक और केरल पोत सर्वेक्षक के तकनीकी समिति द्वारा सत्यापित किया गया है।
- इसकी सामान्य संचालन गति 5.5 नॉटिकल/घंटा (10 किलोमीटर प्रति घंटा) है, जो वाईकॉम थवंक्काडावू के बीच की 2.5 किलोमीटर की दूरी को 15 मिनट में तय करती हैं। इस गति को प्राप्त करने के लिए 16 किलोवाट ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।
- इसकी अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि यह नौका यात्रा के दौरान सामान्य डीजल से चलने वाले क्रूज के मुकाबले कम कंपन करती है।
- यह एक सस्ता विकल्प भी हो सकता है। यह नाव भारत सरकार के शिपिंग विभाग द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों को भी पूरा करती है और केरल में कहीं भी संचालन के लिए यह बेहद सुरक्षित है।
- राज्य में जल परिवहन प्रणाली में तेजी से विस्तार हो रहा है। इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
पृष्ठभूमि :
- 20वीं शताब्दी की शुरुआत के दौरान (1925 से 1930 के बीच) वाईकॉम को सत्याग्रह आयोजन स्थल के लिए जाना जाता था, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को वाईकॉम मंदिर तक मुक्त आवाजाही प्रदान करना था।
- यह केरल के इतिहास में एक महान सामाजिक क्रांति थी।
- 9 मार्च, 1925 को वाईकॉम नौका घाट का प्रयोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा सत्याग्रह के लिए वाईकॉम तक पहुंचने के लिए किया गया था।
- हाल ही में यहां भारत की पहली सौर ऊर्जा संचालित नौका का उद्घाटन केन्द्रीय ऊर्जा, कोयला और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल तथा केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन द्वारा किया गया।
- अंतर्देशीय जल परिवहन को केरल में परिवहन का सबसे कुशल, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन माना जाता है।
- अंतर्देशीय जल नेविगेशन प्रणाली केरल में परिवहन का अभिन्न हिस्सा होने के साथ-साथ परिवहन का सबसे सस्ता साधन भी है।
- केरल की 44 में 41 नदियां, कई झीलें, नहरें यात्रा और माल ढुलाई के लिए राज्य में स्थित जलमार्गों का अच्छा नेटवर्क प्रदान कराते हैं।
- अष्टमुडी और वेमांनाडू जैसी झीलें केरल के पर्यटन क्षेत्र के लिए अंतर्देशीय नेविगेशन का एक अच्छा साधन उपलब्ध कराती हैं।
निष्कर्ष :
पहली सौर ऊर्जा नाव की शुरूआत के बाद, केरल का राज्य जल परिवहन विभाग राज्य की परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई अन्य सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले नावों को उतारने की तैयारी कर रहा है। यह परियोजना भारत में इस तरह की पहली परियोजना है। इसलिए भारत सरकार इस हरित परियोजना में बहुत सहायता कर रही है। प्रदूषण मुक्त सौर ऊर्जा चालित नौका का सफल संचालित सौर ऊर्जा के उपयोग की दिशा में भारत की यात्रा का एक ऐतिहासिक कदम है जो स्वच्छ ऊर्जा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की प्रतिबदधता और प्रयासों को दर्शाता है।