केंद्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में और जातियों को शामिल करना | 20 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित संवैधानिक प्रावधान मेन्स के लिये:राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, आरक्षण से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में शामिल करने के लिये छह राज्यों (महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा) में लगभग 80 और जातियों के अनुमोदन के अनुरोध पर कार्यवाही कर रहा है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC):
- परिचय:
- ओबीसी (OBC) शब्द में नागरिकों के वे सभी वर्ग शामिल हैं जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग की पहचान हेतु क्रीमी लेयर के बहिष्कार के सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिये।
- क्रीमी लेयर को OBC श्रेणी के लोगों के उन वर्गों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो अब पिछड़े नहीं हैं तथा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से देश के अन्य पिछड़े वर्गों के बराबर हैं।
- शामिल करने की प्रक्रिया:
- NCBC एक वैधानिक निकाय है जो केंद्रीय OBC सूची में जातियों को शामिल करने के अनुरोधों की जाँच करता है।
- मंत्रिमंडल परिवर्द्धन को मंज़ूरी देता है और कानून लाता है, राष्ट्रपति परिवर्तन को अधिसूचित करता है।
- संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) के तहत राज्य के पास किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग यानी OBC की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान करने की शक्ति है।
- शब्द "उन्नति के लिये विशेष प्रावधान" में शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण, वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति, मुफ्त आवास आदि जैसे कई पहलू शामिल हैं।
- अनुच्छेद 16(4) के तहत राज्य को OBC के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिये कानून बनाने का अधिकार है।
- संविधान के अनुच्छेद 15(4) के तहत राज्य के पास किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग यानी OBC की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान करने की शक्ति है।
- केंद्र सरकार की उपलब्धियाँ:
- वर्ष 2014 से हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय OBC सूची में 16 समुदायों को जोड़ा गया।
- राज्य के 671 OBC समुदायों को लाभ से वंचित होने से बचाने हेतु राज्यों को अपनी स्वयं की OBC सूची बनाए रखने के अधिकार की पुष्टि करने के लिये संविधान में 105वाँ संशोधन लाया गया है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC):
- परिचय:
- 102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- इसे सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के बारे में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार प्राप्त है।
- इससे पहले NCBC सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय था।
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1950 और 1970 के दशक में काका कालेलकर और बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में क्रमशः दो पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति की गई।
- काका कालेलकर आयोग को प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग के रूप में भी जाना जाता है।
- वर्ष 1992 के इंद्रा साहनी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह लाभ और सुरक्षा के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों के समावेशन एवं बहिष्करण पर विचार करने तथा जाँच एवं सिफारिश के लिये एक स्थायी निकाय का गठन करे।
- इन निर्देशों के अनुपालन में संसद ने वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम पारित किया और NCBC का गठन किया।
- पिछड़े वर्गों के हितों की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा करने के लिये वर्ष 2017 में 123वाँ संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया।
- संसद ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 को निरस्त करने के लिये एक विधेयक भी पारित किया है, इस प्रकार यह विधेयक पारित होने के बाद वर्ष 1993 का अधिनियम अप्रासंगिक हो जाता है।
- इस विधेयक को अगस्त 2018 में राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद NCBC को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- वर्ष 1950 और 1970 के दशक में काका कालेलकर और बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में क्रमशः दो पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति की गई।
- संरचना:
- इस आयोग में पाँच सदस्य हैं जिनमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य शामिल होते हैं, इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा की जाती है।
- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तों तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।