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जैव विविधता और पर्यावरण

एक्रा एक्शन एजेंडा

  • 22 Jul 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूरोपियन संघ और UNEP ने अफ्रीका LEDS (Low Emissions Development Strategies) प्रोजेक्ट के तहत अफ्रीकी एक्शन एजेंडे को संचालित करने के लिये एक्रा एक्शन एजेंडा (Accra Action Agenda) घोषित किया।

प्रमुख बिंदु

  • अफ्रीका में ग्रीनहाउस गैसों का न्यूनतम उत्सर्जन होता है, फिर भी यह महाद्वीप जलवायु परिवर्तन से बहुत अधिक प्रभावित है। जलवायु परिवर्तन की वजह से इस महाद्वीप के लोगों की आजीविका और सामाजिक-आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

अफ्रीका के जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित होने के कारण

  • अफ्रीका का ज़्यादातर हिस्सा उष्ण कटिबंध में है जिससे वर्ष भर यहाँ सूर्यातप की अत्यधिक मात्रा उपलब्ध होती है। इसके परिणामस्वरूप ग्रीष्म लहर की की घटनाओं की बारंबारता अधिक होती है। यूरोपीय कमीशन की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रीष्म लहर से गिनी खाड़ी, हॉर्न ऑफ अफ्रीका, अंगोला अरब प्रायद्वीप और कांगो सबसे अधिक प्रभावित हैं।
  • खनन और उद्योगों की स्थापना से वनों की अत्यधिक कटाई हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन आदि घटनाओं की आवृत्ति बढ़ रही है। अंततः इससे जैव-विविधता का ह्रास हो रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization of the United Nations-FAO) की एक रिपोर्ट के अनुसार भूमि क्षरण और भू-निम्नीकरण की बढ़ती घटनाओं से सहारा मरुस्थल अपने वास्तविक स्वरुप से 10% अधिक विस्तारित हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप वनों का क्षेत्रफल कम हुआ है। साथ ही इस क्षेत्र की जीवन रेखा ‘चाड झील’ भी संकुचित हो गई है। इस प्रकार की घटनाओं ने जलवायु परिवर्तन की प्रभाविता में उत्प्रेरक का कार्य किया है।
  • UN की एक रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका में खाना पकाने में 80% तक बायोमास ईधन का प्रयोग होता है जिससे मानव स्वास्थ और जलवायु दोनों बुरी तरह प्रभावित होते है।
  • कमज़ोर शासन, उग्रवाद, कम पूँजी, खराब बुनियादी ढाँचा, अपर्याप्त प्रौद्योगिकी एवं विदेशी बाज़ार तक पहुँच आदि परिस्थितियाँ अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन की प्रभाविता को और बढ़ा देती हैं।

अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • UN की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से अफ्रीका की GDP में 2 से 4% तक की हानि हुई है। अधिकांश अफ्रीकी देशों की प्रति व्यक्ति आय 30 वर्ष पहले के स्तर से कम हो गई है।
  • FAO की रिपोर्ट के अनुसार उप सहारा में एक तिहाई लोग भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं।
  • जलवायु परिवर्तन से शिक्षा और स्वास्थ भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, UNDP की एक रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका में 10 में से 4 लोग HIV/AIDS से पीड़ित हैं।
  • अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन से जहाँ एक ओर मरुस्थलीकरण का प्रभाव बढ़ रहा है, वही पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीका के तट भी समुद्र में डूब रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएँ घाना आदि देशों को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं।
  • जलवायु परिवर्तन के समग्र कारणों की वजह से अफ्रीका का आर्थिक सामाजिक विकास भी काफी प्रभावित हुआ है।

अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु किये गए प्रयास

  • यूरोपीय संघ-UNEP द्वारा संचालित अफ्रीका LEDS (Low Emissions Development Strategies- कम उत्सर्जन विकास रणनीतियाँ) परियोजना के कार्यान्वयन से अफ्रीका अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution-NDC) की प्राथमिकताओं को पूरा कर सकेगा तथा साथ ही जलवायु परिवर्तन के मद्देनज़र अपना सामाजिक- आर्थिक विकास भी सुनिश्चित कर सकेगा।

अफ्रीका LEDS क्या है?

  • यह कार्यक्रम यूरोपीय संघ और सात सहयोगी देशों द्वारा वित्तपोषित है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अफ्रीकी देशों के NDC की प्राथमिकताओं के लिये नीतिगत और संरचनात्मक सहयोग प्रदान करना है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बिना शर्त देशों की NDC हेतु जवाबदेही तंत्र स्थापित करना है और साथ ही युवाओं के लिये कौशल, प्रतिभा संबंधित अवसरों का निर्माण करना है।
  • अफ्रीकी मंत्रिस्तरीय पर्यावरण सम्मेलन (African Ministerial Conference on the Environment-AMCEN) के तहत जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय नीतियों में समग्रता का प्रयास किया जा रहा है। AMCEN को सचिवालय नैरोबी स्थित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • अफ्रीका के विकास हेतु नई साझेदारी (New Partnership for Africa’s Development-NEPAD) कार्यक्रम के माध्यम से भी नीति निर्माण और क्रियान्वयन पर समग्रता का प्रयास किया जा रहा है।
  • UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल के तहत अनुकूलन कोष (Adaptation Fund), ग्लोबल पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility), विश्व बैंक जैसे तंत्रों के माध्यम से अफ्रीका को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

उपरोक्त प्रयासों के बावजूद भी अफ्रीका की आर्थिक- सामाजिक स्थिति और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियों में सुधार शेष है। इसीलिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अफ्रीका को उच्च राजनीतिक मान्यता प्रदान की जानी चाहिये, जिससे वहाँ पर खाद्य और जलवायु सुरक्षा, संसाधनों का उचित आवंटन, जलवायु जोखिम का प्रबंधन एवं अनुकूलन हेतु आवश्यक कार्यवाहियाँ संपन्न कराई जा सके।

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