अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट | 04 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट, वैश्विक सार्वजनिक नीति संस्थान, अकादमिक स्वतंत्रता। मेन्स के लिये:अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट, भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति। |
चर्चा में क्यों?
अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट (Academic Freedom Index Report) के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत का अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक 179 देशों में से निचले क्रम के 30% देशों में होगा।
- अकादमिक स्वतंत्रता इस सिद्धांत को संदर्भित करती है कि विद्वानों और शोधकर्त्ताओं को सरकार, निजी संस्थानों या अन्य बाहरी संस्थाओं के हस्तक्षेप, सेंसरशिप या प्रतिशोध के बिना अनुसंधान करने और अपने निष्कर्षों को संप्रेषित करने में सक्षम होना चाहिये।
अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक:
- इसे ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा फ्रेडरिक-अलेक्जेंडर यूनिवर्सिटी एर्लांगेन-नुर्नबर्ग, स्कॉलर्स एट रिस्क और वी-डेम इंस्टीट्यूट के साथ घनिष्ठ सहयोग में वैश्विक समय-शृंखला डेटासेट (1900-2019) के एक हिस्से के रूप में प्रकाशित किया गया है।
- रिपोर्ट पाँच संकेतकों का आकलन करके 179 देशों में शैक्षणिक स्वतंत्रता का अवलोकन प्रदान करती है। यह विश्व भर के 2,197 से अधिक देशों के विशेषज्ञों के आकलन पर आधारित है।
- संकेतकों में शामिल हैं:
- अनुसंधान और शिक्षण की स्वतंत्रता
- शैक्षणिक आदान-प्रदान और प्रसार की स्वतंत्रता,
- विश्वविद्यालयों की संस्थागत स्वायत्तता
- परिसर की अखंडता
- शैक्षणिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
- स्कोर 0 (निम्न) से 1 (उच्च) तक के पैमाने में किये जाते हैं।
प्रमुख बिंदु
- वैश्विक:
- इसने भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको सहित 22 देशों की पहचान की, जहाँ विश्वविद्यालयों एवं विद्वानों को दस साल पहले की तुलना में काफी कम शैक्षणिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
- वैश्विक आबादी के 0.7% का प्रतिनिधित्त्व करने वाले केवल पाँच छोटे देशों (गाम्बिया, उज़्बेकिस्तान, सेशेल्स, मोंटेनेग्रो और कज़ाखस्तान) ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है।
- शेष 152 देशों में शैक्षणिक स्वतंत्रता स्थिर रही है। औसत वैश्विक नागरिक हेतु शैक्षणिक स्वतंत्रता पिछले चार दशक पहले देखे गए स्तरों के सामान हो गई है।
- चीन और भारत की तरह संयुक्त राज्य अमेरिका एवं मेक्सिको जैसे आबादी वाले देशों ने पिछले एक दशक में शैक्षणिक स्वतंत्रता में गिरावट दर्ज की है।
- भारतीय अवलोकन:
- भारत का 0.38 स्कोर है, जो पाकिस्तान के 0.43 और संयुक्त राज्य अमेरिका के 0.79 से कम है।
- वर्ष 1974-1978 को छोड़कर भारत का स्वतंत्रता सूचकांक स्कोर अतीत में उच्च था, जो वर्ष 1950 और 2012 के बीच 0.60-0.70 था।
- चीन का अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक 2022 में 0.07 अंक पर था, जो इसे नीचे के 10% में शामिल करता है।
- भारत ने कैंपस इंटीग्रिटी में कम स्कोर किया, जो यह मापता है कि परिसर राजनीतिक रूप से प्रेरित निगरानी या सुरक्षा उल्लंघनों से कितने मुक्त हैं।
- भारत ने संस्थागत स्वायत्तता और राजनीतिक मुद्दों से संबंधित शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।
- जहाँ तक अनुसंधान और शिक्षण की स्वतंत्रता, अकादमिक आदान-प्रदान एवं प्रसार की स्वतंत्रता का सवाल है तो भारत ने उपरोक्त तीन संकेतकों की तुलना में थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया है।
- भारत का 0.38 स्कोर है, जो पाकिस्तान के 0.43 और संयुक्त राज्य अमेरिका के 0.79 से कम है।
- भारत के न्यूनतम स्तर के घटक:
- वर्ष 2013 के आसपास शैक्षणिक स्वतंत्रता के सभी पहलुओं में तेज़ी से गिरावट आनी शुरू हुई, इस मामले ने 2014 के चुनाव के बाद ध्यान आकर्षित किया।
- शैक्षणिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिये कानूनी ढाँचे की कमी ने सत्तारूढ़ सरकार के कार्यकाल के दौरान शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमलों को सक्षम बनाया है।
- अकादमिक स्वतंत्रता के संस्थागत आयामों- संस्थागत स्वायत्तता, परिसर की अखंडता- शैक्षणिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बाधाओं के साथ संयुक्त रूप से अत्यधिक दबाव देखा गया है।
- सुझाव:
- भारत एवं चीन जैसे देशों में शैक्षणिक स्वतंत्रता में गिरावट के और अधिक परिणाम सामने आ सकते हैं क्योंकि इनकी संयुक्त आबादी 2.8 बिलियन है।
- उच्च शिक्षा के नीति निर्माताओं, अग्रणी विश्वविद्यालयों और शोध के लिये वित्त प्रदान करने वालों से यह आह्वान किया जाना चाहिये कि वे अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ विदेशों में भी शैक्षिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का कार्य करें।