नीतिशास्त्र
गर्भपात अधिकार बनाम नीतिशास्त्र
- 07 Oct 2022
- 4 min read
मेन्स के लिये:गर्भपात अधिकार बनाम नीतिशास्त्र |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में अविवाहित महिलाओं सहित सभी महिलाओं के लिये 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी।
गर्भपात के अधिकार और नैतिक दुविधा पर वाद-विवाद:
- महिलाओं के अधिकार संबंधी मुद्दे:
- अपने शरीर पर महिला का अधिकार:
- अपने शरीर पर एक महिला के अधिकार को स्वतंत्रता के आधार के रूप में वकालत की गई है।
- यदि कोई महिला विभिन्न कारणों से ऐसा नहीं करना चाहती है तो उसे अपने गर्भ में बच्चा रखने और बच्चे को जन्म देने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है।
- स्वास्थ्य:
- अवांछित गर्भधारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है।
- लैंगिक समानता:
- लैंगिक समानता के लिये गर्भपात का अधिकार महत्त्वपूर्ण है।
- गर्भपात का अधिकार गर्भावस्था के अधिकारों के पोर्टफोलियो का हिस्सा होना चाहिये जो महिलाओं को गर्भावस्था को समाप्त करने के लिये वास्तव में स्वतंत्र विकल्प बनाने में सक्षम बनाता है।
- अपने शरीर पर महिला का अधिकार:
- भ्रूण से संबंधित समस्याएँ:
- जीवन का अधिकार: गर्भपात एक जीवित प्राणी की हत्या के समतुल्य है।
- मातृत्व देखभाल: यह दो जीवन के बीच साझा किया गया एक अनूठा बंधन है जिस पर कानून द्वारा सवाल या विनियमन नहीं किया जा सकता है।
- सामाजिक समस्या:
- राज्य की ज़िम्मेदारी: यह राज्य की ज़िम्मेदारी है कि वह सभी को एक अच्छा जीवन प्रदान करे।
- समावेशी भावना: मतभेदों या अक्षमताओं के प्रकटन से बचने के लिये गर्भपात सामाजिक नियंत्रण का एक तंत्र नहीं बनना चाहिये।
- बच्चों की अच्छी देखभाल: कई बार, माता-पिता की इच्छा होती है कि गर्भपात अपने अल्प संसाधनों को अधिक बच्चों में विभाजित करने के बजाय मौजूदा बच्चों को एक अच्छा जीवन देने में सक्षम हो।
गर्भपात के खिलाफ तर्क:
- कुछ लोगों द्वारा गर्भपात को मुक्ति के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि समाज के लिये महिलाओं की ज़रूरतों को पूरा नहीं करने के तरीके के रूप में देखा जाता है।
- महिलाओं को मुफ्त गर्भपात की आवश्यकता नहीं है, लेकिन माता के रूप में इन्हें वित्तीय और सामाजिक अस्तित्व से संबंधित ज़रूरतें हैं जो समानता के लिये आवश्यक हैं :
- सस्ती, सुलभ बाल सुविधाएँ
- माताओं की ज़रूरतों को पूरा करने वाला एक कार्यस्थल या स्कूल
- उदाहरण के लिये लचीले शेड्यूलिंग के साथ मातृत्व अवकाश प्रदान करना,
- महिलाओं को कार्यबल में शामिल करने के लिये राज्य का समर्थन
गर्भपात के लिये नैतिक दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
- गर्भपात के लिये नैतिक दृष्टिकोण अक्सर चार सिद्धांतों पर आधारित है।
- मरीज़ों की स्वायत्तता का सम्मान
- गैर-हानिकारक (कोई नुकसान न पहुँचाना )
- उपकार (देखभाल करना) और
- न्याय
- गर्भपात की दुविधा में कानूनी, चिकित्सा, नैतिक, दार्शनिक, धार्मिक और मानव अधिकारों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के अतिव्यापी मुद्दे हैं और इसका विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषण किया जाना चाहिये।
- गर्भपात पर कोई सख्त नियम नहीं हो सकता है और आम सहमति बनाने के लिये इस पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया जाना चाहिये।