गगनयान हेतु एबॉर्ट मिशन | 21 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:गगनयान हेतु एबॉर्ट मिशन, इसरो, GSLV लो अर्थ ऑर्बिट, ISS मेन्स के लिये:गगनयान मिशन और उसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
गगनयान मिशन के दौरान चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वर्ष 2022 में दो मानव रहित 'एबॉर्ट मिशन ('Abort Mission)' लॉन्च करेगा।
- यह अंतरिक्ष में देश की पहली मानवयुक्त उड़ान के लिये इसरो के रोडमैप का एक हिस्सा है।
- इस उद्देश्य के लिये पहला परीक्षण वाहन सितंबर 2021 में लॉन्च किया जाएगा।
गगनयान से पहले एबॉर्ट मिशन:
- एबॉर्ट मिशन उन प्रणालियों का परीक्षण करने के लिये है जो विफलता के मामले में चालक दल को अंतरिक्षयान की बीच उड़ान में बचने में मदद कर सकते हैं।
- इसरो ने पहले ही वर्ष 2018 में पैड एबॉर्ट टेस्ट किया था, जहाँ लॉन्च पैड पर आपात स्थिति में चालक दल अंतरिक्षयान से बच सकता है।
- एबॉर्ट मिशनों के लिये इसरो ने परीक्षण वाहन विकसित किये हैं जो सिस्टम को एक निश्चित ऊँचाई तक भेज सकते हैं, विफलता का पता एवं एस्केप सिस्टम की जाँच कर सकते हैं।
- एस्केप सिस्टम को पाँच "त्वरित-अभिनय" सॉलिड फ्यूल मोटर्स के साथ एक उच्च बर्न रेट प्रोपल्शन सिस्टम और स्थिरता बनाए रखने के लिये फिन के साथ डिज़ाइन किया गया है।
- क्रू एस्केप सिस्टम विस्फोटक नटों को फायर करके क्रू मॉड्यूल से अलग हो जाएगा।
- इसरो का उद्देश्य उस प्रणाली को पूर्ण करने पर है जो भारतीयों को अंतरिक्ष मिशन पर ले जाएगी और मिशन विफल होने पर अंतरिक्ष यात्रियों की रक्षा करेगी।
गगनयान मिशन:
- परिचय:
- गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) का एक मिशन है।
- गगनयान वर्ष 2023 में लॉन्च होगा जिसके तहत:
- तीन अंतरिक्ष अभियानों को कक्षा में भेजा जाएगा।
- इन तीन मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है, में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।
- यह मिशन 5-7 दिनों के लिये पृथ्वी से 300-400 किमी. की ऊँचाई पर निम्न भू-कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा।
- पेलोड:
- पेलोड में शामिल होंगे:
- क्रू मॉड्यूल- मानव को ले जाने वाला अंतरिक्षयान।
- सर्विस मॉड्यूल- दो तरल प्रणोदक इंजनों द्वारा संचालित।
- यह आपातकालीन निकास और आपातकालीन मिशन अबोर्ट व्यवस्था से लैस होगा।
- पेलोड में शामिल होंगे:
- प्रमोचन:
- गगनयान के प्रमोचन हेतु तीन चरणों वाले GSLV Mk III का उपयोग किया जाएगा जो भारी उपग्रहों के प्रमोचन में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि GSLV Mk III को प्रमोचन वाहन मार्क-3 (Launch Vehicle Mark-3 or LVM 3) भी कहा जाता है।
- रूस में प्रशिक्षण:
- जून 2019 में इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र तथा रूस सरकार के स्वामित्व वाली Glavkosmos ने भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये, जिसमें उम्मीदवारों के चयन में रूस का समर्थन, चयनित यात्रियों का चिकित्सीय परीक्षण तथा अंतरिक्ष प्रशिक्षण शामिल हैं।
- अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित उम्मीदवार सोयुज़ (Soyuz) मानव युक्त अंतरिक्षयान की प्रणालियों का विस्तार से अध्ययन करेंगे, साथ ही Il-76MDK विमान में अल्पकालिक भारहीनता मोड में प्रशिक्षित होंगे।
- सोयुज़ एक रूसी अंतरिक्षयान है जो लोगों को अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाने तथा वापस लाने और अन्य सामग्रियों की आपूर्ति का कार्य करता है।
- Il-76MDK एक सैन्य परिवहन विमान है जिसे विशेष रूप से प्रशिक्षु अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष पर्यटकों की परवलयिक उड़ानों के लिये डिज़ाइन किया गया है।
गगनयान मिशन का महत्त्व:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संवर्द्धन:
- यह देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने तथा युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा।
- गगनयान मिशन में विभिन्न एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, उद्योगों और विभागों को शामिल किया जाएगा
- यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करेगा।
- औद्योगिक विकास में सुधार:
- सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाने हेतु किये जा रहे सुधारों के क्रम में हाल ही में एक नए संगठन IN-SPACe के गठन की घोषणा की है।
- यह सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
- कई देशों द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) इसके लिये पर्याप्त नहीं है। अतः गगनयान क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र की ज़रूरतों और भोजन, पानी एवं ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
अन्य आगामी परियोजनाएँ:
- चंद्रयान-3 मिशन: भारत ने चंद्रयान-3 नामक एक नए चंद्रमा मिशन की योजना तैयार की है जिसके वर्ष 2022 में लॉन्च होने की संभावना है।
- शुक्रयान मिशन: इसरो भी शुक्र के लिये एक मिशन की योजना बना रहा है, जिसे अस्थायी रूप से शुक्रयान कहा जाता है।
- XpoSat: अंतरिक्ष वेधशाला, XpoSat, जिसे कॉस्मिक एक्स-रे का अध्ययन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- आदित्य L1 मिशन: यह एक भारतीय अंतरिक्षयान को सूर्य और पृथ्वी के बीच L1 या लैग्रेंजियन बिंदु तक 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर जाते हुए देखेगा।
- किन्हीं दो खगोलीय पिंडों के बीच पाँच लैग्रेंजियन बिंदु होते हैं, जहाँ उपग्रह पर दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव, ईंधन को खर्च किये बिना उपग्रह को कक्षा में रखने के लिये आवश्यक बल के बराबर होता है, जिसका अर्थ है अंतरिक्ष में एक पार्किंग स्थल।