अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आधार अब मृत्यु प्रमाणपत्र के लिये भी आवश्यक
- 05 Aug 2017
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संदर्भ
सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार 1 अक्टूबर, 2017 से मृत्यु प्रमाणपत्र के आवेदन के लिये अब आधार संख्या या आधार पंजीकरण संख्या देना अनिवार्य होगा।
गौरतलब है कि सरकार विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से लेकर बैंक खातों और पैन नंबर तक को आधार से जोड़ना पहले ही अनिवार्य कर चुकी है।
सरकार का दावा है कि आधार नंबर से जुड़ने के बाद सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को रोकने में सफलता मिली है।
प्रमुख बिंदु
- गृह मंत्रालय के अनुसार, यदि आवेदक को मृत व्यक्ति का आधार नंबर पता न हो तो उसे एक हलफनामा देना होगा कि उसकी जानकारी में मृत व्यक्ति के पास आधार नंबर नहीं था एवं इसके बारे में उसने सही जानकारी दी है और इसके गलत पाए जाने की स्थिति में उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
- यदि आवेदक द्वारा हलफनामे में दी गई सूचना गलत पाई जाती है तो इसे ‘आधार अधिनियम, 2016’ तथा ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969’ के तहत अपराध माना जाएगा।
- लेकिन इसके लिये आवेदक को अपना आधार नंबर देना होगा।
पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी
- शुक्रवार को जारी किये गए एक अधिसूचना में भारत के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया) ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये आवेदन करने वालों के लिये आधार संख्या का उपयोग रिश्तेदारों, आश्रितों या मृतक के परिचितों द्वारा दी गई जानकारी की पुष्टि करने में किया जाएगा।
- यह पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकने के लिये एक प्रभावी तरीका होगा और मृत व्यक्ति की पहचान दर्ज़ करने में भी मदद करेगा।
- इसके अलावा यह कई दस्तावेजों की मदद से मृत व्यक्ति की पहचान साबित करने की आवश्यकता को समाप्त कर देगा।
- भारत के महापंजीयक ने संबंधित विभागों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजीकरण प्राधिकरणों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करने और 1 सितंबर, 2017 से पहले इसकी पुष्टि करने का निर्देश दिया है।
जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय
- जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय को छोड़कर सभी राज्यों के निवासियों के लिये यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा।
- जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय के लिये अलग से एक तारीख अधिसूचित की जाएगी।
आधार क्या है ?
- आधार एक पहचान संख्या है।
- आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला एक पहचान पत्र है, जिसमें 12 अंको की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है। यही संख्या उस नागरिक की विशिष्ट पहचान संख्या होती है।
- इस संख्या को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
- इसका गठन वर्ष 2009 में किया गया था।
- आधार संख्या लगभग सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं को प्राप्त करने के लिये आवश्यक हो गई है।