आधार-मतदाता पहचान पत्र लिंकेज | 29 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:चुनाव आयोग (EC), आधार, मतदाता पहचान पत्र, निजता का अधिकार, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (PDP) कानून। मेन्स के लिये:मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चुनाव आयोग (EC) ने मतदाता पहचान पत्र और आधार के लिंकेज को बढ़ावा देने के लिये एक अभियान शुरू किया।
- इसके अलावा, सरकारी प्राधिकारियों से व्यक्तियों के मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को लिंक करने के लिये कहा है तथा मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने में विफलता के कारण मतदाता पहचान पत्र कार्ड रद्द हो सकता है।
मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का कारण:
- डेटाबेस अद्यतन करना:
- लिंकिंग परियोजना से चुनाव आयोग को मदद मिलेगी जो मतदाता आधार का अद्यतन और सटीक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिये नियमित अभ्यास करता है।
- दोहराव को समाप्त करना:
- मतदाताओं के दोहराव, जैसे प्रवासी श्रमिक जो विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची में एक से अधिक बार पंजीकृत हो सकते हैं या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में कई बार पंजीकृत व्यक्तियों की पहचान की जा सकेगी।
- अखिल भारतीय मतदाता पहचान पत्र:
- सरकार के अनुसार, मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार को जोड़ने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि भारत के प्रति नागरिक केवल एक मतदाता पहचान पत्र जारी किया गया है।
लिंकेज के महत्त्व:
- सार्वभौमिक कवरेज:
- 2021 के अंत में, 99.7% वयस्क भारतीय आबादी के पास आधार कार्ड था।
- यह कवरेज किसी भी अन्य आधिकारिक रूप से मान्य दस्तावेज़ जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, पैन कार्ड आदि से अधिक है जो कि ज़्यादातर विशिष्ट उद्देश्यों के लिये लागू होते हैं।
- 2021 के अंत में, 99.7% वयस्क भारतीय आबादी के पास आधार कार्ड था।
- विश्वसनीय और लागत प्रभावी:
- चूंँकि आधार बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की अनुमति देता है, आधार-आधारित प्रमाणीकरण और सत्यापन को अन्य आईडी की तुलना में अधिक विश्वसनीय, तीव्र और लागत प्रभावी माना जाता है।
आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की अनिवार्नायता:
- कानूनी दर्जा:
- दिसंबर 2021 में संसद ने जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम 1950 में संशोधन करने के लिये चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 पारित किया और लोक प्रतिनिधित्त्व अधिनियम 1950 में धारा 23 (4) को शामिल किया गया।
- इसके अनुसार निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के प्रयोजन हेतु या पहले से नामांकित नागरिकों के लिये एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों के प्रमाणीकरण के प्रयोजन के लिये, उनसे उनके आधार संख्या को प्रस्तुत करने की अपेक्षा कर सकता है।
- हालिया बदलाव:
- हाल ही में, सरकार ने निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 में किये गए परिवर्तनों को अधिसूचित किया।
- नियम 26B के तहत प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम सूचीबद्ध है, पंजीकरण अधिकारी को अपनी आधार संख्या प्रदान कर सकता है।
- भ्रमित करने वाली सरकारी कार्रवाइयाँ:
- सरकार और चुनाव आयोग दोनों ने आश्वासन दिया है कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना वैकल्पिक है न कि बाध्यकारी, लेकिन यह नए नियम 26B के तहत जारी फॉर्म 6B में कहीं भी परिलक्षित नहीं होता है।
- फॉर्म 6B:
- फॉर्म 6B, आधार की जानकारी निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी को प्रस्तुत किये जाने के संबंध में प्रारूप प्रदान करता है।
- इसके अलावा, यह मतदाता को अपना आधार संख्या या कोई अन्य सूचीबद्ध दस्तावेज जमा करने की सुविधा प्रदान करता है।
- हालाँकि अन्य सूचीबद्ध दस्तावेजों को जमा करने का विकल्प केवल तभी प्रयोग योग्य है जब मतदाता अपना आधार संख्या प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं है, अर्थात् उनके पास आधार कार्ड नहीं है।
- हाल ही में, सरकार ने निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 में किये गए परिवर्तनों को अधिसूचित किया।
आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से संबंधित मुद्दे:
- अस्पष्ट संवैधानिक स्थिति:
- पुट्टस्वामी मामले (निजता का अधिकार) में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया कि क्या आधार को बैंक खातों से अनिवार्य रूप से जोड़ना संवैधानिक है या नहीं।
- उद्देश्य में अस्पष्टता:
- मतदाताओं के निर्धारण के उद्देश्य से आधार को वरीयता देना एक गलत निर्णय साबित हो सकता है क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
- अतः आधार के माध्यम से मतदाता पहचान सत्यापित करने से केवल दोहराव से निपटने में सहायता मिलेगी, लेकिन इससे उन मतदाताओं सूची से नहीं हटाया जा सकेगा जो मतदाता सूची में भारत के नागरिक नहीं हैं।
- मतदाताओं के निर्धारण के उद्देश्य से आधार को वरीयता देना एक गलत निर्णय साबित हो सकता है क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
- बायोमेट्रिक त्रुटियाँ :
- बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण में त्रुटि दरों का अनुमान व्यापक रूप से भिन्न होता है।
- वर्ष 2018 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अनुसार, आधार-आधारित बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन में त्रुटि दर 12% थी।
- मतदाता सूची को रिफ्रेश कर के तैयार करने के दौरान आधार का उपयोग करने के पिछले अनुभवों में भी यह चिंता दिखाई देती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में आंध्र और तेलंगाना में लिंकेज की प्रक्रिया को रोक दिया था जहाँ इसी तरह के अभ्यास के कारण लगभग 30 लाख मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया गया था।
- वर्ष 2018 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अनुसार, आधार-आधारित बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन में त्रुटि दर 12% थी।
- बायोमेट्रिक-आधारित प्रमाणीकरण में त्रुटि दरों का अनुमान व्यापक रूप से भिन्न होता है।
- निजता के अधिकार का उल्लंघन:
- मतदाता सूची और आधार के दो डेटाबेस को जोड़ने से आधार की "जनसांख्यिकीय" जानकारी को मतदाता पहचान पत्र की जानकारी के साथ जोड़ा जा सकता है जिससे राज्य निजता और निगरानी के अधिकार का उल्लंघन कर दुरुपयोग कर सकते हैं।
आगे की राह:
- विधान में सुधार:
- सरकार को किसी भी नए प्रावधान को लागू करने से पहले जनता की राय और गहन संसदीय जाँच की अनुमति देनी चाहिये।
- भारत जैसे संसदीय लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि न केवल आम नागरिक बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी उनके अधिकारों और अवसरों से वंचित न किया जाए।
- एक प्रस्तावित विधेयक के महत्त्व और चिंताओं को उठाते हुए उपयोगी बहस उन चिंताओं को पहचानने और समाप्त करने के लिये आवश्यक है जो कानून के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।
- नागरिकों की निजता सुनिश्चित करना:
- आधार-मतदाता पहचान पत्र एकीकरण को आगे बढ़ाने से पहले, सरकार को सबसे पहले व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा (PDP) कानून बनाने की ज़रूरत है।
- PDP शासन को सरकारी संस्थाओं पर भी लागू होना चाहिये और उन्हें विभिन्न सरकारी संस्थानों में अपना डेटा साझा करने से पहले एक व्यक्ति की स्पष्ट सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
प्रश्न. निजता के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम फैसले के संदर्भ में मौलिक अधिकारों के दायरे का परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |