शासन व्यवस्था
आपराधिक जाँच में नहीं होगा आधार का उपयोग : यूआईडीएआई
- 26 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार के तहत एकत्रित की गई पहचान संबंधी जानकारी को आपराधिक जाँच में प्रयोग किये जाने से इनकार किया है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि आधार संबंधी जानकारियों को न तो इससे पहले कभी किसी भी आपराधिक जाँच एजेंसी के साथ साझा किया गया है और न ही आगे किया जाएगा।
- प्राधिकरण ने अधिसूचित किया है कि आधार अधिनियम, 2016 के तहत आपराधिक जाँच हेतु आधार बॉयोमीट्रिक डेटा का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
- हाल ही में हैदराबाद में आयोजित फिंगर प्रिंट्स ब्यूरो के निदेशक मंडल के 19वें अखिल भारतीय सम्मेलन में एनसीआरबी ने अपराधियों को पकड़ने और अज्ञात निकायों की पहचान के उद्देश्य से पुलिस को आधार संबंधी सूचनाओं की सीमित उपलब्धता प्रदान किये जाने की बात कही थी।
बॉयोमीट्रिक डाटा से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के अनुसार, आधार में दर्ज लोगों की बायोमीट्रिक जानकारियों का आपराधिक जाँच के लिये इस्तेमाल करने की स्वीकृति नहीं है। हालाँकि अधिनियम की धारा 33 के तहत कुछ मामलों में जानकारी साझा करने की छूट दी गई है।
- धारा 33 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला होने पर आधार की बायोमीट्रिक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन यह भी सिर्फ तभी संभव है जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिये पूर्व - प्राधिकार दे चुकी हो।
- प्राधिकरण ने स्पष्ट कहा कि उनके पास दर्ज की गई बायोमीट्रिक जानकारियों का इस्तेमाल करने का अधिकार या तो आधार बनाने वाले या आधार धारक के वेरिफिकेशन करने के लिये किया जा सकता है। इन दोनों मामलों के अलावा किसी भी अन्य उद्देश्य से आधार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई)
- यह एक सांविधिक प्राधिकरण है, जिसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत 12 जुलाई, 2016 को की गई।
- एक सांविधिक प्राधिकरण के रूप में अपनी स्थापना से पूर्व यूआईडीएआई तत्कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) के तहत एक संबद्ध कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा था।
- बाद में सरकार द्वारा सरकारी कार्य आवंटन नियमों में संशोधन करके 12 सितंबर, 2015 को यूआईडीएआई को तत्कालीन सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग (डीईआईटीवाई) के साथ संबद्ध कर दिया गया।
- यूआईडीएआई की स्थापना भारत के सभी निवासियों को “आधार” नाम से एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) प्रदान करने हेतु की गई थी ताकि इसके द्वारा (क) दोहरी और फर्जी पहचान समाप्त की जा सके और (ख) उसे आसानी से एवं किफायती लागत में सत्यापित और प्रमाणित किया जा सके।
- प्रथम यूआईडी नम्बर महाराष्ट्र के निवासी, नन्दूरबार को 29 सितंबर, 2010 को जारी किया गया।
- आधार अधिनियम, 2016 के तहत यूआईडीएआई आधार नामांकन और प्रमाणीकरण, आधार जीवन चक्र के सभी चरणों के प्रबंधन और संचालन सहित व्यक्तियों को आधार नम्बर जारी करने और प्रमाणीकरण के लिये नीति, प्रक्रिया और प्रणाली विकसित करने तथा पहचान संबंधी जानकारी तथा प्रमाणीकरण रिकार्ड की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
लक्ष्य
- भारत के निवासियों को एक विशिष्ट पहचान उपलब्ध कराना, जिसे डिजिटल माध्यम से कहीं भी, कभी भी सत्यापित किया जा सके।
उद्देश्य
- ऐसे व्यक्तियों को आधार संख्या जारी करने के लिये नीति, प्रक्रिया और व्यवस्था विकसित करना, जो नामांकन की प्रक्रिया अपनाकर अपनी जनसांख्यिकीय जानकारी प्रस्तुत करके इस हेतु अनुरोध करेंगे।
- आधार धारकों के डिजिटल पहचान को अद्यतन और प्रमाणित करने के लिये नीति, प्रक्रिया और व्यवस्था संबंधी प्रक्रिया विकसित करना।
- यूआईडीएआई के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिये दीर्घकालिक सतत् संगठन बनाना।
- सभी व्यक्तियों और एजेंसियों द्वारा आधार अधिनियम का दृढ़ता से अनुपालन सुनिश्चित करना।
- आधार अधिनियम के प्रावधानों को पूरा करने के लिये आधार अधिनियम के अनुरूप विनियम और नियम बनाना।