आधार और अन्य विधियाँ संशोधन विधेयक, 2018 | 08 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने आधार और अन्य विधियाँ संशोधन विधेयक, 2018 को मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक का उद्देश्य तीन मौजूदा कानूनों, आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 में संशोधन करना है।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (सितंबर 2018) को लागू करने हेतु मौज़ूदा कानूनों को संशोधित करने के लिये लाया गया है।
- यह विधेयक आधार को बरकरार तो रखता है लेकिन भारत के समेकित कोष द्वारा वित्त पोषित कुछ सब्सिडी योजनाओं के लिये इसके उपयोग को सीमित करता है।
- यह विधेयक निजी कंपनियों के लिये प्रमाणीकरण हेतु आधार की अनिवार्यता को भी खत्म करता है।
विधेयक के प्रावधान
- बच्चों का नामांकन: यह विधेयक माता-पिता या अभिभावक की सहमति से आधार योजना में बच्चों के नामांकन की अनुमति देता है।
- वयस्क होने पर बच्चे आधार को नकार सकते हैं।
- ऑफलाइन सत्यापन: यह विधेयक ऑफलाइन सत्यापन की अनुमति देता है, यानी बायोमेट्रिक डेटा या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक साधनों का उपयोग किये बिना पहचान सत्यापित करने हेतु आधार संख्या का उपयोग।
- प्रमाणीकरण विफलता के कारण सेवाओं से इनकार नहीं: यह विधेयक स्पष्ट करता है कि वृद्धावस्था, बीमारी या तकनीकी कारणों से आधार संख्या के प्रमाणीकरण में विफलता की परिस्थिति में किसी भी सेवा, लाभ या सब्सिडी से इनकार नहीं किया जाना चाहिये। यह बताता है कि ऐसे मामलों में पहचान को सत्यापित करने हेतु वैकल्पिक साधनों का उपयोग किया जाना चाहिये।
- धारा 57 का खात्मा: विधेयक में आधार अधिनियम की धारा 57 को छोड़ देने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसने निजी संस्थाओं को सेवाएँ प्रदान करने से पहले पहचान प्रमाणित करने हेतु आधार संख्या का उपयोग करने की अनुमति दी थी।
- टेलीग्राफ कानून में संशोधन: विधेयक में दूरसंचार कंपनियों द्वारा पहचान सत्यापन के लिये आधार संख्या का स्वैच्छिक उपयोग करने हेतु भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1855 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। हालाँकि, विधेयक यह नहीं कहता है कि सत्यापन हेतु आधार का उपयोग अनिवार्य है।
- बैंक खाते और आधार: बैंक खाता खोलने से पहले बैंकों द्वारा पहचान सत्यापन के लिये आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देने हेतु धन शोधन निवारण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। आधार को पहचान सत्यापित करने हेतु एक साधन के रूप में निर्दिष्ट किया गया है और इसके उपयोग की कोई बाध्यता नहीं है।