अंतर्राष्ट्रीय संबंध
एक नए सौरमंडल की खोज : जीवन की नई राह
- 18 Dec 2017
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration - NASA) द्वारा दो नए एक्सोप्लैनेट्स (केप्लर-90i और केप्लर -80g) की खोज की गई है। यह खोज नासा के केप्लर स्पेस टेलीस्कोप (NASA’s Kepler Space Telescope) के आकलन पर आधारित है।
- एक्सोप्लैनेट्स के संदर्भ में अभी तक की नासा की सभी खोजों में यह काफी महत्त्वपूर्ण एवं भिन्न है – इसके दो कारण हैं पहला यह कि केप्लर-90i एक्सोप्लैनेट्स जोकि केप्लर 90 (Kepler 90) के चारो ओर घूर्णन करता है। यह सूर्य के समान एक अन्य तारा है जिसके चारों ओर आठ गृह परिक्रमा करते हैं।
- दूसरा यह है कि इस खोज के लिये गूगल की सहायता की गई है। गूगल के इंजीनियरों की ओर से आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस (artificial intelligence) मशीन की मदद ली गई, जिससे उन ग्रहों को खोजने में मदद मिली जिन्हें अभी तक नहीं खोजा जा सका था।
प्रमुख विशेषताएँ
- हमारे सौरमंडल की तरह ही केप्लर-90 एक ऐसा सितारा है जिसके चारों ओर ग्रह चक्कर काटते हैं। हमारे सौरमंडल के बाहर खोजा गया यह अभी तक का सबसे बड़ा सौरमंडल है।
- केप्लर-90 सौरमंडल के इस आठवें ग्रह को केप्लर 90i नाम दिया गया है। यह सूर्य की तुलना में थोड़ा गर्म और बड़ा है। खगोलशास्त्री इसके चारों ओर मौजूद सात ग्रहों को पहले से ही खोज चुके थे।
- हालाँकि इस सौरमंडल का प्रमुख ग्रह 2,545 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। तथापि इसके सभी ग्रह हमारे सौरमंडल की तरह ही क्रम में अवस्थित हैं।
- ऐसा कहा जा सकता है कि केप्लर-90 के ग्रहों की प्रणाली हमारे सौरंमडल का एक छोटा रूप है। इसके भीतर छोटे और बाहर बड़े ग्रह हैं. लेकिन सभी ग्रह एक दूसरे के करीब अवस्थित है।
- इसकी सबसे खास बात यह है कि इसकी कक्षा का अंतिम ग्रह इसके प्रमुख सितारे से लगभग उतनी ही दूरी पर है जितनी दूरी पर पृथ्वी से सूर्य है।
- इस नई दुनिया को केप्लर-90i का नाम दिया गया है। इसका ग्रह अपने सितारे का एक पूरा चक्कर 14.4 दिनों में पूरा करता है।
- नासा ने इस ग्रह के तापमान का आकलन किया है और यह करीब 425 डिग्री सेल्सियस है।
- इस मिशन के तहत नासा (NASA’s Kepler Space Telescope) द्वारा तकरीबन 200,000 तारों के साथ-साथ 35,000 ग्रहों की संभावनाओं के संदर्भ में शोध की गई।
- इसके अंतर्गत पृथ्वी जैसे एक अन्य ग्रह केप्लर 80 Kepler 80.की परिक्रमा करने वाले केप्लर 80g (Kepler 80g) ग्रह के विषय में भी अध्ययन किया गया। खगोलविदों के मुताबिक इन आठ में से एक 'पृथ्वी से सबसे ज़्यादा मिलता-जुलता' ग्रह है।
'जुड़वाँ' धरती
- खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, आठ में से केवल तीन ग्रह ही अपने परिचारक तारे के आवासीय क्षेत्र के भीतर अवस्थित हैं, साथ ही इनमें से केवल एक गृह ही पृथ्वी की तरह चट्टानी और थोड़ा गर्म है।
- पृथ्वी से सबसे ज़्यादा मिलते-जुलते इस 'ग्रह' को वैज्ञानिक भाषा में 'केप्लर 438b' नाम दिया गया है।
- इसके पहले 'केप्लर 186f' की खोज की गई थी, जिसे पृथ्वी जैसा ग्रह और पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह का नाम दिया गया था। इस खोज के बाद से वैज्ञानिकों द्वारा केप्लर 438b को पृथ्वी के सबसे करीब का ग्रह माना जा रहा है।
- यह आकार में पृथ्वी से लगभग 12 फ़ीसदी अधिक बड़ा तथा ‘केप्लर186f’ से लंबाई एवं चौड़ाई में अधिक है।
- हालाँकि ‘केप्लर 438b’ तथा पृथ्वी के तापमान में अधिक समानता पाई गई है।
अधिक लाल क्यों?
- संभवतः हमारी धरती सूरज से जितनी ऊर्जा लेती है उसकी तुलना में केप्लर 438b अपने तारे से 40 फ़ीसदी अधिक ऊर्जा लेता है।
- यह ग्रह ज़्यादा ठंडे तारे रेड ड्वार्फ के चारों ओर चक्कर काटता है, इसलिये पृथ्वी से अधिक लाल दिखाई देता है।