राजस्थान में ज़ीका वायरस | 09 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के जयपुर में ज़ीका वायरस के 22 मामलों की पुष्टि के बाद सरकार ने पड़ोसी राज्यों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। आईसीएमआर की निगरानी प्रणाली के माध्यम से जयपुर में इस बीमारी के प्रकोप की जानकारी मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पहले मामले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद 7 सदस्यों की उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम बीमारी को नियंत्रित करने में राज्य सरकार की सहायता के लिये जयपुर रवाना की गई है।
प्रमुख बिंदु
- ज़ीका वायरस पर हाई अलर्ट जारी करते हुए हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत पड़ोसी राज्यों को सतर्क कर दिया है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के स्तर पर स्थिति की समीक्षा की जा रही है और स्वास्थ्य सचिव द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है।
- स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) के नेतृत्व में तकनीकी विशेषज्ञों के एक उच्चस्तरीय संयुक्त निगरानी समूह की दो बार बैठक हुई है।05 अक्तूबर, 2018 से उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम बीमारी पर नियंत्रण और निगरानी के लिये जयपुर में है।
- राष्ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) में नियंत्रण कक्ष कार्य कर रहा है ताकि स्थिति पर नियमित रूप से नज़र रखी जा सके।
- चिन्हित क्षेत्र में सभी संदिग्ध मामलों तथा मच्छरों के नमूनो की जाँच की जा रही है। वायरल शोध तथा निदान प्रयोगशालाओं को जाँच हेतु अतिरिक्त किट प्रदान किये जा रहे हैं।
- राज्य सरकार को ज़ीका वायरस बीमारी और रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये आईईसी सामग्री भेजी गई है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से क्षेत्र की सभी गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जा रही है। राज्य सरकार क्षेत्र में व्यापक निगरानी तथा मच्छर नियंत्रण के उपाय कर रही है।
ज़ीका वायरस रोग
- ज़ीका वायरस बीमारी नई है और विश्व के 86 देशों में यह बीमारी पाई गई है। ज़ीका वायरस बीमारी के लक्षण डेंगू जैसे वायरल संक्रमण की तरह हैं।
- बीमारी के लक्षणों में बुखार आना, त्वचा पर लाल चकत्ते उभरना, आँख में जलन होना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, बैचेनी और सिरदर्द आदि शामिल हैं।
- भारत में पहली बार यह बीमारी जनवरी/फरवरी, 2017 में अहमदाबाद में फैली और दूसरी बार 2017 में यह बीमारी तमिलनाडु के कृष्णागिरी ज़िले में पाई गई। दोनों ही मामलों में सघन निगरानी और मच्छर प्रबंधन के ज़रिये इस पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया गया।
- यह बीमारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गहन निगरानी में है। यद्यपि 18 नवबंर, 2016 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की अधिसूचना के अनुसार यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता की स्थिति नहीं है।
क्या हो सकता है खतरा?
- वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है और शिशुओं में माइक्रोसिफेली तथा अन्य गंभीर मस्तिष्क रोगों का कारण बन सकता है।
- वयस्कों में यह गुलैन-बैरे सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करती है और कई जटिलताओं की शुरुआत होती है|
अब तक इसके लिये कोई वैक्सीन या दवा नहीं बनी। यह वायरस सबसे ज़्यादा गर्भवती और गर्भ में पल रहे बच्चों पर अटैक करता है।