भारत ने पाकिस्तानी जलविद्युत के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया | 01 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच लाहौर में भारत-पाकिस्तान स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की 115वीं बैठक संपन्न हुई। इस बैठक के परिणामस्वरूप भारत ने पाकिस्तान को पाकल दुल और लोअर कलनाई जलविद्युत परियोजनाओं के स्थलों का मुआयना करने के लिये आमंत्रित किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस बैठक में सिंधु जल समझौता 1960 के प्रावधानों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में पाकल दुल (1000 मेगावाट) और लोअर कलनाई (48 मेगावाट) सहित विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर तकनीकी चर्चाएँ आयोजित की गईं।
- विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि दोनों देश सिंधु बेसिन में संधि द्वारा आदेशित सिंधु आयुक्तों की यात्रा के लिये सहमत हुए। संधि के तहत मामलों के लिये स्थायी सिंधु आयोग की भूमिका को और मज़बूत करने पर विचार-विमर्श किया गया।
- नियमित तौर पर होने वाली यह वार्ता इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लाहौर में हुई पहली द्विपक्षीय वार्ता है।
- इससे पहले स्थायी सिंधु आयोग की पिछली वार्ता मार्च में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
सिंधु जल समझौता
- लगभग एक दशक तक विश्व बैंक की मध्यस्थता में बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को समझौता हुआ। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किये।
- इस समझौते के तहत छह नदियों—व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बाँटा गया था। 3 पूर्वी नदियों का नियंत्रण भारत के पास है; इनमें व्यास, रावी और सतलज आती हैं तथा 3 पश्चिमी नदियों का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है; इनमें सिंधु, चिनाब और झेलम आती हैं।
- पश्चिमी नदियों पर भारत का सीमित अधिकार है। भारत इन 6 नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को देता है और 20% पानी भारत के हिस्से आता है।