अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-रूस शिखर सम्मेलन 2018
- 09 Oct 2018
- 5 min read
संदर्भ
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत-रूस शिखर सम्मेलन 2018 के लिये भारत का दौरा किया। गौरतलब है कि यह 19वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन था।
भारत और रूस के बीच सामरिक साझेदारी के लिये भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच यह वार्षिक शिखर सम्मेलन उच्चतम संस्थागत वार्ता तंत्र है।
भारत-रूस संबंध
- भारत तथा रूस के राजनयिक संबंध 70 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं।
- 1950 के दशक से ही यूएसएसआर के साथ भारत का मैत्रीपूर्ण संबंध रहा है तथा 1971 के भारत-सोवियत मैत्री संधि द्वारा संबंधों को और अधिक मज़बूत किया गया।
- दोनों देश विशेष संबंधों के साथ तब जुड़े जब अक्तूबर, 2000 में भारत-रूस सामरिक साझेदारी की घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए।
- दिसंबर 2010 में सामरिक साझेदारी को विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया गया।
- सोवियत काल के बाद भारत-रूस संबंधों ने राजनीतिक, सुरक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी एवं संस्कृति सहित द्विपक्षीय संबंधों के लगभग सभी क्षेत्रों में सहयोग के उन्नत स्तर के साथ गुणात्मक रूप से नया चरित्र हासिल किया है।
शिखर सम्मेलन के दौरान प्रमुख समझौते
- रूस के राष्ट्रपति राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। ये समझौते रूस तथा भारत के बीच होने वाले सहयोग को और अधिक मज़बूती प्रदान करेंगे।
- भारत ने S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिये रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर का सौदा किया है।
- S-400 ट्रायम्फ मिसाइल 400 किमी की दूरी तक शत्रु-विमान, गुप्त लड़ाकू-विमान, मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट कर सकता है।
- S-400 रडार एक साथ सैकड़ों लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं।
- भारत और रूस ने आपसी निवेश को 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार 10 बिलियन डॉलर से भी कम है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फेडेरल स्पेस एजेंसी ऑफ रूस (ROSCOSMOS) ने भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन परियोजना ‘गगनयान’ पर सहयोग के लिये ‘समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किये।
- भारतीय और रूसी रेलवे के बीच सहयोग के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए जिसके द्वारा रूसी रेलवे कंपनी आधुनिक रेल मार्ग बनाने में भारत की मदद करेगी।
- परमाणु क्षेत्र में सहयोग की प्राथमिकता और कार्यान्वयन के लिये कार्य योजना पर हस्ताक्षर किये गए तथा इस समझौते के तहत रूस अगले 20 वर्षों में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की 12 इकाइयों का निर्माण करेगा।
- अन्य समझौतों में छोटे उद्योग, उर्वरक और विदेशी मंत्रालयों के बीच परामर्श से संबंधित ‘समझौता ज्ञापन’ शामिल हैं।
आगे की राह
- इस दौरे का मुख्य आकर्षण S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का सौदा था। काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शन एक्ट (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act-CAATSA) के तहत भारत पर प्रतिबंधों की चेतावनी के बावजूद भारत इस सौदे के साथ आगे बढ़ा।
- यह ऐसा कानून है जो रूस, ईरान और उत्तरी कोरिया के साथ प्रमुख रूप से व्यापार संबंध रखने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है।
- इस समझौते पर भारत द्वारा हस्ताक्षर करना ‘सामरिक स्वायत्तता’ की तरफ इशारा करता है, जिसका अर्थ यह है कि भारत की सुरक्षा तथा विदेशी नीति के हितों को किसी तीसरे देश द्वारा निर्देशित नहीं किया जा सकता है।
- शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में किये गए हस्ताक्षर, जैसे- परमाणु, रेलवे और अंतरिक्ष, रूस के लिये भारत के महत्त्व को दर्शाते हैं।
तथ्य यह भी दर्शाते हैं कि बदलते समय के साथ भारत रक्षा सहयोग से आगे बढ़कर रूस के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने के बारे में सोच रहा है।