सरकार ने तीन सार्वजनिक बैंकों के विलय का लिया फैसला | 18 Sep 2018
चर्चा में क्यों?
हाल में वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बड़े बैंकों देना बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा विजया बैंक के विलय का फैसला लिया। इन बैंकों के विलय के साथ ही देश का तीसरा बड़ा बैंक अस्तित्व में आ जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- सरकार के इस फैसले का उद्देश्य एक ऐसे बड़े बैंक की स्थापना करना है जो टिकाऊ हो तथा उसकी ऋण क्षमता बहुत अधिक हो।
- यह निर्णय एक वैकल्पिक तंत्र जिसका गठन सरकार ने अक्तूबर, 2017 में राज्य संचालित बैंकों के विलय संबंधी प्रस्तावों को मंज़ूरी प्रदान करने के लिये किया था, की बैठक में लिया गया।
- अनुमानतः इन बैंकों का संयुक्त व्यापार 14.82 लाख करोड़ रुपए का होगा।
- यह निर्णय बैंकों की क़र्ज़ देने की क्षमता बढ़ाने, बैंकिंग प्रणाली को दुरुस्त करने तथा आर्थिक वृद्धि को गति देने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।
- विलय के बाद भी ये बैंक स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहेंगे।
- उल्लेखनीय है कि देना बैंक को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई ढाँचे के तहत ऋण देने से प्रतिबंधित किया गया है, शेष दो बैंकों में से केवल विजया बैंक ने 2017-18 में लाभ प्रदर्शित किया था।
पूर्व में भी हुआ बैंकों का विलय
- वर्ष 2017 में भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी पाँच अनुषंगी (subsidiary) इकाइयों का स्वयं में विलय किया था इसके अलावा, महिलाओं के लिये गठित भारतीय महिला बैंक का भी विलय किया गया था।
विलय प्रक्रिया
- इस विलय प्रस्ताव को पहले तीनों बैंकों के निदेशकों से मंज़ूरी मिलना आवश्यक है।
- निदेशकों की मंज़ूरी के बाद सरकार इन बैंकों के एकीकरण की संपूर्ण योजना तैयार करेगी।
- सरकार द्वारा तैयार योजना को सबसे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल और उसके बाद संसद की मंज़ूरी मिलना आवश्यक है।
विलय से होने वाले लाभ
- वित्त मंत्रालय के अनुसार, विलय से ये बैंक मज़बूत होंगे तथा इनकी क़र्ज़ देने की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
- बैंकिंग गतिविधियों में वृद्धि तथा बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
- बैंकों की संख्या कम होगी और उन्हें बेहतर तरीके से पूंजी उपलब्ध कराई जा सकेगी जिसके परिणामस्वरूप ये बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों से प्रतिस्पर्द्धा कर सकेंगे।
- परिचालन दक्षता और ग्राहकों को दी जाने वाली सेवा बेहतर होगी।
इन तीन बैंकों का ही चयन क्यों किया गया?
- इन तीन बैंकों को विलय के लिये चुने जाने के पीछे निहित कारणों में से एक कारण यह हो सकता है कि ये तीनों बैंक एक ही कोर बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करते हैं, जो प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों और बैक-एंड का विलय करने के कार्य को अपेक्षाकृत आसान बनाता है।
आगे की राह
- तीनों बैंकों में से प्रत्येक के व्यक्तिगत बोर्ड को इस विलय को मंज़ूरी देनी होगी। यह भी देखना होगा कि क्या यह विलय बैड लोन के भारी दबाव को खत्म करने में प्रभावी होगा जो वर्तमान में लगभग सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन में कमी को दर्शाता है। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (जो NPA या बैड लोन की समस्या से ग्रस्त हैं) के लिये समान रणनीति का विस्तार करेगी।