8वीं विश्व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कॉन्ग्रेस | 24 Aug 2017

चर्चा में क्यों ?

केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा और खनन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में तीन दिन तक चलने वाली 8वीं विश्व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कॉन्ग्रेस में भाग ले रहे प्रतिनिधियों को संबोधित किया। 

उद्देश्य 

  • इस वार्षिक सम्‍मेलन की परिकल्‍पना और योजना ‘2022 तक सब के लिये ऊर्जा स्‍वतंत्रता और बिजली’ प्राप्‍त करने के भारत के विज़न की पृष्‍ठभूमि में तैयार की गई है। 
  • यह सम्‍मेलन स्‍वच्‍छ, विश्‍वसनीय और किफायती ऊर्जा आपूर्तियाँ सुनिश्चित करने के लिये  नवीन हरित प्रौद्योगिकियों पर ध्‍यान केन्द्रित करता है। 
  • यह विशेषज्ञों, निवेशकों और अन्‍य हितधारकों यथा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, सलाहकार समूहों, सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, गैर-लाभकारी संगठनों, पर्यावरणविदों और शिक्षाविदों को एक मंच पर लाते हुए सूचना का आदान-प्रदान करने, अनुभव और बेहतरीन पद्धतियों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।

सबसे बड़ी चुनौती 

  • पिछले 10 से 15 वर्षों में दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि होने के कारण पर्यावरण की गुणवत्ता में तेज़ी से गिरावट आई है और यह आज मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। 
  • इसी के मद्देनज़र, पेरिस समझौते के बाद, समूचे विश्‍व ने इस बात को स्‍वीकार किया है कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती है और इसको दुनिया भर में मिशन मोड में हल किये जाने की आवश्‍यकता है।

भारत द्वारा किये जा रहे उपाय

  • भारत इस चुनौती से निपटने के लिये वैश्विक मंच पर अनेक अनुबंधों की अगुवाई कर रहा है, जिनमें अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), मिशन इनोवेशन, ऊर्जा क्षेत्र के त्‍वरित डिकार्बनाइजेशन के संबंध में वैश्विक अनुबंध, अफ्रीकी नवीकरणीय ऊर्जा पहल शामिल हैं। 
  • जी-20 देशों के ऊर्जा मंत्री भी अन्‍य बातों के अलावा, इस बात का पता लगाने के लिये  एकजुट हो रहे हैं कि विश्‍व के बेहतर भविष्‍य के लिये और कौन से उपाय किये जा सकते हैं।

3-डी 

  • वर्तमान में 3-डी ऐसे हैं, जिस पर विश्‍व को अपनी ऊर्जा फोकस करने की आवश्यकता है। 
  • ये 3-डी हैं- ऊर्जा क्षेत्र के डिकार्बनाइजेशन का साझा लक्ष्‍य, ऊर्जा क्षेत्र का और अधिक विकेन्‍द्रीकरण करने की संभावनाओं पर विचार तथा ऊर्जा क्षेत्र का अधिक से अधिक डिजिटलीकरण। 
  • विश्व समुदाय को यह समझना होगा कि समय तेज़ी से कम होता जा रहा है और स्‍वच्‍छ ऊर्जा को बढ़ावा देने तथा ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कमी लाने के लिये आपस में तालमेल बैठाते हुए प्रयासों में तेज़ी लाने की आवश्‍यकता है। 
  • अगर इन 3-डी का मामला नहीं सुलझाया, तो विश्‍व को अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी का सामना करना पड़ सकता है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकीय प्रगति भारत जैसी उभरती और बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिये, नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक आकर्षक बनाएगा, विशेषकर उस समय जब ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों के अन्‍य स्‍वरूपों की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा की लागत कम है।