भारत-US आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी | 06 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये:

EFP, पेरिस क्लब

मेन्स के लिये:

भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध

चर्चा में क्यों?

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी (Economic and Financial Partnership- EFP) हेतु 7वीं बैठक 1 नवंबर, 2019 को नई दिल्ली में संपन्न हुई।

मुद्दे:

  • EFP की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों, उन मुद्दों पर अमेरिका और भारत का आर्थिक दृष्टिकोण, वैश्विक ऋण स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, पूंजी प्रवाह एवं निवेश जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की।
  • इस बैठक के दौरान डेटा स्थानीयकरण (Data localization), मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

उद्देश्य:

  • आर्थिक और वित्तीय भागीदारी का उद्देश्य दोनों देशों के मध्य स्थापित आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करना है।
  • बदलते वैश्विक भू-राजनीति में आर्थिक व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों के बढ़ते महत्त्व के मद्देनज़र दोनों देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने संबंधी गतिविधियों का संचालन।

भारत-अमेरिका साझेदारी:

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने बीमा क्षेत्र के विनियमन से संबंधित जानकारी के समन्वय, परामर्श और विनिमय के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  • भारत की अवसंरचना संबंधी योजनाओं में दोनों पक्ष पूंजी और तकनीक जैसे पहलुओं पर मिल कर कार्य कर रहे हैं।
  • भारत ने अपने बुनियादी ढाँचे में निजी संस्थागत निवेश को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अवसंरचना और निवेश कोष (National Investment and Infrastructure Fund- NIIF) की स्थापना की है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने सरकार की स्मार्ट शहर परियोजना में स्थानीय बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु वर्ष 2017 में पुणे नगरपालिका को नगरपालिका बाॅण्ड लॉन्च करने में सहायता की।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ऋण स्थिरता और पारदर्शिता में सुधार के लिये वैश्विक प्रयासों का समर्थन करते हैं, साथ ही इसके लिये G20 अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रयासों को क्रियान्वित करने पर ज़ोर देते हैं। वर्ष 2019 में भारत पेरिस क्लब के साथ स्वेच्छा से जुड़ा एक पर्यवेक्षक देश है।

पेरिस क्लब (Paris Club)

  • पेरिस क्लब की स्थापना वर्ष 1956 में विकासशील और उभरते (Emerging) देशों की ऋण समस्याओं के समाधान के लिये की गई थी।
  • इसकी स्थापना के समय विश्व शीत युद्ध, अंतरराष्ट्रीय पूंजी प्रवाह की जटिलता, वैश्विक स्तर पर विनिमय दर के मानकों का अभाव और अफ्रीका के कुछ देशों द्वारा औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता की प्राप्ति जैसी परिस्थितियाँ विद्यमान थी।
  • अर्जेंटीना ने एक बड़ी ऋण धोखाधड़ी के लिये वैश्विक समुदाय से सहायता की अपील की जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1956 में फ्राँस द्वारा पेरिस में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसे पेरिस क्लब कहा गया।
  • इस समय इसके 22 स्थायी सदस्य हैं, भारत इसका पर्यवेक्षक देश है।
  • इसका सचिवालय पेरिस में स्थित है।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अंतर-सरकारी समझौते के तहत विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (Foreign Account Tax Compliance Act- FATCA) के अंतर्गत वित्तीय खाता जानकारी साझा की जाती है।

आगे की राह:

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और बढ़ावा दिया जाना चाहिये जिससे दोनों देशों के आर्थिक विकास में अधिक प्रगति हो सके।

निष्कर्ष:

  • भारत और अमेरिका तकनीकी सहायता सहित नगरपालिका बाॅण्ड जारी करने, अधिक शहरों को इसके लिये तैयार करने और भारत के बुनियादी ढाँचे में संस्थागत निवेश को लेकर तत्पर हैं।

स्रोत: PIB