विश्व की 6% भाषाओं का वक्ता है भारत | 08 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2019 को संयुक्त राष्ट्र की स्थानीय भाषा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया गया है। वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मंच पर स्थानीय मुद्दों के संदर्भ में दी गई जानकारी के अनुसार, दुनिया भर में बोली जाने वाली लगभग 6,700 भाषाओं में से 40% गायब होने के कगार पर हैं।
प्रमुख बिंदु
- प्रशांत द्वीप राष्ट्र के पापुआ न्यू गिनी में दुनिया की सबसे अधिक ’स्वदेशी भाषाएँ (840) बोली जाती है, जबकि भारत 453 भाषाओं के साथ चौथे स्थान पर है।
- कई भाषाएँ अब लुप्तप्राय (Endangered) हैं और कई भाषाएँ जैसे- तिनिगुआन (कोलम्बियाई मूल) बोलने वाला केवल एक ही मूल वक्ता बचा है।
- नृवंश-विज्ञान (Ethnologue) जो भाषाओं की एक निर्देशिका है, में दुनिया भर की 7,111 ऐसी भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है जो अभी भी लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
- चीनी, स्पेनिश, अंग्रेज़ी, हिंदी और अरबी दुनिया भर में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। दुनिया भर में 40% से अधिक लोगों द्वारा इन भाषाओं को बोला जाता है।
- अमेरिका में 335 भाषाएँ और ऑस्ट्रेलिया में 319 भाषाएँ बोली जाती हैं, ये व्यापक रूप से अंग्रेज़ी बोलने वाले देश हैं।
- एशिया एवं अफ्रीका में सबसे अधिक देशी भाषाएँ (कुल का लगभग 70%) बोली जाती हैं।
- सामान्यतः एक देश में सभी की मातृभाषा एक ही होती है लेकिन देश में स्थानीय लोगों द्वारा विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं, इसका तात्पर्य यह है कि देश भर में अधिक भाषाओं का प्रसार किया जाए।
- नृवंश-विज्ञान (Ethnologue) के अनुसार, 3,741 भाषाएँ ऐसी हैं, जिसे बोलने वाले 1,000 से भी कम हैं। कुछ परिवारों में ही कई भाषाएँ बोली जाती हैं, हालाँकि इनका प्रतिशत बहुत ही कम है।
भाषायी नृविज्ञान
Linguistic anthropology
- यह मानवशास्त्र की एक महत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें ऐसी भाषाओं का अध्ययन किया जाता है जो वर्तमान में लोगों द्वारा बोली जाती हैं।
- ऐसी भाषा को समझने के लिये शब्दकोश व व्याकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। शोधकर्त्ता को भाषा का अध्ययन करके शब्दकोश व व्याकरण तैयार करना पड़ता है।
- इसमें भाषाओं की उत्पत्ति, उद्विकास व विभिन्न समकालीन भाषाओं के बीच अंतर का अध्ययन किया जाता है।
- मानवविज्ञान की शाखा के रूप में भाषायी मानवविज्ञान अपने आप में पूर्ण एवं स्वायत है।
- संस्कृति का आधार भाषा है। भाषा का अध्ययन कर हम संस्कृति को समझ सकते हैं।
- इसके अंतर्गत भाषा के निम्न पहलुओं जैसे भाषा की संरचना, शब्दावली, व्याकरण, विभिन्न भाषाओं का अध्ययन करके उन्हे वर्गीकृत करने का प्रयास, भाषा की उत्पत्ति एवं समय के साथ उसमें आए बदलावों का अध्ययन आदि का अध्ययन किया जाता है।
भारत के संदर्भ में
- अधिकांश भारतीय भाषाएँ उन भाषाओं से व्युत्पन्न हैं जो एशिया के अन्य भागों में भी बोली जाती हैं। उदाहरण के लिये, चीनी-तिब्बती भाषाएँ पूर्वोत्तर भारत, चीन, भूटान, नेपाल और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में बोली जाती हैं।
- हालाँकि एक अंडमानी भाषा परिवार है, जो केवल भारत तक ही सीमित है।
- यूनेस्को द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में वर्ष 1950 से लगभग पाँच भाषाएँ विलुप्त हो गई हैं, जबकि 42 गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
भाषाओं की संख्या में गिरावट
- यूनेस्को की 'एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर' (Atlas of the World's Languages in Danger) के अनुसार, वर्ष 1950 से अब तक लगभग 228 भाषाएँ विलुप्त हो चुकी हैं।
- लगभग 10% भाषाओं को भेद्य (Vulnerable) की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, जबकि अन्य 10% 'गंभीर रूप से संकटग्रस्त' (Critically Endangered) हैं।
यूनेस्को द्वारा अपनाए गए मानदंडों के अनुसार, कोई भाषा तब विलुप्त हो जाती है जब कोई भी व्यक्ति उस भाषा को नहीं बोलता है या याद नहीं रखता है। यूनेस्को ने लुप्तप्राय के आधार पर भाषाओं को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:-
- सुभेद्य (Vulnerable)
- निश्चित रूप से लुप्तप्राय (Definitely Endangered)
- गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Severely Endangered)
- गंभीर संकटग्रस्त (Critically Endangered)