भारतीय अर्थव्यवस्था
आत्मनिर्भर भारत अभियान की पाँचवीं किश्त
- 18 May 2020
- 12 min read
प्रीलिम्स के लिये:आत्मनिर्भर भारत अभियान, COVID-19 मेन्स के लिये:COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों से निपटने हेतु सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा देश में COVID-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत राहत पैकेज की पाँचवीं किश्त की घोषणा की है। सरकार के द्वारा जारी इस पैकेज में निजी क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की बढ़ती मांग को देखते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की पाँचवीं और अंतिम किश्त में मनरेगा (‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम’) के बजट परिव्यय में 65% की वृद्धि की गई है।
- साथ ही राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद’ पर राज्यों की ऋण लेने की सीमा को 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया है।
- केंद्र सरकार की नई नीति के तहत निजी कंपनियों को सभी क्षेत्रों में अनुमति दी गई है जबकि सार्वजनिक कंपनियों/उद्यमों को रणनीतिक क्षेत्रों के लिये सीमित रखा गया है।
- इसके अतिरिक्त कॉर्पोरेट उद्यमों को ‘भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड’ (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) और कंपनी अधिनियम (Company Act) में भी कुछ परिवर्तनों के माध्यम से राहत दी गई है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार:
- COVID-19 और इसके नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन से औद्योगिक गतिविधियों के बंद होने के कारण पिछले कुछ दिनों में देश में शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ बड़ी संख्या में मज़दूरों का पलायन देखने को मिला है।
- ऐसे में आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की बढती मांग को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना के तहत 40,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि जारी करने की घोषणा की है।
- वर्ष 2006 में 200 ज़िलों से शुरू किये गए मनरेगा कार्यक्रम के तहत हाल के वर्षों में वर्ष 2010-11 (5.5 करोड़ परिवार) के बाद पुनः रोज़गार की मांग में काफी वृद्धि देखने को मिली है। (2018-19 में 5.27 करोड़ और 2019-20 में 5.47 करोड़)
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में मई, 2020 में मनरेगा के तहत पंजीकृत श्रमिकों की संख्या में 40-50% की वृद्धि देखी गई है।
- हाल ही में केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत औसत दैनिक मज़दूरी को 182 बढ़ाकर 202 रुपए कर दिया था।
संशोधित ऋण सीमा:
- केंद्र सरकार ने वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए राज्यों को उनके राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) पर ऋण लेने की सीमा को 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया है।
- सरकार के इस फैसले के परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को 4.28 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त आर्थिक मदद दी जा सकेगी।
- हालाँकि राज्यों को बढ़ी हुई ऋण सीमा का लाभ लेने के लिये केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों का पालन करना पड़ेगा।
संशोधित ऋण सीमा की शर्तें:
- केंद्र सरकार द्वारा संशोधित ऋण सीमा में से मात्र 0.5% ही बिना किसी शर्त के जारी किया जा सकता है, जबकि बाकी 1.5% के लिये राज्यों को कुछ अनिवार्य शर्तों का पालन करना होगा।
- इस संशोधित सीमा के तहत GSDP पर मिलने वाले 1% ऋण को कुछ शर्तों के आधार पर 0.25% की चार किश्तों में जारी किया जाएगा।
- ये चार किश्तें राज्य सरकारों को राशन वितरण प्रणाली में सुधार (एक देश, एक राशन कार्ड), स्थानीय निकायों में सुधार, विद्युत वितरण प्रणाली और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) की दिशा में आवश्यक सुधारों के लिये दी जाएंगी।
- शेष 0.5% ऋण की अनुमति के लिये उपरोक्त चार लक्ष्यों में से तीन लक्ष्यों को प्राप्त करना आवश्यक होगा।
निजी क्षेत्र को बढ़ावा:
- केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, सरकार द्वारा प्रस्तावित नई नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों के साथ ही सभी औद्योगिक क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया जाएगा।
- इस नई नीति के तहत ऐसे रणनीतिक क्षेत्रों की सूची जारी की जाएगी जहाँ निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ कम-से-कम एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी/उपक्रम (Public Sector Undertakings- PSUs) की उपस्थिति आवश्यक होगी।
- सरकार की योजना के तहत अन्य सभी क्षेत्रों में व्यवहारिकता के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्रस्तावित योजना के तहत सामान्यतः रणनीतिक क्षेत्रों में PSUs की अधिकतम संख्या चार ही होगी बाकी अन्य कंपनियों के लिये निजीकरण, विलय आदि के विकल्प खुले होंगे।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में भी केंद्रीय वित्तमंत्री ने गैर-वित्तीय सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को 51% से कम करने की बात कही थी।
अन्य आर्थिक सुधार:
- सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेशी शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध करने के नियमों में ढील देने का प्रस्ताव किया है।
- केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, COVID-19 से जुड़े ऋण को इनसॉल्वेंसी कार्यवाही शुरू करने का आधार नहीं माना जाएगा और साथ ही केंद्र सरकार द्वारा अगले एक वर्ष के लिये दिवालियापन से जुड़ी कोई कार्रवाई नहीं शुरू की जाएगी।
- ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ (Micro, Small & Medium Enterprises- MSME) की इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया शुरू करने की न्यूनतम सीमा बढ़ा कर 1 करोड़ रुपए कर दी गई है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रस्तावित सुधार:
- केंद्रीय वित्तमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों हेतु ‘स्वास्थ्य और देखभाल केंद्रों’ के सरकारी खर्च में वृद्धि और हर ज़िले में संक्रामक रोगों के लिये विशेष अस्पताल तथा ब्लॉक स्तर पर प्रयोगशालाओं की स्थापना की बात कही।
- हालाँकि स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रस्तावित सुधारों के संदर्भ में किसी वित्तीय परिव्यय की जानकारी नहीं दी गई है।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी योजनाएँ:
- COVID-19 और लॉकडाउन के कारण हो रहे अकादमिक नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा ‘पीएम ई-विद्या' (PM e-Vidya) योजना की घोषणा की जाएगी।
- इस योजना के तहत छात्रों को विभिन्न माध्यमों के जरिये शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, साथ ही कक्षा 1 से 12 के लिये अलग-अलग टीवी चैनलों की शुरुआत भी की जाएगी।
- इससे पहले केंद्र सरकार ने इस माह के अंत तक देश में शीर्ष के 100 विश्वविद्यालयों के द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं को चालू किये जाने की योजना की घोषणा की थी।
लाभ:
- केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के लिये प्रस्तावित राशि में वृद्धि के निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की चुनौती को कम करने में सहायता प्राप्त होगी।
- COVID-19 के कारण अगले कुछ महीनों तक रोज़गार के अवसरों में कमी बनी रह सकती है, ऐसे में मनरेगा के तहत श्रमिकों की दैनिक आय में वृद्धि से इस योजना से जुड़े परिवारों को आर्थिक मदद पहुँचाई जा सकेगी।
- COVID-19 और लॉकडाउन के कारण राज्य सरकारों की आय और जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान है, ऐसे में ऋण सीमा को 3% से बढ़ाकर 5% करने से राज्य सरकारों को वर्तमान आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद प्रदान की जा सकेगी।
- लॉकडाउन का प्रभाव अन्य क्षेत्रों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी देखने को मिला है, शहरी क्षेत्रों में रहने वाले व आर्थिक रूप से मज़बूत परिवारों के छात्र इंटरनेट के माध्यम से कुछ सीमा तक अपनी शिक्षा जारी रखने में सफल रहे थे परंतु ग्रामीण और कम आय वाले परिवारों के लिये यह एक चुनौती थी, ऐसे में PM e-Vidya योजना के माध्यम से देश के सभी क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित की जा सकेगी।
चुनौतियाँ:
- विशेषज्ञों के अनुसार, ऋण सीमा में वृद्धि के साथ रखी गई अनिवार्य शर्तों के कारण राज्य सरकारें इसके तहत अधिक धन नहीं निकलना चाहेंगी और राज्य सरकारों को महँगी दरों पर बाज़ार से धन जुटाना पड़ेगा। अतः इन योजनाओं में केंद्र व राज्य सरकारों के बीच और विचार-विमर्श किया जाना चाहिये था।
- वर्तमान में वैश्विक मंदी जैसी स्थितियों के बीच PSUs के विलय या निजीकरण से सरकार को अधिक खरीददार नहीं मिलेंगे और प्रतिस्पर्द्धा के अभाव में निजीकरण से अपेक्षित धन नहीं प्राप्त हो सकेगा।