50 भारतीय वस्तुएँ अमेरिकी ड्यूटी फ्री लिस्ट से बाहर (US Duty Free List) | 02 Nov 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने विदेशों से आयात होने वाले उत्पादों को शुल्क मुक्त प्रविष्टि अथवा ड्यूटी फ्री लिस्ट से बाहर कर दिया है। अब इन वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा आयात शुल्क वसूल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने जिन उत्पादों को ड्यूटी फ्री लिस्ट की श्रेणी से बाहर रखा है, उनमें भारतीय उत्पाद भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- अमेरिका ने विदेशों से आयात होने वाले 90 उत्पादों को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) के शुल्क मुक्त प्रावधानों के अंतर्गत ड्यूटी फ्री लिस्ट की श्रेणी से बाहर कर दिया है। उल्लेखनीय है कि इन उत्पादों में 50 भारतीय उत्पाद भी शामिल हैं।
- अर्जेंटीना, ब्राज़ील, थाईलैंड, सूरीनाम, पाकिस्तान, तुर्की, फिलीपींस, इक्वाडोर और इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों के उत्पादों को भी GSP सूची से बाहर कर दिया गया है।
- अमेरिका के नए फैसले के अनुसार, ये उत्पाद GSP प्रोग्राम के तहत शुल्क मुक्त प्रावधान अथवा ड्यूटी फ्री प्रेफरेंस के योग्य नहीं होंगे, लेकिन मोस्ट फेवर्ड नेशन की शुल्क दरों के साथ इनका आयात किया जा सकता है।
- अमेरिका का यह नया फैसला 1 नवंबर, 2018 से लागू हो गया है।
भारत पर असर
- शुल्क मुक्त सूची से बाहर हुए 90 सामानों की समीक्षा करने पर पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन का नया फैसला देश आधारित नहीं, बल्कि वस्तु आधारित है।
- चूँकि भारत अमेरिका के GSP कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, इसलिये इस नए फैसले का सबसे अधिक असर भारत पर ही पड़ेगा।
- 2017 में (GSP के तहत) भारत द्वारा अमेरिका को 5.6 बिलियन डॉलर से अधिक का ड्यूटी फ्री निर्यात किया गया।
- ट्रम्प प्रशासन के नवीनतम कदम का अमेरिका में भारत के निर्यात पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन उन उत्पादों की सूची जिन्हें ड्यूटी फ्री प्रावधान की श्रेणी से हटा दिया गया है, दर्शाती है कि इससे बड़ी संख्या में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय जैसे - हैंडलूम तथा कृषि क्षेत्र के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है।
GSP क्या है?
- जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस अर्थात् GSP अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना व्यापारिक वरीयता कार्यक्रम (U.S. Trade Preference Programme) है।
- इसे लक्षित लाभार्थी देशों के हज़ारों उत्पादों को अमेरिका में ड्यूटी फ्री लिस्ट की अनुमति देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये लाया गया था।