भारत बना ‘वासेनर अरेंजमेंट’ का 42वां सदस्य | 08 Dec 2017
चर्चा में क्यों?
भारत क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तथा उत्कृष्ट निर्यात नियंत्रण पर निगरानी रखने वाली संस्था वासेनर अरेंजमेंट (WA-Wassenaar Arrangement) का 42वां सदस्य बन गया है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बड़ी सफलता माना जा रहा है। विकसित देशों के इस एलीट क्लब में शामिल होना भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत भी है।
क्या है वासेनर अरेंजमेंट?
इसकी स्थापना 1996 में वासेनर (नीदरलैंड) में की गई थी। यह परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) और मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) की तरह ही परमाणु अप्रसार की देखरेख करने वाली संस्था है। वासेनर अरेंजमेंट सदस्य देशों के बीच परंपरागत हथियारों, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। इसके सदस्यों को यह सुनिश्चित करना होता है कि परमाणु प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण का दुरुपयोग न हो और इसका इस्तेमाल सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में न किया जाए। इसका मुख्यालय विएना में है।
वासेनर अरेंजमेंट की सदस्यता से भारत को लाभ
- परमाणु अप्रसार क्षेत्र में देश का कद बढ़ने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। विशेषकर भारत दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और तकनीकों को हासिल कर पाएगा।
- परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (एनएसजी) और ऑस्ट्रेलिया समूह में शामिल किये जाने का दावा भी मज़बूत होगा।
- वासेनर अरेंजमेंट में सदस्यता से परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद भारत अप्रसार के क्षेत्र में अपनी पहचान बना पाएगा और अप्रसार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को वैश्विक पहचान मिलेगी।
- चीन और पाकिस्तान इसके सदस्य नहीं है। इस प्रकार इसकी सदस्यता प्राप्त कर लेना इन दोनों प्रतिद्वंद्वियों पर भारत की रणनीतिक विजय है।
इससे पहले भारत सरकार ने हाल ही में SCOMET (वासेनार अरेंजमेंट के तहत अनिवार्य स्पेशल केमिकल्स, ऑर्गेनिज्म, मटीरियल, इक्विपमेंट और टेक्नॉलजीज आइटम्स) को मंजूरी दी है। वस्तुओं की इस संशोधित सूची के ज़रिये भारत विश्व में अप्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर कर सकता है।
पिछले वर्ष भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) समूह में शामिल हुआ था। MTCR की व्यवस्था मिसाइल तकनीक व खतरनाक हथियारों के नियंत्रण से जुड़ी हुई है। MTCR में भारत के शामिल होने के बाद अब भारत अपनी ब्रह्मोस जैसी उच्च तकनीकी मिसाइलें मित्र देशों को बेच सकेगा। निकट भविष्य में ऑस्ट्रेलिया समूह में प्रवेश भारत के NSG में प्रवेश के प्रयास के बारे में कुछ देशों में संशय को समाप्त करने में मदद करेगा।