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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मिस्र की 3000 वर्ष पुरानी ममी

  • 28 Jan 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

3-डी प्रिंटर, मिस्र की 3000 वर्ष पुरानी ममी

मेन्स के लिये:

ध्वनि संश्लेषण तकनीक से मानव जाति को लाभ, चिकित्सा क्षेत्र के तकनीकी आयाम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिकों ने मिस्र के 3000 वर्ष पुराने प्राचीन मानव की आवाज़ को दोबारा सुनने में कामयाबी पाई है। ध्यातव्य है कि इन संरक्षित प्राचीन मानवों/शवों को ममी (Mummy) कहा जाता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • वैज्ञानिकों ने ध्वनि संश्लेषण तकनीक के माध्यम से नेस्यामूं के ममी की आवाज़ की पुनरोत्पत्ति की है।
  • ध्यातव्य है कि वैज्ञानिकों ने CT-Scan, 3D प्रिंटिंग तकनीक और एक इलेक्ट्रॉनिक स्वरयंत्र (Larynx) का उपयोग करके स्वर तंत्र (Vocal Tract) के पुनर्निर्माण द्वारा 3,000 साल पुरानी मिस्र की ममी की आवाज़ की नकल तैयार की है।

3000 वर्ष पुरानी ममी के बारे में

  • 3000 वर्षीय मिस्र की ममी का नाम नेस्यामूं (Nesyamun) था। ध्यातव्य है कि यह नाम उसके ताबूत के शिलालेख के अनुसार है।
  • ऐसा माना जाता है कि नेस्यामूं रामसेस XI के शासन के दौरान का था। उस दौरान वह थेब्स में एक मुंशी या पुजारी के रूप में काम करता था।
  • यह पहली बार नहीं है जब नेस्यामूं एक वैज्ञानिक अध्ययन का विषय बना है। वर्ष 1824 में उसके शरीर के आवरण को खोलने (Unwrapped) के बाद इसकी जाँच लीड्स फिलोसोफिकल एंड लिटरेरी सोसाइटी (Leeds Philosophical and Literary Society) के सदस्यों द्वारा की गई थी।
  • इस पर कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने भी अध्ययन किया था जिसमें पता चला था कि नेस्यामूं की मृत्यु 50 के दशक के मध्य में हुई थी और वह मसूड़ों की बीमारी तथा गंभीर रूप से खराब दाँतों से पीड़ित था।

वैज्ञानिकों ने ममी की आवाज़ की पुनरोत्पत्ति कैसे की?

  • पुनः प्राप्त ध्वनि स्वर-जैसी (Vowel-like) है और ममी के मौजूदा स्वर तंत्र (Vocal Tract) के सटीक मापों के आधार पर 3D स्वर तंत्र का निर्माण करके इस ध्वनि को पुनः प्राप्त किया गया है। ध्यातव्य है कि स्वर तंत्र की माप ममी का कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी स्कैन (Computerised Tomography Scan- CT Scan) करके की है।
  • शोधकर्त्ताओं ने 3 डी प्रिंटर का उपयोग करके ममी के स्वर तंत्र के त्रि-आयामी मॉडल का निर्माण किया और इसे एक इलेक्ट्रॉनिक स्वरयंत्र (Larynx) से जोड़कर ध्वनि की पुनरोत्पत्ति की।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, सटीक ध्वनि की उत्पत्ति के लिये स्वर तंत्र के नरम ऊतकों के सही संरक्षण की आवश्यकता होती है, जो उन व्यक्तियों में असंभव है जिनके अवशेष केवल कंकाल रूप में हैं।
  • यह प्रक्रिया केवल तभी संभव है जब प्रासंगिक स्वर तंत्र के नरम ऊतक यथोचित रूप से बरकरार रहें। गौरतलब है कि मिस्र के पुजारी नेस्यामूं के 3,000 साल पुराने शरीर में ये ऊतक सुरक्षित थे।

ध्वनि की पुनरोत्पत्ति का महत्त्व:

  • इस ध्वनि संश्लेषण तकनीक के प्रयोग से वर्तमान समय में किसी अघात या अन्य कारणों से अपनी आवाज़ गँवा चुके लोगों को पुनः आवाज़ प्रदान की जा सकती है।
  • इसके विस्तार से वैश्विक चिकित्सा पद्धति एवं चिकित्सा क्षेत्र में आमूलचूल सकारात्मक परिवर्तन होने की उम्मीद है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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