जैव विविधता और पर्यावरण
जल संकट वाले विश्व के शीर्ष 20 शहरों की सूची में चार भारतीय शहर
- 25 Jun 2019
- 3 min read
संदर्भ
भारत का छठा सबसे बड़ा राज्य चेन्नई वर्तमान में भारी जल संकट से जूझ रहा है जोकि समय के साथ और अधिक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।
- चेन्नई का जल संकट यह स्पष्ट करता है कि यदि आपका शहर बाढ़ से प्रभावित होता है तो यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं कि वह जल संकट से प्रभावित नहीं हो सकता, क्योंकि कुछ ही वर्षों पहले चेन्नई ने विनाशकारी बाढ़ का सामना किया था, जिसके कारण कई लोगों की मृत्यु हुई थी तथा लगभग 1.8 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे और इन सब के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को कुल 3 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था।
मुख्य बिंदु:
- विशेषज्ञों का मानना है कि चेन्नई का यह जल संकट बीते वर्ष साउथ अफ्रीका की राजधानी केप टाउन के जल संकट से भी अधिक भयानक है। ज्ञातव्य है कि केप टाउन के जल संकट में जलाशयों का स्तर काफी नीचे चला गया था और इस स्थिति से निपटने के लिये सरकार को आपातकालीन सुरक्षा उपाय अपनाने पड़े थे।
- परंतु चेन्नई की यह स्थिति आश्चर्यचकित करने वाली नहीं है, क्योंकि जब वर्ष 2018 में जल संकट के उच्च स्तर का सामना कर रहे विश्व के 400 महानगरों का मूल्यांकन किया गया था तब उस सूची में चेन्नई को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था।
- चेन्नई के अलावा भारत के 4 अन्य महानगरों को भी इस सूची के शीर्ष 20 महानगरों में शामिल किया गया था। सूची में कोलकाता को दूसरा और मुंबई तथा दिल्ली को क्रमशः 11वाँ तथा 15वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
- नदियों के किनारों पर बसे बड़े शहर जल संकट की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं क्योंकि नदियों का लगभग सारा पानी ‘अत्यधिक आवंटित और कुप्रबंधित’ है।
- कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 1970 से अब तक विश्व ने कुल आर्द्रभूमियों (Wetlands) का 35 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है और हम इसे जंगलों की तुलना में तीन गुना अधिक तेज़ी से खो रहे हैं।
- आर्द्रभूमि किसी भी शहर के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है, परंतु जैसे-जैसे आर्द्रभूमि सिकुड़ती जा रही है वैसे-वैसे हम अपने प्राकृतिक अपशिष्ट जल प्रबंधन के स्थानों को भी खो रहे हैं और इन स्थान के अभाव में वह अपशिष्ट जल बिना किसी उपचार के नदियों में जा रहा है जो नदी प्रदूषण का प्रमुख कारण है।