शासन व्यवस्था
17वीं एशिया प्रशांत क्षेत्रीय बैठक
- 13 Dec 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:एशिया प्रशांत क्षेत्रीय बैठक (Asia Pacific Regional Meeting- APRM), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO), श्रम संहिता, ई-श्रम पोर्टल, कर्मचारी राज्य बीमा योजना (Employees' State Insurance Scheme- ESIC) मेन्स के लिये:भारत में श्रमिकों से संबंधित रूपरेखा, वर्तमान श्रम सुधारों से संबंधित ग्रे क्षेत्र और सुझाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सिंगापुर में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 17वीं एशिया प्रशांत क्षेत्रीय बैठक (APRM) आयोजित की गई।
प्रमुख बिंदु:
- यह एशिया, प्रशांत और अरब देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को एकजुट करता है।
- 17वें APRM के चार प्रमुख विषयगत क्षेत्र हैं:
- समावेशी, टिकाऊ और लचीले मानव-केंद्रित रिकवरी हेतु एकीकृत नीति एजेंडा
- औपचारिक और सम्मानजनक कार्य की ओर प्रस्थान की सुविधा के लिये संस्थागत ढाँचा
- सामाजिक और रोज़गार संरक्षण के लिये मज़बूत नींव
- अधिक और बेहतर नौकरियों के लिये उत्पादकता में वृद्धि और कौशल को विकसित करना
- यह बैठक 'सिंगापुर स्टेटमेंट' के लॉन्च के साथ संपन्न हुई।
- यह स्टेटमेंट आने वाले वर्षों में ILO के समर्थन के साथ राष्ट्रीय कार्रवाई के लिये संबद्ध क्षेत्र के लक्ष्यों के ILO घटकों के बीच एक साझा दृष्टि प्रदान करता है।
- यह स्टेटमेंट ILO मौलिक सम्मेलनों की पुष्टि करने और प्रभावी सामाजिक संवाद करने हेतु सरकार, नियोक्ता और कार्यकर्त्ता प्रतिनिधियों की क्षमताओं को और मज़बूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- यह ILO सदस्य देशों से आग्रह करता है कि वे संबंधित अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों की पुष्टि करने और प्रभावी ढंग से लागू करने पर विचार करें, अनौपचारिक से औपचारिक क्षेत्र में परिवर्तन में तेज़ी लाने का प्रयास करें और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये शासन संबंधी संरचनाओं को और मज़बूत बनाएँ।
- यह स्टेटमेंट वैश्विक सामाजिक न्याय गठबंधन के विकास की दिशा में सहयोग में संलग्न होने के लिये संबद्ध क्षेत्रों में सरकारों और सामाजिक भागीदारों की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करता है।
- यह न्यायोचित संक्रमण(ट्रांजीशन) का भी आह्वान करता है जो जलवायु परिवर्तन की स्थिति में पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के निर्माण में मदद करता है।
भारत की आलोचना के बिंदु
- श्रम नीति का पुनर्मूल्यांकन:
- भारत की नई श्रम संहिता श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करती हैं एवं नियोक्ताओं को खुली छूट देती है क्योंकि नई संहिता के माध्यम से निरीक्षण की शक्ति नियोक्ताओं को प्रदान की गई है।
- अन्य चिंताएँ:
- उत्पादकता वृद्धि में गिरावट का श्रमिकों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) की स्थिरता, अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है और देश भर में स्टार्ट-अप एवं छोटे व्यवसायों के साथ तकनीकी तथा उद्यमशीलता में तेज़ी देख रहा है। हालाँकि 90% कार्यबल असंगठित क्षेत्र से संबंधित है जो कम वेतन वाली नौकरियों एवं खराब कार्यस्थल संबंधी चुनौतियो का सामना करते हैं।
भारत के संदर्भ में सुझाव:
- नया सामाजिक अनुबंध:
- सरकारों और नियोक्ताओं के साथ, विशेष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर एक अनुबंध।
- यह सभी के लिये अच्छी नौकरियों की उपलब्धता; सभी के अधिकारों का सम्मान; न्यूनतम मज़दूरी सहित उचित मज़दूरी; पर्याप्त और आसानी से उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा; समानता, सम्मान; समावेशिता को
- उत्पादकता में वृद्धि:
- उत्पादकता वृद्धि से आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा उचित काम के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
- निरंतर कौशल चुनौतियों को पहचानना और प्रभावी एवं मांग-संचालित कौशल विकास से सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को रोज़गार, सतत् विकास, उत्पादकता वृद्धि और आर्थिक समृद्धि को आगे बढ़ाने से लाभ होता है।
- डिजिटल स्किल्स, कोर स्किल्स, एंटरप्रेन्योरियल स्किल्स और सॉफ्ट स्किल्स का बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
- असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों की पहचान:
- सभी के विकास को सुनिश्चित करने के लिये, असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों की पहचान करने और ई-श्रम पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकता देने और कर्मचारी राज्य बीमा योजना (Employees' State Insurance Scheme- ESIC) के माध्यम से स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार करने जैसे उपाय सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करने के उपाय हैं जो असमानता में कमी ला रहे हैं।
- देश में अब तक लगभग 29 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया जा चुका है।
- सभी के विकास को सुनिश्चित करने के लिये, असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों की पहचान करने और ई-श्रम पोर्टल जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकता देने और कर्मचारी राज्य बीमा योजना (Employees' State Insurance Scheme- ESIC) के माध्यम से स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार करने जैसे उपाय सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करने के उपाय हैं जो असमानता में कमी ला रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
- वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में इसकी स्थापना हुई।
- यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है जिसमें सरकारें, नियोक्ता और श्रमिक शामिल हैं।
- यह श्रम मानक निर्धारित करने, नीतियाँ को विकसित करने एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाने का कार्य करता है।
- मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड
- रिपोर्ट्स:
- वैश्विक वेतन रिपोर्ट (Global Wage Report)
- विश्व रोज़गार एवं सामाजिक दृष्टिकोण (World Employment and Social Outlook)
- विश्व सामजिक संरक्षण रिपोर्ट (World Social Protection Report)
- सोशल डायलॉग रिपोर्ट
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रारंभिक परीक्षा प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b)
प्रश्न: भारत में, निम्नलिखित में कौन एक, उन फैक्टरियों में जिनमें कामगार नियुक्त हैं, औद्योगिक विवादों, समापनों, छँटनी और कामबंदी के विषय में सूचनाओं को संकलित करता है? (2022) (a) केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय उत्तर: C मेन्सप्रश्न: "मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की सफलता 'स्किल इंडिया' कार्यक्रम की सफलता और क्रांतिकारी श्रम सुधारों पर निर्भर करती है।" संगत तर्कों के साथ विवेचना कीजिये। (2015) प्रश्न: ''हाल के दिनों का आर्थिक विकास श्रम उत्पादकता में वृद्धि के कारण संभव हुआ है।'' इस कथन को समझाइये। ऐसे संवृद्धि प्रतिरूप को प्रस्तावित कीजिये जो श्रम उत्पादकता से समझौता किये बिना अधिक रोज़गार उत्पत्ति में सहायक हो। (2022) |