अरुणाचल में पाई गई गुल-मेहंदी की नई प्रजातियाँ | 09 Oct 2017

चर्चा में क्यों?
अगस्त 2017 में फाइटोटेक्सा (Phytotaxa) नामक एक साइंटिफिक जर्नल में इम्पेशंज़ वालॉजेन्सिस (Impatiens Walongensis) को वर्णित करना वाला एक शोध-पत्र प्रकाशित हुआ। इस पत्र में गुल-मेहंदी/शांतिदायक औषधि (Balsam) की नई प्रजाति की खोज के विषय में चर्चा की गई।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

Blasm

    • ये सभी प्रजातियाँ अरुणाचल प्रदेश के अंजौ ज़िले से प्राप्त की गई। एक मीटर लंबी अण्डाकार दीर्घवृत्तीय पत्तियों और हल्के गुलाबी फूलों वाले पौधे का नाम वालोंग है। इसे यह नाम इसके उद्भव स्थान के नाम पर दिया गया है।
    • इम्पेशंज़ वालॉजेन्सिस अरुणाचल प्रदेश में खोजी गई गुल-मेहंदी की नवीनतम प्रजाति है, इसके साथ-साथ इस क्षेत्र में अन्य प्रजातियों की भी खोज की गई है।

Impatiens

    • ऊपरी सियांग ज़िले में खोजी गई इम्पेशंज़ अरुणाचलेंसिस (Impatiens Arunachalensis), नामक प्रजाति के फूलों का रंग बैंगनी और डंठल गुलाबी रंग की होती है। 

 

rugosipetala

    • चूँकि एक स्थान विशेष पर इस प्रजाति के केवल 50 पौधें ही पाए गये हैं इसलिये वैज्ञानिकों द्वारा पौधों की रक्षा स्थिति को गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्णित किया गया।
    • एक अन्य प्रजाति इम्पेशंज़ ज़िरोनियाना (Impatiens Zironiana) को निचले सुबनसिरी ज़िले में खोजा गया। इस पौधे के फूल का रंग पीला होता है। पीले रंग की पुष्प कलियों के फूलों वाली यह प्रजाति निचले सुबनसिरी ज़िले में खोजी गई। 
    • इसके अतिरिक्त गुल-मेहंदी की दो अन्य प्रजातियों इम्पेशंज़ रुगोसिपेटला (Impatiens rugosipetala) को राज्य की निचली दिबांग घाटी और इम्पेशंज़ टाटौएंसिस (Impatiens tatoensis ) को पश्चिमी सियांग ज़िले में खोजा गया।
    • उल्लेखनीय है कि वनस्पति विज्ञानियों द्वारा देश के इस पूर्वोत्तर राज्य से गुल-मेहंदी की 55 प्रजाति की खोज गई हैं, जिनमें से 16 प्रजातियों को पहली बार खोजा गया है। 

Impatiens tatoensis

मृदा की आवश्यकता

  • अपने भिन्न-भिन्न आकार के फूलों (जो फूल के साथ-साथ इसके तने भी भिन्न-भिन्न रंग जैसे गुलाबी, लाल, सफेद, बैंगनी और पीले रंग के होते हैं) के लिये प्रसिद्ध ये प्रजातियाँ नम मिट्टी वाले क्षेत्रों में पाई जाती हैं। 
  • दुनिया भर में, इन एंजियोस्पर्मों (Angiosperms) अथवा संवृत बीजों वाले पौधों की लगभग 1,000 प्रजातियां पायी जाती हैं।
  • भारत में गुल-मेहंदी की कुल 230 प्रजातियाँ (नई खोजों सहित) पाई जाती हैं।

इनकी विशेषता क्या हैं?

Endemism

  • इम्पेशंज़ की सबसे खास विशेषता यह है कि ये पौधे उच्च समाप्तिवादी (High Endemism) होते है। 
  • चूँकि इन पौधों का आवास एक बहुत छोटा क्षेत्र होता है, यही कारण है कि इनके आस-पास के परिदृश्य में आने वाले परिवर्तन से इनका अस्तित्व खतरे में आ जाता है। 

संकर पौधों के विषय में अध्ययन

वनस्पति विज्ञानियों के अनुसार, गुल-मेहंदी में बागवानी की विशाल संभावनाएँ मौजूद है, जोकि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है और आर्थिक दृष्टि से भी बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। ध्यातव्य है कि पिछले कुछ समय से वनस्पति विज्ञानियों द्वारा संकर पौधों के विषय में अध्ययन एवं शोध कार्य किया जा रहा है ताकि विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में सहज रूप से विकसित होने में सक्षम फूलों का उत्पादन किया जा सकें। विज्ञानियों द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, जंगली गुल-मेहंदी की प्रजातियों का प्रयोग करके विभिन्न संकर प्रजातियों को तैयार किया जा सकता है, इसलिये अधिक से अधिक जंगली गुल-मेहंदी की प्रजातियों की खोज एवं उनके विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।