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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र का 112वांँ वार्षिक दिवस

  • 02 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध, वायु गुणवत्ता सूचकांक

मेन्स के लिये: 

NPCCHH के तहत अनुकूलन योजनाएँ, NPCCHH का उद्देश्य 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ( National Centre for Disease Control- NCDC) के 112वें वार्षिक दिवस समारोह की अध्यक्षता की।

प्रमुख बिंदु 

कार्यक्रम में शुरू की गई पहल:

  • जीनोम लैब:
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance- AMR) के लिये संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS) राष्ट्रीय प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।
    • WGS संपूर्ण जीनोम के विश्लेषण हेतु एक व्यापक विधि है। यह आनुवंशिक जानकारी हेतु वंशानुगत विकारों की पहचान करने, कैंसर को बढ़ावा देने वाले उत्परिवर्तनों को चिह्नित करने और रोग के प्रकोप पर नज़र रखने में सहायक रही है।
      • तेज़ीसे घटती अनुक्रमण लागत और आज के अनुक्रम्रक/सीक्वेंसर के साथ बड़ी मात्रा में डेटा का उत्पादन करने की क्षमता संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण को जीनोमिक्स अनुसंधान हेतु एक शक्तिशाली उपकरण बनाती है।
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) जिनका उपयोग संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है, के खिलाफ प्रतिरोध हासिल करने से है। 
    • वैश्विक निगरानी के लिये WGS का अनुप्रयोग AMR के प्रारंभिक उद्भव और प्रसार के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है तथा AMR नियंत्रण हेतु समय पर नीतिगत्त विकास को सूचित कर सकता है।
  • NPCCHH के तहत अनुकूलन योजनाएँ:
    • ‘राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम’ (NPCCHH) के तहत ‘वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना’ और ‘हीट संबंधी बीमारी पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना’ शुरू की गई थी।
    • यह योजना अस्पताल में वायु प्रदूषण एवं स्वास्थ्य पर एक समिति गठित करने का सुझाव देती है, जिसमें आपातकालीन और नर्सिंग विभाग सहित चिकित्सा, श्वसन, चिकित्सा, बाल रोग, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, एंडोक्रिनोलॉजी आदि विभागों के स्वास्थ्य अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
    • यह योजना रसद, दवाओं और उपकरणों को लेकर आवश्यक तैयारी के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है, जो ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं, विशेष रूप से श्वसन एवं हृदय संबंधी आपात स्थितियों को दूर करने के लिये आवश्यक हो सकते हैं।
    • यह संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर के अनुसार वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट का चयन और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं एवं बुजुर्गों जैसे संवेदनशील वर्गों की पहचान की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है।
  • सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) मैटेरियल:
    • ‘राष्ट्रीय जूनोज़ रोकथाम और नियंत्रण स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के तहत 7 प्राथमिकता वाले जूनोटिक रोगों पर सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) मैटेरियल तैयार किया गत्या है, अर्थात्:
      • इसमें रेबीज़, स्क्रब टाइफस, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स, क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF), निपाह, क्यासानूर वन रोग शामिल हैं।

NPCCHH  के उद्देश्य

  • मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के संबंध में सामान्य जनसंख्या (कमज़ोर समुदाय), स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता पैदा करना।
  • जलवायु में परिवर्तनशीलता के कारण बीमारियों / बीमारियों को कम करने के लिये स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की क्षमता को मज़बूत करना।
  •  राष्ट्रीय/राज्य/ज़िला/ज़िलों के निचले स्तर पर मौजूदा स्थिति का प्रदर्शन करके स्वास्थ्य की तैयारी और प्रतिक्रिया को मज़बूत करना।
  • साझेदारी विकसित करने और अन्य मिशनों के साथ सिंक्रनाइज़ / सिनर्जी बनाने तथा यह सुनिश्चित करने हेतु कि देश में जलवायु परिवर्तन एजेंडा में स्वास्थ्य का पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व किया जाता है।
  • मानव स्वास्थ्य पर  पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभाव के परिणामी-अंतराल को भरने के लिये अनुसंधान क्षमता को मज़बूत करना।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र:

  • परिचय:
    • राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control- NCDC) को पूर्व में राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (National Institute of Communicable Diseases- NICD) के रूप में जाना जाता था। इसकी स्थापना वर्ष 1909 में हिमाचल प्रदेश के कसौली (Kasauli) में केंद्रीय मलेरिया ब्यूरो (Central Malaria Bureau) के रूप में की गई थी। 
    • NICD को वर्ष 2009 में पनप चुके एवं फिर से पनप रहे रोगों को नियंत्रित करने के लिये राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में तब्दील कर दिया गया था।
    • यह देश में रोगों की निगरानी के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है जिससे संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में सुविधा होती है।
    • यह सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रयोगशाला विज्ञान एंटोमोलॉजिकल (Entomological) सेवाओं हेतु विशेष कार्यबल के प्रशिक्षण के लिये राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है और विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों में शामिल है।
  • नियंत्रण और मुख्यालय:
    • NCDC भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (Director General of Health Services) के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।  
    • इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
  • कार्य:
    • यह पूरे देश में किसी भी रोग के प्रकोप की जाँच करता है।
    • व्यक्तियों, समुदायों, मेडिकल कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों एवं राज्य स्वास्थ्य निदेशालयों को परामर्श व नैदानिक ​​सेवाएँ प्रदान करता है।
    • महामारी विज्ञान, निगरानी और प्रयोगशालाओं आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान के सृजन एवं प्रसार करना।
    • संचारी रोगों के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों के कुछ पहलुओं में एकीकृत अनुसंधान को बढ़ावा देना।

स्रोत: पीआईबी

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