भारतीय इतिहास
IVC की खोज के 100 वर्ष
- 23 Sep 2024
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प्रिलिम्स के लिये:हड़प्पा सभ्यता, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) , आर्य मेन्स के लिये:सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ, नगर नियोजन, सिंधु घाटी सभ्यता का पतन, समकालीन सभ्यताएँ और इसकी प्रमुख विशेषताएँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
20 सितंबर 2024 को सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 वर्ष पूरे हो गए, जिसकी खोज पुरातत्वविद् सर जॉन मार्शल ने 20 सितंबर 1924 की थी।
- यह सभ्यता भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में 1.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर में 2,000 से अधिक स्थलों तक फैली हुई है और अपनी उन्नत शहरी योजना और वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है।
हड़प्पा सभ्यता क्या थी?
- परिचय:
- हड़प्पा सभ्यता , जिसे सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) के रूप में भी जाना जाता है, सिंधु नदी के किनारे लगभग 2500 ईसा पूर्व में विकसित हुई थी ।
- यह मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन के साथ चार प्राचीन शहरी सभ्यताओं में सबसे बड़ी थी ।
- तांबा आधारित मिश्रधातुओं से बनी अनेक कलाकृतियों की खोज के कारण सिंधु घाटी सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- दया राम साहनी ने सबसे पहले वर्ष 1921-22 में हड़प्पा की खोज की और राखल दास बनर्जी ने वर्ष 1922 में मोहनजोदड़ो की खोज की।
- ASI के महानिदेशक सर जॉन मार्शल उस उत्खनन के लिये जिम्मेदार थे जिससे सिंधु घाटी सभ्यता के हड़प्पा और मोहनजोदड़ो स्थलों की खोज हुई ।
- चरण:
- प्रारंभिक चरण (3200 ईसा पूर्व से 2600 ईसा पूर्व): यह चरण हकरा चरण से संबंधित है, जिसे घग्गर-हकरा नदी घाटी में खोजा गया था। सबसे पुरानी सिंधु लिपि 3000 ईसा पूर्व की है।
- परिपक्व काल (2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व): 2600 ईसा पूर्व तक, IVC परिपक्व अवस्था में पहुँच चुका था। इस दौरान पाकिस्तान में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो तथा भारत में लोथल जैसे प्रारंभिक हड़प्पा शहर प्रमुख शहरी केंद्रों के रूप में विकसित हो रहे थे।
- परवर्ती चरण (1900 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व): इस चरण में हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया और वह नष्ट हो गयी।
हड़प्पा सभ्यता के महत्त्वपूर्ण स्थल कौन-कौन से थे?
IVC के महत्त्वपूर्ण स्थल |
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स्थल |
खोजकर्त्ता |
अवस्थिति |
महत्त्वपूर्ण खोज |
हड़प्पा |
दयाराम साहनी (1921) |
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। |
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मोहनजोदड़ो (मृतकों का टीला) |
राखलदास बनर्जी (1922) |
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। |
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सुत्कान्गेडोर |
स्टीन (1929) |
पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है। |
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चन्हुदड़ो |
एन .जी. मजूमदार (1931) |
सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में। |
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आमरी |
एन .जी . मजूमदार (1935) |
सिंधु नदी के तट पर। |
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कालीबंगन |
घोष (1953) |
राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे। |
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लोथल |
आर. राव (1953) |
गुजरात में कैम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित। |
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सुरकोतदा |
जे.पी. जोशी (1964) |
गुजरात। |
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बनावली |
आर.एस. विष्ट (1974) |
हरियाणा के हिसार जिले में स्थित। |
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धौलावीरा |
आर.एस.विष्ट (1985) |
गुजरात में कच्छ के रण में स्थित। |
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हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
- नगर नियोजन:
- हड़प्पाई सभ्यता अपनी नगरीय योजना प्रणाली के लिये जानी जाती है।
- मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में अपने- अपने दुर्ग थे जो नगर से कुछ ऊँचाई पर स्थित होते थे जिसमें अनुमानतः उच्च वर्ग के लोग निवास करते थे ।
- दुर्ग से नीचे सामान्यतः ईंटों से निर्मित नगर होते थे,जिनमें सामान्य लोग निवास करते थे।
- हड़प्पा सभ्यता की एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस सभ्यता में ग्रिड प्रणाली मौजूद थी जिसके अंतर्गत सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं ।
- अन्न भंडारों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के नगरों की प्रमुख विशेषता थी।
- पकी हुई ईंटों का प्रयोग हड़प्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी क्योंकि समकालीन मिस्र में मकानों के निर्माण के लिये शुष्क ईंटों का प्रयोग होता था।
- हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी प्रणाली बहुत प्रभावी थी।
- हर छोटे और बड़े घर के अंदर स्वंय का स्नानघर और आँगन होता था।
- कालीबंगा के बहुत से घरों में कुएँ नही पाए जाते थे।
- कुछ स्थान जैसे लोथल और धौलावीरा में संपूर्ण विन्यास मज़बूत और नगर दीवारों द्वारा भागों में विभाजित थे।
- कृषि:
- हड़प्पाई गाँव मुख्यतः प्लावन मैदानों के पास स्थित थे,जो पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन करते थे।
- गेहूँ, जौ, सरसों, तिल, मसूर आदि का उत्पादन होता था। गुजरात के कुछ स्थानों से बाजरा उत्पादन के संकेत भी मिले हैं,जबकि यहाँ चावल के प्रयोग के संकेत तुलनात्मक रूप से बहुत ही दुर्लभ मिलते हैं।
- सिंधु सभ्यता के मनुष्यों ने सर्वप्रथम कपास की खेती प्रारंभ की थी।
- वास्तविक कृषि परंपराओं को पुनर्निर्मित करना कठिन होता है क्योंकि कृषि की प्रधानता का मापन इसके अनाज उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाता है।
- मुहरों और टेराकोटा की मूर्तियों पर सांड के चित्र मिले हैं तथा पुरातात्त्विक खुदाई से बैलों से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
- हड़प्पाई लोग कृषि के साथ -साथ बड़े पैमाने पर पशुपालन भी करते थे ।
- घोड़े के साक्ष्य सूक्ष्म रूप में मोहनजोदड़ो और लोथल की एक संशययुक्त टेराकोटा की मूर्ति से मिले हैं।हड़प्पाई संस्कृति किसी भी स्थिति में अश्व केंद्रित नहीं थी।
- अर्थव्यवस्था:
- अनगिनत संख्या में मिली मुहरें ,एकसमान लिपि,वजन और मापन की विधियों से सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापार के महत्त्व के बारे में पता चलता है।
- हड़प्पाई लोग पत्थर ,धातुओं, सीप या शंख का व्यापर करते थे।
- धातु मुद्रा का प्रयोग नहीं होता था। व्यापार की वस्तु विनिमय प्रणाली मौजूद थी।
- अरब सागर के तट पर उनके पास कुशल नौवहन प्रणाली भी मौजूद थी।
- उन्होंने उत्तरी अफगानिस्तान में अपनी व्यापारिक बस्तियाँ स्थापित की थीं जहाँ से प्रमाणिक रूप से मध्य एशिया से सुगम व्यापार होता था।
- दजला -फरात नदियों की भूमि वाले क्षेत्र से हड़प्पा वासियों के वाणिज्यिक संबंध थे।
- हड़प्पाई प्राचीन ‘लैपिस लाजुली’ मार्ग से व्यापार करते थे जो संभवतः उच्च लोगों की सामाजिक पृष्ठभूमि से संबधित था ।
- शिल्प:
- हड़प्पाई कांस्य की वस्तुएँ निर्मित करने की विधि ,उसके उपयोग से भली भाँति परिचित थे।
- तांबा राजस्थान की खेतड़ी खान से प्राप्त किया जाता था और टिन अनुमानतः अफगानिस्तान से लाया जाता था ।
- बुनाई उद्योग में प्रयोग किये जाने वाले ठप्पे बहुत सी वस्तुओं पर पाए गए हैं।
- हड़प्पाई नाव बनाने की विधि,मनका बनाने की विधि,मुहरें बनाने की विधि से भली- भाँति परिचित थे। टेराकोटा की मूर्तियों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की महत्त्वपूर्ण शिल्प विशेषता थी।
- जौहरी वर्ग सोने ,चांदी और कीमती पत्थरों से आभूषणों का निर्माण करते थे ।
- मिट्टी के बर्तन बनाने की विधि पूर्णतः प्रचलन में थी,हड़प्पा वासियों की स्वयं की विशेष बर्तन बनाने की विधियाँ थीं, हड़प्पाई लोग चमकदार बर्तनों का निर्माण करते थे ।
- धर्म:
- टेराकोटा की लघुमूर्तियों पर एक महिला का चित्र पाया गया है, इनमें से एक लघुमूर्ति में महिला के गर्भ से उगते हुए पौधे को दर्शाया गया है।
- हड़प्पाई पृथ्वी को उर्वरता की देवी मानते थे और पृथ्वी की पूजा उसी तरह करते थे, जिस प्रकार मिस्र के लोग नील नदी की पूजा देवी के रूप में करते थे ।
- पुरुष देवता के रूप में मुहरों पर तीन शृंगी चित्र पाए गए हैं जो कि योगी की मुद्रा में बैठे हुए हैं ।
- देवता के एक तरफ हाथी, एक तरफ बाघ, एक तरफ गैंडा तथा उनके सिंहासन के पीछे भैंसा का चित्र बनाया गया है। उनके पैरों के पास दो हिरनों के चित्र है। चित्रित भगवान की मूर्ति को पशुपतिनाथ महादेव की संज्ञा दी गई है।
- अनेक पत्थरों पर लिंग तथा स्त्री जनन अंगों के चित्र पाए गए हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वृक्षों तथा पशुओं की पूजा किया करते थे।
- सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे महत्त्वपूर्ण पशु एक सींग वाला गैंडा था तथा दूसरा महत्त्वपूर्ण पशु कूबड़ वाला सांड था।
- अत्यधिक मात्रा में ताबीज भी प्राप्त किये गए हैं।
हड़प्पा सभ्यता के पतन के संभावित कारण क्या थे?
- आक्रमण सिद्धांत: कुछ विद्वानों का सुझाव है कि आर्यों के नाम से जानी जाने वाली इंडो-यूरोपीय जनजातियों ने आक्रमण किया और IVC को ध्वस्त कर दिया। हालाँकि, बाद के समाजों में सांस्कृतिक निरंतरता के साक्ष्य इस अचानक आक्रमण के विवरण को चुनौती देते हैं।
- प्राकृतिक पर्यावरणीय परिवर्तन: पर्यावरणीय कारकों का प्रभाव अधिक व्यापक रूप से स्वीकार्य है।
- टेक्टोनिक गतिविधि: भूकंपों के कारण नदियों के मार्ग बदल गए होंगे, जिससे आवश्यक जल स्रोत सूख गए होंगे।
- वर्षा पैटर्न में परिवर्तन: मानसून पैटर्न में परिवर्तन से कृषि उत्पादकता कम होने के साथ खाद्यान्न की कमी हो गई होगी।
- बाढ़: नदी के मार्ग में परिवर्तन के कारण प्रमुख कृषि क्षेत्रों में बाढ़ आ गई होगी, जिससे सभ्यता की स्थिरता को और अधिक खतरा पैदा हो गया होगा।
IVC साइटों से संबंधित हालिया पहल
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) : सागरमाला कार्यक्रम के तहत , पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) लोथल में एक NMHC विकसित कर रहा है । इसमें भारत के समुद्री इतिहास और विरासत को प्रदर्शित करने और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये एक संग्रहालय, थीम पार्क, एक शोध संस्थान और बहुत कुछ शामिल है।
- धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करना: जुलाई 2021 में धोलावीरा को यूनेस्को द्वारा भारत का 40वाँ विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया ।
- राखीगढ़ी को एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करना: केंद्रीय बजट (2020-21) में राखीगढ़ी (हिसार ज़िला, हरियाणा) को एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव किया गया है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न: सिंधु घाटी सभ्यता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता/एँ सिंधु सभ्यता के लोगों की थी? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (B) मेन्सप्रश्न 1: भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन सभ्यता मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस की सभ्यताओं से इस मायने में भिन्न थी कि इसकी संस्कृति और परंपराएँ आज भी बिना किसी व्यवधान के संरक्षित हैं। टिप्पणी कीजिये। (2015) प्रश्न 2: सिंधु घाटी सभ्यता की शहरी योजना और संस्कृति ने वर्तमान शहरीकरण को किस हद तक इनपुट प्रदान किया है? चर्चा कीजिये। (2014) |