आर्थिक रूप से पिछड़ों को मिलेगा आरक्षण | 08 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10% आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान संशोधन विधेयक (Constitution Amendment Bill) को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस मंज़ूरी के बाद आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों के लिये सरकारी नौकरियों में अलग से 10 फ़ीसदी कोटा होगा। हालाँकि इसके लिये संविधान में संशोधन करना होगा।
- ऐसा माना जा रहा है कि ग़रीब सवर्णों के लिये यह आरक्षण, अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes), अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) और अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes-OBC) के लिए आरक्षण की मौजूदा तय सीमा जो कि 50 प्रतिशत है, से अलग होगी।
- इसके लिये संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 को संशोधित करना होगा। यानी संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों की मंज़ूरी आवश्यक होगी।
- कुछ निर्धारित मानदंडों के साथ 8 लाख से कम सालाना आय वाले परिवारों को इसके दायरे में रखने का निर्णय लिया गया है।
- इस फैसले से लाभान्वित होने वालों में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोग भी शामिल होंगे।
पहले भी हुई कोशिश
- पहले भी कई बार आरक्षण की मौजूदा सीमा से अधिक आरक्षण देने की कोशिश की की गई है लेकिन हर बार सर्वोच्च न्यायालय ने उसे ख़ारिज किया है।
- पिछली बार 2014 में भी चुनावों से ठीक पहले जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल कर आरक्षण का लाभ देने की घोषणा की गई थी लेकिन 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, "पिछड़ेपन के लिये सिर्फ़ जाति को आधार नहीं बनाया जा सकता। पिछड़ेपन का आधार सिर्फ़ सामाजिक होना चाहिये न कि शैक्षणिक या आर्थिक रूप से कमज़ोरी।"
विस्तृत जानकारी के लिये 08.01.2019 का एडिटोरियल एनालिसिस पढ़ें।