पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवार | 01 Nov 2021

प्रिलिम्स के लिये:

पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवार, सुभाष चंद्र बोस

मेन्स के लिये:

पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवार की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने 114वीं थेवार जयंती (गुरु पूजा) पर पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवर को श्रद्धांजलि दी।

  • गुरु पूजा प्रत्येक वर्ष 30 अक्तूबर को पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवार की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

Muthuramalinga

प्रमुख बिंदु

  • जन्म:
    • उनका जन्म 30 अक्तूबर, 1908 को तमिलनाडु के रामनाथपुरम ज़िले के पसुंपोन में हुआ था।
  • परिचय:
    • वह एक स्वतंत्रता सेनानी-सह-आध्यात्मिक नेता थे। उन्हें मुकुलथोर समुदाय के बीच एक देवता के रूप में देखा जाता है, यह कल्लर, मरावर और अहंबादियार नामक समुदायों के समूह में से एक समुदाय है।
      • मुकुलथोर समुदाय के लोग अभी भी प्रसाद चढ़ाते हैं जैसा कि मंदिरों में देवताओं के लिये उनकी जयंती और गुरु पूजा समारोहों पर किया जाता है।
    • उन्होंने पारंपरिक हिंदू धर्म को स्वीकार नहीं किया क्योंकि यह 'वर्णाश्रम' का समर्थन करता था। उन्होंने हमेशा हिंदू धर्म की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
      • उन्होंने खुले तौर पर धार्मिक अंधविश्वासों और संकीर्ण सोच की निंदा की।
  • सुभाष चंद्र बोस के साथ संबंध:
    • समाजवादी और सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी होने के नाते, उन्होंने वर्ष 1952 से अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
      • वह AIFB के राष्ट्रीय संसदीय क्षेत्र के लिये तीन बार चुने गए।
  • मंदिर प्रवेश आंदोलन:
    • मंदिर प्रवेश प्राधिकरण और क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1939 में सी. राजगोपालाचारी की सरकार द्वारा पारित किया गया था।
      • इसने दलितों के हिंदू मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध को हटा दिया।
    • उन्होंने इस सुधार का समर्थन किया और जुलाई 1939 में दलितों को मदुरै के मीनाक्षी मंदिर में प्रवेश कराने वाले कार्यकर्ता ए. वैद्यनाथ अय्यर की मदद की।
  • आपराधिक जनजाति अधिनियम:
    • 1920 में अंग्रेज़ों द्वारा मुकुलथोर समुदाय के खिलाफ अधिनियमित आपराधिक जनजाति अधिनियम (CTA), जिसके खिलाफ थेवार ने लोगों को लामबंद करके विरोध और प्रदर्शन शुरू किया, उनके व्यक्तित्व को उत्तम बनाने में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ।
      • CTA ने इस समुदाय को आदतन अपराधियों के रूप में नामित करके इनका अपराधीकरण किया।
    • निरंतर प्रयासों के बाद वर्ष 1946 में अधिनियम को निरस्त कराने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। 
  • मृत्यु:
    • 30 अक्तूबर, 1963 को बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।

ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक:

  • इसकी स्थापना मई 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी। यह भारत में एक वामपंथी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल था जो वर्ष 1939 में भारतीय कॉन्ग्रेस के भीतर एक गुट के रूप में उभरा।
    • फॉरवर्ड ब्लॉक का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन जून 1940 में नागपुर में आयोजित किया गया था और इसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष के लिये उग्रवादी कार्रवाई का आग्रह करते हुए 'भारतीय लोगों को सभी शक्ति' (All Power to the Indian People) शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया।
  • फॉरवर्ड ब्लॉक का मुख्य उद्देश्य कॉन्ग्रेस  पार्टी के सभी कट्टरपंथी तत्त्वों को एक साथ लाना था। ताकि यह समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के पालन के साथ भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के अर्थ का प्रसार कर सके।
  • 23 जून,1942 को इसे प्रतिबंधित घोषित कर दिया गया। यहाँ तक कि जब इसे अवैध घोषित किया गया, तब भी इसने लोगों के संघर्ष को सफलता और गौरव का ताज पहनाने में क्रांतिकारी भूमिका निभाई।
    • भारत की स्वतंत्रता के बाद पार्टी ने खुद को एक स्वतंत्र राजनीतिक दल के रूप में पुर्नस्थापित किया। 

स्रोत: पीआईबी