रेल दुर्घटनाओं में वृद्धि: सुरक्षा तंत्र विफल | 23 Jan 2017
सन्दर्भ:
आंध्रप्रदेश में हीराखंड एक्सप्रेस के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए हैं | पिछले तीन महीनों में इस तरह का तीसरा बड़ा रेल हादसा है | हादसे में अब तक 36 लोगों के मारे जाने की सूचना मिली है एवं 50 से भी अधिक लोग घायल हुए हैं | इसके पहले बीते साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे | इस हादसे में तक़रीबन 150 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 180 लोग घायल हुए थे | रेल संरक्षा आयोग अब तक इस पर अपनी रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं कर पाया है |
प्रमुख बिंदु :
- ध्यातव्य रेलवे, हाल ही में ट्रेनों के पटरी से उतर जाने के बढ़ते मामलों के पीछे के कारणों की पहचान करने में नाकाम रहने के लिए, एक संसदीय पैनल द्वारा आलोचना का शिकार बना था।
- अपने बजट भाषण में रेल मंत्रालय ने माना था कि कोई भी हादसा या क़ीमती जान का नुक़सान हमें काफ़ी दुख और निराश करता है, लेकिन 'ज़ीरो एक्सिडेंट पॉलिसी' का उद्देश्य पूरा करने में काफ़ी समय लग सकता है |
- हालाँकि मंत्रालय का कहना है कि इस वर्ष सुरक्षा का रिकॉर्ड बेहतर रहा और पिछले साल की तुलना में हादसे 20 फ़ीसदी कम हुए हैं; तो दूसरी ओर रेलवे के ही कुछ बड़े अधिकारियों के अनुसार, पिछले वर्ष के हादसों की तुलना में इस वर्ष हुए हादसों की कुल संख्या में इजाफा हुआ है |
- 2015 में कुल 65 हादसे हुए थे, जबकि इस वर्ष दिसम्बर 2016 तक हादसों की कुल संख्या बढ़कर 68 हो गई है |
- अधिकांश हादसे या तो रेल की पटरियों या पहियों ( रोलिंग स्टॉक ) में ख़राबी की वजह से होते है।
- रेलवे की स्थायी समिति ने ' रेलवे में सुरक्षा और संरक्षा ' पर 14 दिसम्बर 2016 को लोकसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे, रेल पटरियों की सुरक्षा के मानकों को बनाए रखने में नाकाम रही है।
- रेलवे ट्रैक, रेल परिवहन प्रणाली की रीढ़ हैं और इसलिए, इन्हें एक सुरक्षित और व्यवस्थित हालत में बनाए रखा जाना अनिवार्य है ।
- हालिया रेल हादसों में भी पटरियों की सुरक्षा के मानकों को बनाए रखने के संबंध में रेलवे का पूरी तरह विफल होना जिम्मेदार है |
- रेलवे ट्रैक की कुल लम्बाई (1,14,907 kms) में से आदर्श रूप से 4500 किलोमीटर का प्रतिवर्ष नवीकरण होना चाहिए |
- वर्तमान में रेलवे द्वारा मात्र 2700 किमी. के ही नवीकरण का लक्ष्य रखा जा रहा है |
रेल संरक्षा आयोग ( Commission of Railway Safety - CRS) :
- रेल संरक्षा आयोग, भारत सरकार के नागर विमान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है जिसका सम्बंध रेल यात्रा तथा ट्रेन के संचालन मे संरक्षा से सम्बंधित मामलों से है।
- रेल संरक्षा आयोग को भारतीय अधिनियम 1989 में निर्धारित कुछ सांविधिक कार्य भी सौपे गए हैं, जो जाँचपरक, निरीक्षणात्मक और सलाहकारी प्रकृति के हैं।
- आयोग रेलवे अधिनियम के अधीन बनाये कुछ निश्चित नियमों और समय-समय पर जारी किये गये कार्यकारी अनुदेशों के अनुसार कार्य करता है ।
- आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रियों के सार्वजनिक परिवहन के लिए खोली जाने वाली नई रेलवे लाइन रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये गए मानक और विनिर्देशन के अनुरूप है तथा नई रेलवे लाइन यात्री परिवहन के लिए सभी दृष्टिकोण से सुरक्षित है ।
- यह अन्य निर्माण कार्यों जैसे गेज परिवर्तन,लाइनों का दोहरीकरण और मौजूदा लाइनों के विद्युतीकरण पर भी लागू होता है।
- आयोग भारतीय रेलवे मे होने वाली भयंकर ट्रेन दुर्घटनाओं की सांविधिक जाँच भी करता है और भारत मे रेल संरक्षा के सुधार के लिये संस्तुति करता है।
गौरतलब है, कि इस बार रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा | पिछले साल रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट पेश करते हुए साफ़ कर दिया था कि इन हादसों को रोकने का सफ़र लंबा है और पूरी तरह सुरक्षित रेल यात्रा का स्टेशन अभी दूर है |
बीते साल नवंबर में हुए रेल हादसे के बाद ट्रेन के पटरी से उतरने की वजहों और इससे जुड़े दूसरे तकनीकी पक्षों के बारे में रेलवे बोर्ड की राय यह है, कि भारत में पटरी से उतरने की वजह से होने वाले रेल हादसों की संख्या काफी ज्यादा है | ट्रेन के पटरी पर से उतरने के कुछ मुख्य कारण हैं, जैसे -
- इंजन का कोई हिस्सा या पार्ट अगर गिर जाए और उस पर ट्रेन चढ़ जाए तो ऐसी स्थिति में ट्रेन पटरी से उतर सकती है |
- कभी-कभी यह भी हो सकता है कि इंजन के निकलने के बाद पटरी के बीच का गैप बढ़ जाता है और तब पीछे के डिब्बे पटरी पर से उतर जाते हैं |
- पटरी के टूटे होने की स्थिति में भी ट्रेन पटरी पर से उतर सकती है लेकिन ऐसी स्थिति में इंजन के साथ ट्रेन उतरती है |
- सामने किसी अवरोध के आने के कारण ट्रेन पटरी पर से उतर सकती है | कई बार कोई मवेशी या बड़ा जानवर अचानक से पटरी पर आ जाता है और ट्रेन पटरी पर से उतर जाती है|
- कई बार उपद्रवी और ग़ैर सामाजिक तत्वों के तोड़-फोड़ करने के कारण भी ट्रेन पटरी पर से उतर जाती है |
समस्या कहाँ है :
रेल हादसों की मुख्य वजह इसका पुराना सिस्टम है, जिसे पूरी तरह ठीक करने और व्यापक पैमाने पर आधुनिकीकरण किए जाने की ज़रूरत है | रेलवे के लिए यह मुमकिन नहीं है कि वह इसे तुरंत दुरुस्त कर सके |
साथ ही रेलवे के पास, अपने रेल ट्रैक और इसकी पूरी प्रणाली के परीक्षण और निगरानी की व्यवस्था नहीं है | इसके अलावा आंतरिक प्रणाली भी ऐसी नहीं है जिससे हादसे का पता तुरंत लग जाए ताकि उससे होने वाले नुक़सान को कम किया जा सके |
फ़िलहाल ये दोनों ही व्यवस्थाएँ ठीक नहीं है और इसके लिए, भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे को ठीक करने की ज़रूरत है|
मानव त्रुटि को नियंत्रित किया जाना मुश्किल है :
- स्थायी समिति ने भी रेल दुर्घटनाओं में शामिल मानव त्रुटि को नियंत्रित करने में नाकाम रहने के लिए रेलवे की आलोचना की ।
- 2015-16 में आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, इस तरह की रेल दुर्घटनाओं में से 70% घटनाएँ- खराब रखरखाव, सुरक्षा नियमों में शॉर्ट-कट अपनाने और निर्देशों का सही ढंग से पालन न करने के रूप में, रेलवे कर्मचारियों की गलती की वजह से हुई |
- मंत्रालय रेलवे कर्मचारियों द्वारा सतत रूप से दोहराई गयी गलतियों के मूल कारण का आकलन करने में नाकाम रहा है और इसलिए इस तरह अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह से विफल हुआ है |
- दरअसल, भारतीय रेल दो मोर्चों पर जूझ रही है | क्रॉसिंग पर होने वाले हादसे और रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने पर होने वाली दुर्घटनाएँ |
- क्रॉसिंग को लेकर पिछले साल कुछ कामयाबी ज़रूर मिली, लेकिन रेल हादसे पूरी तरह बंद नहीं हुए |
- साल 2015-16 में ऐसे कई क्रॉसिंग बंद कर दिए गए, जहाँ रेल कर्मचारी तैनात नहीं रहते थे | इसके अलावा रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिज बनाए गए और अब भी इस सन्दर्भ में प्रयास जारी हैं जिनमें पटरी, सिग्नल सिस्टम और पुल भी शामिल हैं |
- जहाँ तक बुलेट ट्रेन चलाए जाने की बात है तो उसकी पटरी को बिछाने का खर्चा बहुत महंगा पड़ता है अभी तो भारत में जो मौजूदा लाइनें हैं की सुरक्षा की ही चुनौती विद्यमान है | भारतीय रेलवे के लिए तो इतना खर्चा उठाना अभी संभव नहीं है. अतः फ़िलहाल जो बुनियादी ढाँचा हमारे पास है, पहले उसी पर ध्यान देना चाहिए |
आगे की राह :
रेल मंत्रालय के अनुसार, सुरक्षा को लेकर जापान के रेलवे टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट और कोरिया के रेल रिसर्च इंस्टीट्यूट से मदद ली जा रही है, ताकि ज़ीरो एक्सिडेंट पॉलिसी का रोडमैप तैयार किया जा सके | किन्तु, लगातार हो रहे हादसे बताते हैं कि रेल सुरक्षा के नाम पर हज़ारों रुपए खर्च करने और नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के दावों-वादों के बावजूद हादसों की रोकथाम नहीं हो सकी है | अब भी समस्या अपनी पूरी भयावहता के साथ विद्यमान है | भारतीय रेल को इस से पूरी तरह मुक्त टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल की मदद से किया जा सकता है | सेफ़्टी रेगुलेशन के लिए रेलवे में स्वतंत्र मैकेनिज़्म की ज़रूरत है | यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की तर्ज़ पर भारत में भी एडवांस्ड सिग्नल सिस्टम अपनाया जा सकता है | इसके अलावा सुरक्षा संबंधी मूलभूत ढांचे को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए |