ईएसजी: महत्त्व एवं संभावनाएँ | 26 May 2022
यह एडिटोरियल 25/05/2022 को ‘हिंदू बिजनेसलाइन’ में प्रकाशित “Taking ESG Reporting to the Next Level लेख पर आधारित है। इसमें कंपनियों द्वारा ईएसजी अनुपालन के महत्त्व और अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु किये जा सकने वाले उपायों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
परंपरागत रूप से निवेश संबंधी निर्णय मुख्य रूप से वित्तीय मानकों द्वारा संचालित होते हैं। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंताओं के साथ, विकास के सतत् मॉडल (और इसलिये, निवेश) की ओर आगे बढ़ने के माध्यम से इसके प्रति अनुकूलित होना और इसके परिणामों का शमन करना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख चिंताओं के रूप में उभरा है।
- सतत्/संवहनीय निवेशन पर निवेशकों का ध्यान बढ़ रहा है, जहाँ वे वित्त-केंद्रित निवेश मॉडल से अधिक सामाजिक एवं पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी दीर्घकालिक निवेश प्रवृत्तियों की ओर आगे बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर ‘पर्यावरण, सामाजिक और शासन (Environmental, Social and Governance- ESG) निवेश की मांग ने उल्लेखनीय आकर्षण प्राप्त किया है।
- पिछले कुछ वर्षों में ‘ईएसजी फंड’ (ESG Funds) की परिसंपत्ति का आकार लगभग पाँच गुना बढ़कर 12,300 करोड़ रुपए का हो गया है।
ईएसजी लक्ष्य (ESG Goals) क्या हैं?
- ‘पर्यावरण, सामाजिक और शासन लक्ष्य’ कंपनी के संचालन के लिये मानकों का एक ऐसा समूह है जो कंपनियों को बेहतर शासन, नैतिक अभ्यासों, पर्यावरण-अनुकूल उपायों और सामाजिक उत्तरदायित्वों का पालन करने के लिये विवश करते हैं।
- पर्यावरणीय मानदंड इस बात पर विचार करते हैं कि कोई कंपनी प्रकृति के परिचारक के रूप में कैसा प्रदर्शन करती है।
- सामाजिक मानदंड यह परीक्षण करते हैं कि कंपनी अपने कर्मचारियों, आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों और स्थानीय समुदायों (जहाँ वह संचालित होती है) के साथ अपने संबंधों का प्रबंधन कैसे करती है।
- शासन किसी कंपनी के नेतृत्व, कार्यकारी वेतन, लेखा परीक्षा, आंतरिक नियंत्रण और शेयरधारक अधिकारों से संबोधित होता है।
- यह निवेश निर्णयों को निर्देशित करने के लिये एक मीट्रिक के रूप में गैर-वित्तीय कारकों पर ध्यान केंद्रित करता है जहाँ वित्तीय रिटर्न में वृद्धि अब निवेशकों का एकमात्र उद्देश्य नहीं रह गया है।
- वर्ष 2006 में ‘यूनाइटेड नेशंस प्रिंसिपल फॉर रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट’ (United Nations Principles for Responsible Investment- UN-PRI) के आरंभ के साथ ईसीजी ढाँचे को आधुनिक समय के व्यवसायों की एक अविभाज्य कड़ी के रूप में मान्यता दी गई है।
ईएसजी फंड
- ईएसजी फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है। इसका निवेश सतत् निवेश या सामाजिक रूप से उत्तरदायी निवेश के समानार्थी रूप से उपयोग किया जाता है।
- इस प्रकार, ईएसजी फंड और अन्य फंडों के बीच प्रमुख अंतर ‘विवेक’ का है।
- ईएसजी फंड पर्यावरण-अनुकूल अभ्यासों, नैतिक कारोबार अभ्यासों और कर्मचारी-अनुकूल रिकॉर्ड रखने वाली कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इस फंड को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
ईएसजी कॉरपोरेट्स और उनके हितधारकों के लिये मूल्य सृजन कैसे करता है?
- राजस्व में वृद्धि: ईएसजी सिद्धांतों के साथ संरेखण से कंपनियों को मौजूदा बाज़ारों का विस्तार करने और उनकी ‘ब्लू ओशन रणनीति’ (Blue Ocean Strategy) के एक अंग के रूप में विकास के नए अवसर प्रदान करने में मदद मिलती है।
- सार्वजनिक छवि में सुधार: ईएसजी-अनुपालनकर्ता कंपनियों को कम लागत पर संसाधनों (प्राकृतिक, वित्तीय, मानव प्रतिभा आदि) तक आसान पहुँच प्राप्त होती है।
- धन जुटाने के लिये ईएसजी महत्त्वपूर्ण है और भारत जैसे देशों में अन्य संसाधनों तक मुक्त पहुँच भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, जहाँ कंपनियों को आरक्षित क्षेत्रों में नई परियोजनाएँ शुरू करते समय स्थानीय समुदायों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
- दीर्घकालिक संवहनीयता: ईएसजी ढाँचे का अनुपालन कंपनियों को अधिक सतत् निवेश अवसरों की तलाश करने के लिये प्रोत्साहित करता है जो दीर्घावधि में प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ सृजित करता है।
- निम्न कार्बन उत्सर्जन, अपशिष्ट में कमी, इष्टतम जल-उपयोग, उच्च रोज़गार सृजन और अपेक्षाकृत बेहतर प्रकटीकरण रखने वाली कंपनियाँ ईएसजी सूचकांक में उच्च स्कोर प्राप्त कर सकेंगी।
- कर्मचारी उत्पादकता में वृद्धि: कंपनी पारितंत्र के साथ ईएसजी का एकीकरण कर्मचारियों के बीच एक ‘उद्देश्य-संचालित-जीवन’ (Purpose-Driven-Life) सन्निहित करता है ताकि वे अपनी नौकरी में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें।
- लागत/जोखिम में कमी: शेयरधारक शिकायत का निवारण, मानवाधिकार और कंपनियों की लैंगिक विविधता जैसे ईएसजी मानदंडों की पूर्ति के परिणामस्वरूप अर्थदंड एवं प्रवर्तन कार्रवाई में कमी आएगी।
ईएसजी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कौन-सी पहलें की गई हैं?
- कंपनियों के लिये ईएसजी प्रकटीकरण आवश्यकताओं की पहचान करने की दिशा में प्रारंभिक उल्लेखनीय कार्रवाई वर्ष 2011 में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई ‘कारोबार के सामाजिक, पर्यावरण और आर्थिक दायित्वों पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशानिर्देश’ (National Voluntary Guidelines on Social, Environmental and Economic Responsibilities of Business) के रूप में प्रकट हुई।
- वर्ष 2012 में सेबी ने ‘बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी रिपोर्ट’ (BRR) तैयार की, जिसने बाज़ार पूंजीकरण के अनुसार शीर्ष 100 सूचीबद्ध संस्थाओं (जिसे वर्ष 2015 में शीर्ष 500 सूचीबद्ध संस्थाओं तक विस्तारित कर दिया गया) के लिये उनकी वार्षिक रिपोर्ट के एक भाग के रूप में BRR फ़ाइल करना अनिवार्य कर दिया।
- वर्ष 2021 में सेबी ने मौजूदा बीआरआर रिपोर्टिंग आवश्यकता को एक अधिक व्यापक एकीकृत तंत्र ‘बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट’ (BRSR) से प्रतिस्थापित कर दिया।
- यह वित्त वर्ष 2022-23 से शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध संस्थाओं (बाजार पूंजीकरण के अनुसार) पर अनिवार्य रूप से लागू होगा।
- BRSR ‘उत्तरदायी व्यावसायिक आचरण पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश’ (NGBRCs) के नौ सिद्धांतों पर सूचीबद्ध संस्थाओं से उनके प्रदर्शन पर प्रकटीकरण की अपेक्षा रखता है।
हितधारक इस पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं?
- भारतीय निवेशक ईएसजी अनुपालनकर्ता कंपनियों और निवेश उत्पादों में अधिक रुचि दिखा रहे हैं और कंपनियां अपनी कॉर्पोरेट प्रशासन रणनीतियों में ईएसजी को शामिल करने की दिशा में लगातार कदम उठा रही हैं।
- उदाहरण के लिये, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने वर्ष 2030 तक ‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन’ प्राप्त करने के लिये अपने पूर्ण GHG उत्सर्जन को कम करने की योजना का खुलासा किया है।
- गाजियाबाद नगर निगम भारत का पहला नगर निकाय बन गया है जिसने अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिये पर्यावरणीय रूप से संवहनीय एक परियोजना हेतु बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में सूचीबद्ध ग्रीन बॉण्ड जारी किया है।
आगे की राह
- नीति-निर्माताओं की भूमिका: नीति निर्माताओं को धीरे-धीरे एक अधिक व्यापक और विस्तृत ईएसजी रिपोर्टिंग व्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ना चाहिये जहाँ लक्ष्य हो कि सभी सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध संस्थाओं को शामिल किया जाए और उन्हें ईएसजी रिपोर्टिंग ढाँचे के दायरे में लाया जाए।
- ईएसजी निवेश की बढ़ती मांग का अर्थ है कि पर्याप्त प्रकटीकरण की बढ़ती हुई आवश्यकता और एक रिपोर्टिंग तंत्र की स्थापना की जाए ताकि पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन संबंधी चुनौतियों के जोखिम मूल्यांकन और शमन उपायों को शामिल कर दीर्घावधि के स्थायी रिटर्न के लक्ष्यों की ओर झुकाव वाले बदलते निवेश रुझानों के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
- मानकीकृत ईएसजी मानदंड: ईएसजी मानदंडों पर मात्रात्मक और मानकीकृत प्रकटीकरण एक अधिक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा, हितधारकों को वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों सूचनाएँ प्रदान करेगा और इस बारे में संक्षिप्त संचार करेगा कि संवहनीयता संबंधी मुद्दों पर अधिक पारदर्शिता प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप कैसे एक संगठन की रणनीति, शासन, प्रदर्शन और संभावनाएँ समय के साथ मूल्य सृजित करेंगी।
- निवेशकों और कंपनियों की भूमिका: निवेशकों को न केवल बढ़े हुए वित्तीय रिटर्न हासिल करने की ओर उन्मुख होना चाहिये, बल्कि सतत् विकास के साथ अपने पोर्टफोलियो को संरेखित करने के लिये भी तत्पर रहना चाहिये।
- कंपनियों के कॉर्पोरेट प्रशासन अभ्यासों के साथ ईएसजी प्रकटीकरण को एकीकृत करना निवेश के दृष्टिकोण से अत्यंत परिणामी होता जा रहा है क्योंकि यह कंपनियों के मूल्य का आकलन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- व्यापार रणनीति/नीतियों में ईएसजी कारकों को ध्यान में नहीं रखने के परिणाम भविष्य में व्यावसायिक प्रक्रियाओं को निरर्थक बना सकते हैं, क्योंकि कानूनी और विनियामक परिवर्तन भविष्य में कारोबार करने के विशेष तरीके को निषिद्ध कर सकते हैं और इस प्रकार निवेशकों के दृष्टिकोण से इसकी व्यवहार्यता कम हो सकती है।
किन अन्य चुनौतियों को संबोधित करने की आवश्यकता है?
- सीमा-पार रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के मानकीकरण की कमी ईएसजी सिद्धांतों, ढाँचे और विचारों के सामंजस्य में कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकती हैं।
- ईएसजी मानकों की पारदर्शिता, निरंतरता, भौतिकता और तुलनीयता से संबंधित अन्य चुनौतियाँ भी आगे ईएसजी रिपोर्टिंग ढाँचे के निर्बाध कार्यान्वयन में बाधाएँ खड़ी कर सकती हैं।
- हालाँकि मध्यम और लघु कंपनियों में ईएसजी का उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इन छोटे व्यवसायों को उच्च पूंजी लागत और/या ऐसे उपायों को लागू करने में विशेषज्ञता की कमी के कारण ईएसजी पर न्यूनतम से अधिक करने के लिये सीमित किया जा सकता है।
- भविष्य में ईएसजी रिपोर्टिंग का एक प्रभावी और कुशल तंत्र तैयार करने के लिये इन चिंताओं को दूर किया जाना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: भारत में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये किये जा सकने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये।