11वीं सामान्य समीक्षा मिशन रिपोर्ट : उपलब्धियाँ एवं चुनौतियाँ | 19 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission report) की 11वीं सामान्य समीक्षा मिशन (Common Review Mission - CRM) रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2013 से मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) में रिकॉर्ड 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। देश में मातृ मृत्यु दर 2011-13 में 167 थी, जो 2013-16 में घटकर 130 हो गई है।
- इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये 11वीं CRM टीम द्वारा 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा किया गया, जिनमें 4 पूर्वोत्तर के राज्य, 6 उच्च ध्यान केंद्रित राज्य (High Focus States) और 6 गैर उच्च ध्यान केंद्रित राज्य (Non-High Focus States) थे।
- रिपोर्ट के अंतर्गत निम्नलिखित विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है; गुणवत्ता आश्वासन; RMNCH + A (Reproductive, Maternal, Newborn, Child and adolescent health - RMNCH+A); मानव संसाधन; सामुदायिक प्रक्रियाएँ; सूचना और ज्ञान; हेल्थकेयर वित्तपोषण; दवाओं, निदान और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की खरीद; राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (National Urban Health Mission-NUHM) और शासन एवं प्रबंधन।
- सीआरएम रिपोर्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के सभी पहलुओं पर गौर किया जाता है तथा इसके लिये आवश्यक उपायों के मद्देनज़र माध्यमिक डेटा समीक्षा, सुविधाओं का तीव्र मूल्यांकन, कार्यान्वयनकर्त्ता और लाभार्थी दृष्टिकोण के संदर्भ में कार्यवाही की जाती है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट के अनुसार, परिवार नियोजन के मामले में महिलाओं को ‘असमान बोझ’ (uneven burden) उठाना पड़ता है। देश में 93 प्रतिशत से अधिक नसबंदी के मामले महिलाओं के हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि हमारे देश में परिवार नियोजन के संबंध में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भागीदरी अधिक है। रिपोर्ट में यह भी निहित किया गया है कि देश में पुरुष नसबंदी सेवाओं (male sterilisation services) की उपलब्धता अभी भी अपर्याप्त है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सामान्य समीक्षा मिशन की 11वीं रिपोर्ट में स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System - HMIS) से प्राप्त नवीनतम आँकड़ों का हवाला देते हुए इस मुद्दे को रेखांकित किया गया हैं।
- HMIS पर राज्यों द्वारा नसबंदी सहित एनएचएम के विभिन्न मानकों पर आधारित डेटा अपलोड किया गया है।
- सामान्य समीक्षा मिशन की 11वीं रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को परिवार नियोजन और नसबंदी के आवधिक तरीकों का असमान बोझ उठाना पड़ता है।
- HMIS के अनुसार, 2017-18 (अक्तूबर तक) में कुल 14,73,418 नसबंदी प्रक्रियाओं में केवल 6.8% मामले पुरुष नसबंदी के थे जबकि 93.1% मामले महिला नसबंदी के थे।
- हालाँकि इन आँकड़ों में पिछले वर्ष से मामूली सुधार दर्ज किया गया है, कुछ वर्ष पहले तक देश में नसबंदी के मामलों में महिलाओं की हिस्सेदारी 98 प्रतिशत थी।
- सरकारी कार्यक्रमों के तहत 2015-16 में देश भर में 41,41,502 नसबंदी के मामलों में से 40,61,462 ट्यूबेक्टोमी (tubectomies) अर्थात महिला नसबंदी के थे। वर्ष 2014-15 में 40,30,409 नसबंदी के मामलों में से 39,52,043 ट्यूबक्टोमी के थे।
- विशेषज्ञों के अनुसार, नसबंदी की प्रक्रिया का सामना करने के संबंध में भारतीय पुरुषों की अनिच्छा के पीछे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, तार्किक सीमाओं जैसे बहुत से कारक ज़िम्मेदार हैं।
- आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी की घटनाओं ने समाज के सामने इस प्रक्रिया को बुरे तरीके से पेश किया है, इसके बारे में गलत जानकारी ने पुरुषों में एक भ्रांति पैदा कर दी कि इससे उनके पौरुष में कमी आएगी, जिसके कारण इस प्रक्रिया के संबंध में उनके रुझान में निरंतर कमी देखने को मिली है।
- इसका प्रमाण हमें इस रूप में देखने को मिलता है कि वर्तमान में देश में बहुत कम पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता मौजूद हैं, जिसके परिणामस्वरूप गाँव में किसी महिला आशा कार्यकर्त्ता द्वारा पुरुषों से नसबंदी के बारे में बात करना बेहद मुश्किल होता है।
- पुरुष नसबंदी को और अधिक स्वीकार्य बनाने के प्रयासों के बावजूद समीक्षा मिशन (यह प्रमुख स्वास्थ्य मिशन का बाहरी मूल्यांकन माध्यम है) द्वारा पाया गया कि बहुत कम केंद्रों पर गैर-स्केलपल वेसेक्टॉमी (Non-Scalpel Vasectomy) सेवाएँ (यह एक प्रकार की पुरुष नसबंदी होती है जिसमें शुक्रवाहिनी को काट कर हटा दिया जाता है) उपलब्ध हैं और इन सेवाओं के उत्थान के संबंध में सभी राज्यों में कोई विशेष प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। यह मादा नसबंदी या ट्यूबक्टोमी की तुलना में एक आसान प्रक्रिया होती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य सरकारों को लचीला वित्तपोषण उपलब्ध कराकर ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य क्षेत्र को पुर्नजीवित करने का सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में निम्नलिखित चार घटकों को शामिल किया गया है- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, तृतीयक देखभाल कार्यक्रम और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा के लिये मानव संसाधन।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रजनन और बच्चों के स्वास्थ्य से परे ध्यान केंद्रित कर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के सरकार के प्रयास को दर्शाता है। इसलिये इसके तहत संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों के दोहरे बोझ से निपटने के साथ ही ज़िला और उप ज़िला स्तर पर बुनियादी ढाचा सुविधाओं में सुधार किया गया है।
- राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के बेहतर कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की सीख को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में समन्वित किया गया है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के दो विभागों को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत किया गया है। इस एकीकरण के परिणामस्वरूप देश के ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली को पुर्नजीवित करने के लिये स्वास्थ्य क्षेत्र में आवंटन बढ़ाने और कार्यक्रम कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण समन्वय देखा गया है। इसी प्रकार का एकीकरण राज्य स्तर पर भी किया गया था।
- एनएचएम का प्राथमिक उद्देश्य प्रजनन और बच्चों के स्वास्थ्य पर केंद्रित है। एनएचएम द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव करवाने को उच्च प्राथमिकता देने का महत्त्वपूर्ण प्रभाव मातृत्व मृत्यु दर और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (अंडर 5 एमआर) पर पड़ा है।
- स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति की सुदृढ़ प्रणाली के कारण स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सूचकांक में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य और उप ज़िला स्तर पर जन स्वास्थ्य प्रणालियों के सुदृढ़ीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- मंत्रालय ने चरणबद्ध तरीके से उप स्वास्थ्य केंद्रों को स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर [Sub Health Centres as Health and Wellness Centres (HWC-SHC)] के रूप में मज़बूत किया है, ताकि 2022 तक 1,50,000 एचडब्ल्यूसी परिचालित करने की प्रतिबद्धता को पूरा किया जा सके।