स्वच्छता और स्वास्थ्य पर वैश्विक दिशा-निर्देश | 03 Oct 2018
चर्चा में क्यों?
वैश्विक स्वच्छता और स्वास्थ्य पर पहली बार दिशा-निर्देश जारी करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने चेतावनी दी है कि दुनिया वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वच्छता कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश के तहत प्रमुख सिफारिशें
- स्वच्छता संबंधी मध्यवर्ती इकाइयों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी समुदायों की ऐसे शौचालयों तक पहुँच सुनिश्चित हो जहाँ मल-मूत्र आदि का सुरक्षित निपटान हो।
- व्यक्तियों और समुदायों को मल-मूत्र के संपर्क से बचाने के लिये पूर्ण स्वच्छता प्रणाली के अंतर्गत स्थानीय स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन किया जाना चाहिये। चाहे वह जोखिम असुरक्षित शौचालयों के कारण हो, मानव अपशिष्टों के अपर्याप्त उपचार या भंडारण के लीक होने के कारण हो।
- स्वच्छता को नियमित रूप से स्थानीय सरकार की अगुआई वाली योजना और सेवा प्रावधान के अंतर्गत एकीकृत किया जाना चाहिये ताकि स्वच्छता को पुनः संयोजित करने और स्थायित्व सुनिश्चित करने से जुड़ी उच्च लागत पर रोक लगाईं जा सके।
- स्वास्थ्य क्षेत्र को सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिये स्वच्छता योजना में अधिक निवेश करना चाहिये और साथ ही समन्वयक की भूमिका निभानी चाहिये।
वैश्विक दिशा-निर्देशों की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- WHO के अनुसार, दुनिया भर में, 3 बिलियन लोगों के बीच बुनियादी स्वच्छता की कमी है (इस संख्या में से लगभग आधे लोग ऐसे हैं जो खुले में शौच करने के लिये मजबूर हैं)। ये सभी लोग उन 4.5 बिलियन लोगों में शामिल हैं जिनकी स्वच्छता सेवाओं या दूसरे शब्दों ऐसे शौचालयों जो किसी सीवर या गड्ढे या सेप्टिक टैंक से जुड़े हुए हों, तक पहुँच कम है।
- स्वास्थ्य सेवाओं तक उचित पहुँच न होने के कारण दुनिया भर में लाखों लोग उपयुक्त शौचालय और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसी सुविधाओं आदि से वंचित हैं।
- WHO ने स्वच्छता और स्वास्थ्य पर नए दिशा-निर्देश इसलिये विकसित किये हैं क्योंकि वर्तमान स्वच्छता कार्यक्रम अनुमानित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने में असफल रहे हैं और स्वच्छता पर आधिकारिक स्वास्थ्य-आधारित मार्गदर्शन की कमी है।
कुछ देशों द्वारा उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों की सराहना
- WHO ने स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है। WHO के अनुसार, भारत ने खुले में शौच को समाप्त करने के लिये व्यापक स्तर पर काम किया है। भारत का स्वच्छ भारत मिशन (स्वच्छ भारत कार्यक्रम) स्वच्छता संबंधी बुनियादी क्षेत्रों तक लोगों की पहुँच और लाखों लोगों के जीवन में सुधार सुनिश्चित करने के लिये कई क्षेत्रों में समन्वित कार्य कर रहा है।
- सेनेगल (अफ्रीका का एक नेता) सभी के लिये स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने हेतु गड्ढा युक्त शौचालयों और सेप्टिक टैंक की भूमिका को स्वीकार करता है। सरकार निजी क्षेत्र के साथ गड्ढों और सैप्टिक टैंकों को खाली करने और इनसे निकलने वाले अपशिष्टों के सुरक्षित उपचार के लिये अभिनव समाधान की योजना बना रही है।
दिशा-निर्देशों को लागू करने से क्या लाभ होंगे?
- असुरक्षित पानी, स्वच्छता और साफ़-सफाई में कमी के कारण डायरिया जैसी बीमारियाँ होने से हर साल लगभग 829,000 मौतें होती हैं। WHO के नए दिशा-निर्देशों को अपनाकर देश मौत के इन आँकड़ों में कमी ला सकते हैं।
- WHO का अनुमान है कि स्वच्छता में निवेश किये गए प्रति 1 अमेरिकी डॉलर के बदले, कम स्वास्थ्य लागत, उत्पादकता में वृद्धि और समय से पहले मृत्यु के आँकड़ों में कमी से लगभग छः गुना लाभ की प्राप्ति होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
- इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में अवस्थित है।
- WHO संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है।
- इसकी पूर्ववर्ती संस्था ‘स्वास्थ्य संगठन’ लीग ऑफ नेशंस की एजेंसी थी।
निष्कर्ष
स्वच्छता मानव स्वास्थ्य और विकास की मूलभूत नींव है तथा दुनिया भर में WHO और स्वास्थ्य मंत्रालयों का मुख्य मिशन है। हर जगह, हर किसी के लिये स्वास्थ्य और कल्याण को सुरक्षित करने हेतु WHO के स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश आवश्यक हैं।