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भारतीय अर्थव्यवस्था

सफेद चाय

  • 30 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के उनाकोटि ज़िले में इस साल की शुरुआत में ही 95 वर्ष पुराने गोलोकपुर टी एस्टेट (Golokpur Tea Estate) ने 10 हज़ार रुपए में एक किलोग्राम सफेद चाय (व्हाइट टी) बेचकर कीर्तिमान स्थापित किया।

White tea

सफेद चाय क्या है?

  • चाय की कलियों और नई पत्तियों के आसपास के सफेद रोएं/रेशे से तैयार चाय को सफेद चाय कहा जाता है। यह दिखने में हल्के भूरे या सफेद रंग की होती है इसलिये इसे यह नाम दिया गया है।
  • कई स्थानों पर इसे कम प्रसंस्करण के साथ सुखाई गईं पत्तियों से तो कहीं-कहीं पर कलियों से भी तैयार किया जाता है।
  • टी बोर्ड इंडिया के अनुसार, भारत वैश्विक चाय 14% तथा देश में उत्पादित चाय का लगभग 20% निर्यात करता है।

भारत और चाय उत्पादन

  • भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • यह दुनिया में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • यह दुनिया में चाय का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

चाय उत्पादन

  • असम, दार्जिलिंग, दक्षिण भारत की नीलगिरी पहाड़ियों और हिमालय की तलहटी के साथ तराई भागों में चाय की खेती और रोपण किया जाता है।

चाय की खेती के लिये अनुकूल स्थितियाँ

  • जलवायु: चाय एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय पौधा है। यह गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से वृद्धि करता है।
  • तापमान: इसकी वृद्धि के लिये आदर्श तापमान 20°-30°C है।
  • वर्षा: इसके लिये वर्ष भर 150-300 सेमी. औसत वर्षा की आवश्यकता होती है।
  • मृदा: चाय की खेती के लिये सबसे उपयुक्त छिद्रयुक्त अम्लीय मृदा (कैल्शियम के बिना) होती है, जिसमें जल आसानी से प्रवेश कर सके।

टी बोर्ड

(Tea Board)

  • टी बोर्ड वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) के अधीन एक सांविधिक निकाय है।
  • बोर्ड के 31 सदस्यों में संसद के सदस्य, चाय उत्पादक, चाय विक्रेता, चाय ब्रोकर, उपभोक्ता व प्रधान चाय उत्पादन राज्यों से सरकार के प्रतिनिधि एवं व्यावसायिक संघ के सदस्य (अध्यक्ष सहित) शामिल होते हैं।
  • प्रत्येक तीन साल में बोर्ड का पुनर्गठन किया जाता है।

कार्य

  • चाय के विपणन, उत्पादन के लिये तकनीकी व आर्थिक सहायता का प्रस्तुतीकरण करना।
  • निर्यात संवर्द्धन करना।
  • चाय की गुणवत्ता में सुधार व चाय उत्पादन के आवर्धन के लिये अनुसंधान व विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  • श्रमिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से चायरोपण श्रमिकों और उनके वार्डों तक सीमित तरीके से आर्थिक सहायता पहुँचाना।
  • लघु उत्पादकों के असंगठित क्षेत्र को आर्थिक व तकनीकी सहायता देना व उन्हें प्रेरित करना।
  • सांख्यिकी डेटा व प्रकाशन का संग्रह व रख-रखाव करना।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

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