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उल्का बौछार

  • 21 Oct 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

उल्का बौछार, उल्कापिंड

मेन्स के लिये: 

उल्का बौछार, उल्कापिंड की संरचना 

चर्चा में क्यों?

हाल में ओरियनॉइड उल्का बौछार (Orionids Meteor Shower) की परिघटना देखी जा रही है। 

उल्का बौछार (Meteor Shower) क्या होती है?

  • जब पृथ्वी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए मलबे के पास से गुज़रती है, तो उल्का बौछार की परिघटना देखी जाती है।
  • इसमें उल्कापिंडों की एक शृंखला पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है और चमकती हुई लकीर जैसे दिखाई देती है।

mateor shower

  • यह उल्का बौछार अपनी चमक और गति के लिये जानी जाती है और यह पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग 66 किमी./सेकंड की गति से प्रवेश करती है। नासा के अनुसार, प्रतिवर्ष ऐसी 30 से अधिक उल्का बौछार की परिघटनाएँ होती हैं।
  • उल्लेखनीय है कि उल्का बौछारों की उत्पत्ति के बिंदु को दीप्तिमान (Radiant) कहा जाता है।

नामकरण:

  • उल्का बौछारें जिस नक्षत्र या तारा समूह (Constellation) से आती हैं उनका नामकरण उसी के नाम पर होता है। वर्तमान में हो रही उल्का बौछार, ओरियनिड्स नक्षत्र से संबंधित है इसलिये इसका नाम ओरियनॉइड उल्का बौछार रखा गया है।

प्रकार:

  • ओरियनॉइड उल्का बौछारों की परिघटना प्रत्येक वर्ष देखी जाती है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष अगस्त में पर्सिड (Perseid), दिसंबर-जनवरी में क्वाड्रेंटिस (Quadrantis), अप्रैल में लिरिड्स (Lyrids), नवंबर में लियोनिड्स (Leonids) और दिसंबर में जेमिनिड्स (Geminids) जैसी उल्का बौछारों की परिघटनाएँ देखी जाती है।

उल्का बौछार वार्षिक आधार पर क्यों होती है?

  • पृथ्वी की तरह ही धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं, हालाँकि वे पृथ्वी की तरह वृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा नहीं करते हैं इसलिये वे अपनी कक्षा से इतर भटक जाते हैं और जलने लगते हैं।
  • मध्य रात्रि के बाद उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों से ओरियनॉइड उल्का बौछारों को देखा जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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