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पार्कर सोलर प्रोब

  • 19 Aug 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नासा के पार्कर सोलर प्रोब मिशन ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा किया। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में चुंबकीय बल, प्लाज़्मा, कोरोना और सौर पवन (Solar Wind’s) आदि का अध्ययन करना है।

मिशन के बारे में:

यह मिशन नासा के लिविंग विद ए स्टार (Living With a Star) कार्यक्रम का हिस्सा है।

लिविंग विद ए स्टार (Living With a Star- LWS):

  • लिविंग विद ए स्टार अंतरिक्ष पर्यावरण (Space Environment) को समझने हेतु नासा का एक कार्यक्रम है।
  • सूर्य-पृथ्वी प्रणाली (Sun-Earth System) को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने के लिए आवश्यक व्यापक अनुसंधान प्रदान करता है साथ ही यह मौसम के बेहतर पूर्वानुमान में सहायक भी है।
  • यह मिशन अंतरिक्ष में संपन्न होने वाली वाली विभिन्न घटनाओं जैसे सौर तूफ़ान तथा पृथ्वी और अंतरिक्ष प्रणालियों के बीच के अज्ञात संबंधो की जाँच कर रहा है।
  • इस मिशन को फ्लोरिडा स्थित नासा के केप केनेडी स्पेस सेंटर (Complex37- कांप्लेक्स37) से डेल्टा 4 रॉकेट द्वारा वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
  • नासा ने पार्कर सोलर प्रोब का नाम प्रख्यात खगोल भौतिकीविद् यूज़ीन पार्कर के सम्मान में रखा है। पहले इसका नाम सोलर प्रोब प्लस था।
  • यूज़ीन पार्कर ने ही सबसे पहले वर्ष 1958 में अंतरिक्ष के सौर तूफान के बारे में भी बताया था।
  • पार्कर सोलर प्रोब की लंबाई 1 मीटर, ऊँचाई 2.5 मीटर तथा चौड़ाई 3 मीटर है।

सौर तूफान:

  • सूर्य की सतह पर कभी-कभी बेहद चमकदार प्रकाश दिखने की घटना को सन फ्लेयर (Sun Flare) कहा जाता है। इस घटना में असीम ऊर्जा निकलती है।
  • इस ऊर्जा के साथ सूर्य से अतिसूक्ष्म नाभिकीय कण भी निकलते हैं। यह ऊर्जा और कण ब्रह्मांड में फैल जाते हैं। इससे बड़े स्तर पर नाभिकीय विकिरण की घटना होती है जिसे सौर तूफान कहा जाता है।
  • सौर तूफान का सौरमंडल पर भी प्रभाव देखा जा रहा है। इस प्रकार की घटना के अध्ययन से वैज्ञानिकों को सूर्य और ब्रह्माण्ड को समझने में मदद मिलने की संभावना है ।
  • सूर्य से लगातार आते आवेशित (Charged) कणों से चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की रक्षा करता है। ये चुंबकीय शक्तियाँ वायुमंडल के आस-पास कवच का काम करती हैं, लेकिन सौर तूफान के दौरान कई बार आवेशित कण इस चुंबकीय कवच को भेद देते हैं।

मिशन का उद्देश्य:

  • पार्कर सोलर प्रोब के ऊपर 4.5 इंच मोटा कार्बन मिश्रित कवच (Carbon Composite Heat Shield) है जो सूर्य के अत्यधिक ताप से इसकी सुरक्षा करता है, साथ ही इसका शील्ड, फाइबर और ग्रेफाइट (ठोस कार्बन) से तैयार किया गया है।
  • इस मिशन के माध्यम से सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना है, साथ ही यह सूर्य के सबसे समीप पहुँचने वाली मानव निर्मित वस्तु है।
  • इसके साथ भेजे गए चार पेलोड सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, प्लाज़्मा और ऊर्जा कणों का परीक्षण कर उनका 3-D चित्र तैयार करते हैं।
  • इस मिशन के माध्यम से सौर पवन के स्रोतों और चुंबकीय क्षेत्र की बनावट तथा उनके डायनामिक्स की जाँच की जा रही है।
  • यह मिशन सूर्य की सतह से इसके कोरोना के ज़्यादा तापमान होने के कारणों का भी अध्यययन करेगा।

कोरोना (Corona):

Corona

  • सूर्य के वर्णमंडल के वाह्य भाग को किरीट/कोरोना (Corona) कहते हैं।
  • पूर्ण सूर्यग्रहण के समय यह श्वेत वर्ण का होता है।
  • सूर्य का कोरोना बाहरी अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक फैला है और इसे सूर्य ग्रहण के दौरान आसानी से देखा जाता है
  • किरीट अत्यंत विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।
  • F कोरोना धूल के कणों से बनती हैं वहीं E कोरोना प्लाज्मा में मौजूद आयनों द्वारा बनती है। इस प्रकार की घटनाओं का विस्तृत अध्ययन अब तक नहीं किया जा सका है।
  • इस मिशन की सहायता से सूर्य के वातावरण से उत्सर्जित होने वाले ऊर्जा कणों को मिलने वाली गति के विषय में भी अध्ययन किया जा रहा है।
  • यह मिशन सूर्य के चारों ओर के हीलियोस्फियर का अध्ययन कर रहा है साथ ही सूर्य के चारों ओर ज़्यादा तापमान होने के कारणों की भी जाँच की जा रहा है।
  • सौर वायु और आवेशित कणों को गति प्रदान करने वाले कारकों का अध्ययन हो किया जा रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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