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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूस-भारत-चीन समूह की आभासी बैठक

  • 19 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

रूस-भारत-चीन समूह

मेन्स के लिये:

रूस-भारत-चीन समूह

चर्चा में क्यों?

'विदेश मंत्रालय' (Ministry of External Affairs- MEA) के अनुसार, भारत 23 जून को रूस-भारत-चीन (Russia-India-China- RIC) समूह की होने वाली 'आभासी बैठक' (Virtual Meeting) में भाग लेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • RIC की ‘आभासी बैठक' पर भारत-चीन 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' (Line of Actual Control- LAC) पर उत्पन्न तनाव के कारण अनिश्चितता की स्थति बनी हुई थी।
  • रूस, भारत तथा चीन के मध्य LAC पर उत्पन्न तनाव को कम करने में 'रचनात्मक संवाद’ (Constructive Dialogue) स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 15 जून को गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में कम-से-कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

पृष्ठभूमि:

  • RIC समूह के निर्माण का विचार BRICS समूह से बहुत पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री द्वारा दिया गया था। हालाँकि RIC समूह को उतना महत्त्व नहीं दिया गया जितना BRICS समूह को दिया गया है।
  • यद्यपि तीनों देशों के नेताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे बहुपक्षीय सम्मेलनों के दौरान बैठक का आयोजन किया जाता रहा है।

भारत-चीन संबंधों के लिये बैठक का महत्त्व:

  • RIC त्रिपक्षीय समूह होने के कारण, प्राय: इसमें द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती है। रूस ने भारत को RIC की बैठक में किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे को न उठाने की सलाह दी है।
  • बैठक में चर्चा किये जाने वाले विषयों का निर्धारण पहले ही किया जा चुका है। अत: नवीन मुद्दों को बैठक में नहीं उठाया जाएगा।
  • भारत भी अपने सीमा विवादों को द्विपक्षीय रूप से हल करने का समर्थन करता है, अत: इस बात की भी पूरी संभावना है कि भारत अपने सीमा विवादों को RIC की बैठक में न उठाए।

RIC का महत्त्व:

  • तीनों देश बहुपक्षीय संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार का समर्थन करते हैं।
  • तीनों देश अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये सभी स्तरों पर नियमित रूप से वार्ता का समर्थन करते हैं।
  • तीनों देश BRICS, शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO), पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS), एशिया-यूरोप बैठक (Asia-Europe Meeting- ASEM) जैसे साझा समूहों के माध्यम से आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने पर सहमत हैं।
  • तीनों देश यूरेशिया तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक अवस्थिति के आधार पर वैश्विक शक्तियाँ हैं।

भारत के लिये RIC का महत्त्व:

  • QUAD (भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया) तथा JAI (जापान-अमेरिका-भारत) जैसे समूह भारत को केवल एक समुद्री शक्ति होने तक ही सीमित कर देंगे, जबकि RIC समूह वास्तव में भारत को महसागरीय शक्ति के साथ-साथ महाद्वीपीय शक्ति के रूप में उबरने में मदद कर सकता है।
  • भारत और चीन दोनों देशों के रूस के साथ बेहतर संबंध है ऐसे में रूस इन दोनों देशों के बीच सेतु का कार्य कर सकता है।

समूह के समक्ष चुनौतियाँ:

  • भारत-रूस के राजनीतिक संबंध अच्छे हैं लेकिन द्विपक्षीय व्यापार या निवेश कम है। इसके विपरीत भारत-चीन व्यापार बहुत अधिक है लेकिन द्विपक्षीय राजनीतिक संबंध अच्छे नहीं हैं।
  • रूस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं जबकि भारत नहीं, अत: यह समूह इस दृष्टि से असंतुलित नज़र आता है।
  • अमेरिका के संबंध में तीनों देशों की नीतियाँ भी बेमेल नज़र आती हैं। रूस और चीन अमेरिका की एशिया-प्रशांत नीति से खुश नहीं हैं वही भारत इस संबंध में अमेरिका का समर्थन करता है।

निष्कर्ष:

  • रूस-भारत-चीन (RIC) समूह एक महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय समूह है, क्योंकि यह तीन सबसे बड़े यूरेशियन देशों को एक साथ लाता है जिनकी भौगोलिक सीमाएँ आपस में जुड़ी हैं। 23 जून को आयोजित की जा रही आभासी बैठक ज़रूरी है क्योंकि इसमें COVID-19 महामारी जैसे महत्त्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की जाएगी।

स्रोत: द हिंदू

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