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भारतीय अर्थव्यवस्था

रिचार्जेबल बैटरी: UNCTAD की रिपोर्ट

  • 10 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये 

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 

मेन्स के लिये 

रिचार्जेबल बैटरी की आवश्यकता और महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development-UNCTAD) ने 'कमोडिटीज़ एट अ ग्लांस: स्पेशल इश्यू ऑन स्ट्रेटजिक बैटरी एंड मिनरल्स' (Commodities at a glance: Special issue on strategic battery and minerals) नामक रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • आपूर्ति की अनिश्चितता: अंकटाड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, रिचार्जेबल बैटरी का उत्पादन करने के लिये कच्चे माल की आपूर्ति अपर्याप्त है। रिचार्जेबल बैटरी के निर्माण के लिये लीथियम, प्राकृतिक ग्रेफाइट और मैंगनीज महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है। 
  • मांग में वृद्धि: वैश्विक परिवहन के साधनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि से रिचार्जेबल बैटरी की मांग में भी इज़ाफा हुआ है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या वर्ष 2018 में 65 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 5.1 मिलियन तक पहुँच गई है, वर्ष 2030 तक इसकी संख्या 23 मिलियन तक पहुँचने की संभावना व्यक्त की गई है। 
  • कच्चे माल की मांग में वृद्धि: इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ रिचार्जेबल बैटरी और उनमें इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की मांग भी बढ़ गई है।
  • लीथियम आयन (lithium-ion) बैटरी के लिये उपयोगी कैथोड की बाज़ार हिस्सेदारी वर्ष 2018 तक 7 बिलियन डॉलर थी, जो वर्ष 2024 तक 58.8 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है।
  • आने वाले समय में रिचार्जेबल बैटरी बनाने के लिये उपयोग किये जाने वाले कच्चे माल की मांग तेजी से बढ़ेगी क्योंकि ऊर्जा के अन्य स्रोत अब अधिक प्रतिस्पर्द्धी नहीं रहे हैं।

संबंधित चिंताएँ 

  • सीमित आपूर्तिकर्ता: आपूर्ति को सुनिश्चित करना सभी हितधारकों के लिये एक चिंता का विषय है क्योंकि कच्चे माल का उत्पादन कुछ देशों में केंद्रित है।
  • विश्व में 60 प्रतिशत से अधिक कोबाल्ट कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में पाया जाता है जबकि वैश्विक लीथियम का 75 प्रतिशत से अधिक खनन ऑस्ट्रेलिया और चिली में किया जाता है।
  • बाज़ार अस्थिरता: आपूर्ति में किसी भी प्रकार के व्यवधान से बाज़ार में अस्थिरता, मूल्य में वृद्धि और रिचार्जेबल बैटरी की लागत में भी वृद्धि हो सकती है।
  • वर्ष 2018 में कोबाल्ट की मांग वर्ष 2017 के सापेक्ष 25 प्रतिशत बढ़कर 1,25,000 टन हो गई है, जिसमें 9 प्रतिशत कोबाल्ट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में रिचार्जेबल बैटरी के लिये किया गया है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2023 तक कोबाल्ट की मांग 1,85,000 टन तक पहुँच जाएगी।
  • लीथियम की मांग में वर्ष 2015 के बाद प्रतिवर्ष 13 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।

लीथियम आयन बैटरी 

  • लीथियम-आयन बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है।
  • ये बैटरियाँ आजकल के इलेक्ट्रॉनिक सामानों में प्रायः उपयोग की जाती हैं और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के लिये सबसे लोकप्रिय रिचार्जेबल बैटरियों में से एक हैं।
  • लीथियम-आयन बैटरी के धनावेश और ऋणावेश पर रासायनिक अभिक्रिया होती है। इस बैटरी का विद्युत अपघट्य, इन विद्युताग्रों के बीच लीथियम आयनों के आवागमन के लिये माध्यम प्रदान करता है।
  • यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की एक निश्चित मात्र को भंडारित करने में भी सक्षम है। 
  • इसके अलावा इसका सेल्फ-डिस्चार्ज निकेल-कैडमियम की तुलना में आधे से भी कम है, जिससे लीथियम-आयन आधुनिक ईंधन के अनुप्रयोगों हेतु अनुकूल है।

आगे की राह

  • इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन एक पूंजी गहन (Capital Intensive) क्षेत्र है जहाँ सरकारी नीतियों में अनिश्चितता इस उद्योग में निवेश को हतोत्साहित करती है अतः दीर्घकालिक स्थिर नीति बनाने की आवश्यकता है। 
  • चार्जिंग स्टेशनों, ग्रिड़ स्थिरता जैसी अवसंरचनात्मक समस्याओं का समाधान शीघ्र करना चाहिये।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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