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उष्णकटिबंधीय तूफान क्रिस्टोबाल

  • 04 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

उष्णकटिबंधीय तूफान क्रिस्टोबाल,  उष्णकटिबंधीय तथा बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में अंतर, चक्रवातों के क्षेत्रीय नाम

मेन्स के लिये:

उष्णकटिबंधीय तथा बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात

चर्चा में क्यों?

उष्णकटिबंधीय तूफान 'क्रिस्टोबाल' (Cristobal) मेक्सिको में लैंडफॉल करने के बाद धीरे-धीरे अंतर्देशीय भागों की ओर बढ़ रहा है, जिससे दक्षिणी मेक्सिको तथा अमेरिका के कुछ हिस्सों के प्रभावित होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह तूफान पूर्वी प्रशांत महासागर में उत्पन्न उष्णकटिबंधीय तूफान अमांडा (Tropical Storm Amanda) के अधिविष्ट (किसी तूफान की समाप्ति के पूर्व की अवस्था) भाग से बना है। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 'अमांडा' तूफान के कारण हाल ही में अल सल्वाडोर और ग्वाटेमाला में कम-से-कम 17 लोग मारे गए थे।
  • उष्णकटिबंधीय तूफान क्रिस्टोबाल का निर्माण मेक्सिको की खाड़ी में हुआ है। 

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात: 

  • उष्ण कटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान होते हैं जिनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं। 

क्रिस्टोबाल तूफान की विशेषताएँ:

  • तूफान की अवस्थिति: मेक्सिको से 15 मील की दूरी पर;
  • वायु की सामान्य गति: 50 मील प्रति घंटे;
  • वर्षा की संभावना: 25 से 50 सेंटीमीटर तक;

Tropical-Storm-Cristobal

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात निर्माण की अनुकूल स्थितियाँ: 

  • बृहत् समुद्री सतह;  
  • समुद्री सतह का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो; 
  • कोरिआलिस बल का उपस्थित होना; 
  • लंबवत पवनों की गति में अंतर कम होना;  
  • कमज़ोर निम्न दाब क्षेत्र या निम्न स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण होना;  
  • समुद्री तल तंत्र पर ऊपरी अपसरण।

चक्रवातों का निर्माण व समाप्ति:

  • चक्रवातों को ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासी स्तरी मेघों से प्राप्त होती है। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति से ये तूफान अधिक प्रबल होते हैं। 
  • चक्रवातों के स्थल पर पहुँचने पर आर्द्रता की आपूर्ति रुक जाती है जिससे ये क्षीण होकर समाप्त हो जाते हैं। 
    • वह स्थान जहाँ से उष्ण कटिबंधीय चक्रवात तट को पार करके जमीन पर पहुँचते हैं चक्रवात का लैंडफॉल कहलाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का मार्ग:

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा प्रारंभ में पूर्व से पश्चिम की ओर होती है क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है। लेकिन लगभग 20° अक्षांश पर ये चक्रवात कोरिओलिस बल के प्रभाव के कारण दाईं ओर विक्षेपित हो जाते हैं तथा लगभग 25° अक्षांश पर इनकी दिशा उत्तर-पूर्वी ही जाती है। 30° अक्षांश के आसपास पछुआ हवाओं के प्रभाव के कारण इनकी दिशा पूर्व की ओर हो जाती है।

Pacific-Ocean

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के क्षेत्रीय नाम:

क्षेत्र 

चक्रवात नाम 

हिंद महासागर 

चक्रवात 

पश्चिमी अटलांटिक तथा पूर्वी प्रशांत महासागर 

हरीकेन 

पश्चिमी प्रशांत महासगर और दक्षिणी चीन सागर 

टाइफून 

ऑस्ट्रेलिया 

विली-विली 

बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Extra-Tropical Cyclones):

  • वे चक्रवातीय वायु प्रणालियाँ, जो उष्ण कटिबंध से दूर, मध्य व उच्च अक्षांशों में विकसित होती हैं, उन्हें बहिरूष्ण या शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते हैं।

उष्णकटिबंधीय तथा बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में अंतर:

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात अपनी ऊर्जा संघनन की गुप्त उष्मा से प्राप्त करते हैं जबकि बहिरूष्ण चक्रवात अपनी ऊर्जा दो भिन्न वायुराशियों के क्षैतिज तापीय अंतर से प्राप्त करते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में वायु की अधिकतम गति पृथ्वी की सतह के निकट जबकि बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में क्षोभसीमा के पास सबसे अधिक होती है।
  • ऐसा इसलिये होता है क्योंकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात के 'ऊष्ण कोर' क्षोभमंडल में जबकि अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात में 'ऊष्ण कोर' समताप मंडल में तथा 'शीत कोर' क्षोभमंडल में पाई जाती है।
  • 'ऊष्ण कोर' में वायु अपने आसपास की वायु से अधिक गर्म होती है, अत: निम्न दाब केंद्र बनने के कारण वायु तेज़ी से इस केंद्र की ओर प्रवाहित होती है।

स्रोत: द हिंदू

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