व्यापार सुगमता सूचकांक | 24 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
व्यापार सुगमता सूचकांक से संबंधित तथ्य, विगत वर्षों में भारत का स्थान, विश्व बैंक
मेन्स के लिये:
व्यापार सुगमता सूचकांक मानक, संबंधित प्रयास, वर्तमान में विद्यमान समस्याएँ, आगे की राह
चर्चा में क्यों?
विश्व बैंक द्वारा जारी व्यापार सुगमता सूचकांक (Ease Of Doing Business) में भारत को 190 देशों में से 63वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- उल्लेखनीय है कि भारत का पिछले वर्ष 77वाँ स्थान और 67.3 स्कोर था। भारत ने इस वर्ष 14 स्थान के सुधार के साथ अपने स्कोर को भी 71.0 कर लिया है।
व्यापार सुगमता सूचकांक के मानक:
- व्यापार सुगमता सूचकांक के निम्नलिखित मानक हैं-
- व्यवसाय शुरू करना (Starting A Business)
- निर्माण परमिट (Dealing with Construction Permits)
- विद्युत (Getting Electricity)
- संपत्ति का पंजीकरण (Registering Property)
- ऋण उपलब्धता (Getting Credit)
- अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा (Protecting Minority Investors)
- करों का भुगतान करना (Paying Taxes)
- सीमाओं के पार व्यापार करना (Trading Across Borders)
- अनुबंध लागू करना (Enforcing Contract)
- दिवालियापन होने पर समाधान (Resolving Insolvency)
- इसमें 11वाँ मानक श्रमिकों को नियुक्त करना (Employing Workers) है, लेकिन इसको स्कोर के अंतर्गत नहीं मापा जाता है।
वैश्विक संदर्भ:
- सूचकांक में शीर्ष 10 देश- न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग एसएआर चीन, डेनमार्क, कोरिया गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, जॉर्जिया, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे और स्वीडन रहे।
- इस सूचकांक में किसी भी देश के प्रदर्शन को 0-100 का स्कोर दिया जाता है। इसमें 0 स्कोर सबसे खराब और 100 स्कोर सर्वश्रेष्ठ है।
- चीन को 77.9 स्कोर के साथ 31वाँ स्थान प्राप्त हुआ। न्यूज़ीलैंड इस सूचकांक में पहले स्थान पर और सोमालिया को अंतिम 190वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
- इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और नियामक आवश्यकताओं की सुविधा हेतु ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म का व्यापक उपयोग करने लगभग सभी देशों ने सुधार किया इसके विपरीत दिवालियेपन का समाधान करना सबसे कम सुधार वाला क्षेत्र था।
- सूचकांक के अनुसार, शीर्ष 20 देशों की तुलना में नीचे के 50वें स्थान पर रहने वाले देशों में व्यवसाय शुरू करने में छह गुना अधिक समय लगता है।
दक्षिण एशियाई संदर्भ:
- अनुबंधों को लागू करने और संपत्ति के पंजीकरण में दक्षिण एशिया का खराब प्रदर्शन रहा।
- पाकिस्तान ने सुधार वाले शीर्ष 10 देशों में स्थान प्राप्त किया इसके विपरीत बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान जैसे देशों में शून्य विनियामक परिवर्तन (Zero Regulatory Change) दर्ज किया गया।
- दक्षिण एशिया में जहाँ संपत्ति हस्तांतरण को पंजीकृत करने में 108 दिन लगते हैं वहीं उच्च आय वाले OECD देशों में मात्र 24 दिन लगते हैं।
- इसी तरह दक्षिण एशिया में एक वाणिज्यिक विवाद को हल करने में तीन वर्ष का समय लगता है वहीं OECD देशों में इसके आधे समय में ही विवाद को हल कर लिया जाता है।
भारत:संदर्भ-
- भारत लगातार तीसरे वर्ष व्यापार वातावरण (Business Climate) में सुधार करने वाली शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शामिल है।
- इस सूची में भारत के अतिरिक्त सऊदी अरब, जॉर्डन, टोगो, बहरीन, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, कुवैत, चीन और नाइजीरिया शामिल हैं।
- इस सूचकांक में भारत को प्रदर्शन के आधार पर विशेष रूप से सराहनीय (Particularly Commendable) श्रेणी के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- भारत ने व्यवसाय शुरू करने, निर्माण परमिट, सीमाओं के पार व्यापार और दिवालियेपन का समाधान करने के मानकों में सुधार किया।
- भारत ने एकल इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापार हितधारकों के आयात और निर्यात को आसान बनाया इसके अतिरिक्त दस्तावेज़ों को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में बदलने के मामले में सुधार किया गया साथ ही पोत अवसंरचना में भी सुधार किया।
व्यापार सुगमता बढ़ाने हेतु भारत के प्रयास:
- देश के शीर्ष नेतृत्व सहित केंद्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी व्यापार सुगमता सुधारों ने भारत की रैंकिंग को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- भारत में व्यवसाय शुरू करना अधिक आसान बनाया गया, साथ ही ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म का बेहतर प्रयोग किया गया।
- व्यावसायिक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को और सुव्यवस्थित किया, साथ ही निर्माण परमिट प्राप्त करने और निर्माण गुणवत्ता में लगने वाले समय को कम किया गया।
- भारत ने GST कर व्यवस्था का क्रियान्वयन किया है जिसके माध्यम से कर भुगतान सरल और डिजिटलीकृत तरीके से किया जा रहा है।
- भारत ने मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना जैसी पहलें प्रारंभ की हैं जिनकी सहायता से लोगों द्वारा व्यापार करना और व्यापार के लिये पूंजी एकत्र करना आसान हो गया है।
- लघु और मध्यम उद्योगों की क्षमता को ठीक से पहचान कर इनमें वित्त के प्रवाह को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिये छोटे-छोटे क्लस्टर विकसित किये जा रहे हैं।
- इससे लोगों को रोज़गार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, साथ ही इनका भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान भी बढ़ रहा है।
- भारत सरकार ने लघु और मध्यम उद्योगों तथा कृषि क्षेत्र में ऋण की उपलब्धता बढ़ाने के लिये MCLR प्रणाली के स्थान पर एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट की प्रणाली लागू की है जिससे केंद्रीय बैंक और सरकार द्वारा मौद्रिक नीतियों में लिये गए परिवर्तन का प्रभाव त्वरित रूप से इन क्षेत्रों के ऋण पर दिख सके।
- हाल ही में भारत ने कॉर्पोरेट करों में कटौती की है जिसका उद्देश्य भारत में अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है। इस प्रकार के कदम से निवेश लागत कम होगी जिससे भारत में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म के संदर्भ में भारत डिजिटल इंडिया का क्रियान्वयन कर रहा है जिसके तहत व्यापार प्रारंभ करना, संचालित करना, ऋण उपलब्धता अधिक आसान हो गई है।
आगे की राह:
- भारत को इस वर्ष के सूचकांक में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है क्योंकि भारत का उद्देश्य इस वर्ष सूचकांक के शीर्ष 50 में स्थान प्राप्त करना था।
- भारत में किये जा रहे है समस्त प्रयासों का अभी भी पूर्णतः प्रभाव नहीं दिख रहा है क्योंकि GST कर व्यवस्था के साथ लोगों का सामंजस्य ठीक से नहीं बन पा रहा है।
- इसके अतिरिक्त भारतीय अर्थव्यवस्था में विद्यमान NPA और दोहरे तुलन पत्र जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं खोजा जा सका है। इन समस्याओं का प्रत्यक्ष प्रभाव भारत की विकास दर पर भी दिख रहा है।
- वर्तमान समय में भारत की कम विकास दर भी एक चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि इससे बेरोज़गारी, कम उत्पादन जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं।
- लघु और मध्यम उद्योगों के संदर्भ में उत्तर प्रदेश की योजना एक ज़िला एक उत्पाद का क्रियान्वयन राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रासंगिक हो सकता है। ज्ञातव्य है कि चीन में भी इस प्रकार की योजनाओं का सफलापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में विद्यमान समस्याओं का संधारणीय समाधान निकाला जाना चाहिये जिससे भारत की आर्थिक विकास दर और सूचकांक में भारत का स्थान भी बढ़ाया जा सकेगा।