वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग | 30 Oct 2020
प्रिलिम्स के लियेपर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग मेन्स के लियेसरकार द्वारा गठित आयोग की संरचना, कार्य, शक्तियाँ और इसकी आलोचना |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग गठित करने हेतु एक अध्यादेश अधिसूचित किया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित ‘पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण’ (EPCA) तथा इस विषय से संबंधित अन्य सभी समितियों को विघटित कर दिया गया है।
- इन पूर्व की समितियों को विघटित करने का मुख्य उद्देश्य दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये सभी सुव्यवस्थित प्रयास करना और जनभागीदारी को कारगर बनाना है।
कारण
- दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। यही कारण है कि वायु प्रदूषण के कारणों जैसे- पराली जलाना, गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, शहरी विनिर्माण संबंधी प्रदूषण आदि की निगरानी, उनसे निपटने और समाप्त करने के लिये एक समेकित दृष्टिकोण अपनाना तथा उसे लागू करना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया था।
- अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की निगरानी और प्रबंधन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) जैसे अलग-अलग निकायों द्वारा किया जा रहा था।
- इसके कारण प्रदूषण से निपटने का कार्य और भी चुनौतीपूर्ण तथा अव्यवस्थित हो गया था, ऐसे में लंबे समय से एक ऐसे निकाय के गठन पर विचार किया जा रहा था, जो इस पूरी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सके।
- हालिया अध्यादेश में वायु प्रदूषण से संबंधित सभी निकायों को समेकित कर एक अतिव्यापी निकाय बनाने की परिकल्पना की गई है, जिससे वायु गुणवत्ता का प्रबंधन अधिक व्यापक, कुशल और समयबद्ध तरीके से किया जा सकेगा।
आयोग की संरचना
- सात सदस्यों वाले पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) के विपरीत सरकार द्वारा गठित नए आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष समेत कुल 18 सदस्य होंगे। साथ ही इस आयोग में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के तौर पर ‘एसोसिएट सदस्य’ तथा एक पूर्णकालिक सचिव को भी शामिल किया जाएगा, जो कि मुख्य समन्वय अधिकारी के तौर पर कार्य करेगा।
- ध्यातव्य है कि इस आयोग का अध्यक्ष या तो भारत सरकार में सचिव स्तर का अधिकारी होगा या फिर राज्य सरकार में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होगा और इसका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा तथा कार्यकाल की समाप्ति के बाद उसे पुनः नियुक्त किया जा सकेगा।
- केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के अलावा इस आयोग में पाँच राज्यों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नीति आयोग, प्रदूषण विशेषज्ञ, संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
- इस तरह से आयोग आसानी से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर सकेगा तथा इन राज्यों में वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उन्मूलन संबंधी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की निगरानी कर सकेगा।
- निकाय की संरचना को देखकर कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार इस विषय से संबंधित विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रही है।
- आयोग की इस प्रकार की संरचना इस दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण है कि दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के प्रबंधन में स्टबल-बर्निंग (कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारें) और औद्योगिक उत्सर्जन (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) आदि अलग-अलग हितधारक शामिल हैं।
आयोग की उप-समितियाँ
- सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस आयोग में 3 उप-समितियाँ होंगी, हालाँकि आयोग अपनी इच्छानुसार अन्य समितियों का भी गठन कर सकता है-
- निगरानी और पहचान पर उप-समिति
- सुरक्षा और प्रवर्तन पर उप-समिति
- अनुसंधान और विकास पर उप-समिति
कार्य और शक्तियाँ
- आयोग के पास दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये सभी आवश्यक उपाय करने, इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने और आवश्यकता पड़ने पर शिकायतें दर्ज करने की शक्ति होगी।
- यह आयोग राज्य सरकार और किसी सरकारी विभाग को भी आदेश जारी कर सकता है।
- यह आयोग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करने का कार्य करेगा।
- यह वायु गुणवत्ता और प्रदूषकों के उत्सर्जन से संबंधित मानकों का भी निर्धारण करेगा।
- अध्यादेश के अनुसार, वायु गुणवत्ता और प्रदूषण से संबंधित किसी भी मामले में किसी निकाय अथवा राज्य सरकार के साथ हितों के टकराव की स्थिति में इस आयोग द्वारा जारी किये गए आदेश अथवा निर्देश को सर्वोपरि माना जाएगा।
- इस आयोग को वायु प्रदूषण से संबंधित किसी भी मामले की जाँच करने और दिल्ली तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों में स्थापित किसी भी परिसर, संयंत्र, उपकरण, मशीनरी आदि का निरीक्षण करने का अधिकार है।
- साथ ही इस आयोग को किसी भी उद्योग को बंद करने, उसके निषेध या विनियमन से संबंधित दिशा-निर्देश जारी करने की शक्ति भी है।
- इसे किसी भी मामले पर स्वतः संज्ञान लेने अथवा शिकायत के आधार पर मामले की जाँच करने का अधिकार है।
दंडात्मक प्रावधान
- केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अथवा संस्था आयोग द्वारा जारी आदेश अथवा दिशा-निर्देश का उल्लंघन करती है तो उसे दंड के तौर पर 5 वर्ष तक की जेल अथवा 1 करोड़ रुपए जुर्माना अथवा दोनों सज़ा दी जा सकती है।
- यदि अपराध किसी कंपनी द्वारा किया जाता है तो उस कंपनी और नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारी दोनों को दोषी माना जाएगा और उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी, वहीं यदि अपराध किसी सरकारी विभाग द्वारा किया जाता है तो विभाग का प्रमुख तब तक दंड का उत्तरदायी होगा जब तक यह सिद्ध न कर दिया जाए कि नियमों का उल्लंघन उसकी जानकारी के बिना हुआ है।
आलोचना
- कई जानकारों ने यह चिंता ज़ाहिर की है कि आयोग में नौकरशाहों का भारी वर्चस्व है, और इसमें वायु गुणवत्ता तथा वायु प्रदूषण से संबंधित विषय विशेषज्ञों की कमी है।
- 18-सदस्यीय इस आयोग में गैर-सरकारी संगठनों से केवल 3 सदस्यों को ही शामिल किया गया है और केवल तीन स्वतंत्र विषय-विशेषज्ञ शामिल किये गए हैं।
- सरकार द्वारा जारी अध्यादेश में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि प्रदूषण के विरुद्ध इस मुकाबले में थर्ड पार्टी मॉनीटरिंग और नागरिक भागीदारी का किस प्रकार प्रयोग किया जाएगा।
- ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा श्रम मंत्रालय जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों को इस आयोग में प्रतिनिधित्त्व नहीं दिया गया है। वहीं समयबद्ध परिणाम के प्रति भी आयोग की ज़िम्मेदारी तय नहीं की गई है।